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पिंगली वेंकैया की जीवनी – Pingali Venkayya Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको पिंगली वेंकैया की जीवनी – Pingali Venkayya Biography Hindi के बारे में बताएगे।

पिंगली वेंकैया की जीवनी – Pingali Venkayya Biography Hindi

पिंगली वेंकैया की जीवनी - Pingali Venkayya Biography Hindi

पिंगली वेंकैया भारत के सच्चे देशभक्त,महान् स्वतंत्रता सेनानी एवं कृषि वैज्ञानिक भी थे।

इसके साथ ही उन्होनें भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को डिजायन किया था।

उन्हे उर्दू और जापानी समेत कई तरह की भाषाओं का अच्छा ज्ञान प्राप्त था।

वह एक प्राणी विज्ञानी, कृषि विद् और शिक्षाविद् थे जिन्होने मछ्लीपटनम में कई शैक्षिक संस्थान खोले।

हीरे के खनन में विशेषज्ञता हासिल थी।

1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सम्मेलन में केसरिया और हरा झंडा सामने रखा। जालंधर के लाला हंसराज ने इसमें चर्खा जोड़ा और गांधीजी ने सफ़ेद पट्टी जोड़ने का सुझाव दिया।

जन्म

पिंगली वेंकैया का जन्म 2 अगस्त 1876 को भटाला पेनमरू गांव, कृष्णा ज़िला आन्ध्र प्रदेश में हुआ था।

उनके पिता का नाम पिंगली हनमंत रायडू एवं माता का नाम वेंकटरत्‍न्‍म्‍मा था।

शिक्षा

पिंगली वेंकैय्या ने प्रारंभिक शिक्षा भटाला पेनमरू एवं मछलीपट्टनम से प्राप्त की।

करियर – पिंगली वेंकैया की जीवनी

इसके बाद 19 वर्ष की उम्र में वे मुंबई चले गए।

वहां जाने के बाद उन्‍होंने सेना में नौकरी कर ली, जहां से उन्हें दक्षिण अफ्रीका भेज दिया गया।

उन्हे उर्दू और जापानी समेत कई तरह की भाषाओं का अच्छा ज्ञान प्राप्त था।

वह एक प्राणी विज्ञानी, कृषि विद् और शिक्षाविद् थे जिन्होने मछ्लीपटनम में कई शैक्षिक संस्थान खोले।

हीरे के खनन में विशेषज्ञता हासिल थी।

पिंगली ने ब्रिटिश भारतीय सेना में भी सेवा की थी और दक्षिण अफ्रीका के एंग्लो-बोअर युद्ध में भाग लिया था।

यहीं यह गांधी जी के संपर्क में आये और उनकी विचारधारा से बहुत प्रभावित हुए।

1906 से 1911 तक पिंगली मुख्य रूप से कपास की फसल की विभिन्न किस्मों के तुलनात्मक अध्ययन में व्यस्त रहे और उन्होनें बॉम्वोलार्ट कंबोडिया कपास पर अपना एक अध्ययन प्रकाशित किया।

इसके बाद वह वापस किशुनदासपुर लौट आये और 1916 से 1921 तक विभिन्न झंडों के अध्ययन में अपने आप को समर्पित कर दिया और अंत में वर्तमान भारतीय ध्वज विकसित किया। उनकी मृत्यु 4 जुलाई, 1963 को हुई।

ध्वज की रचना

काकीनाड़ा में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान वेंकैया ने भारत का खुद का राष्ट्रीय ध्वज होने की आवश्यकता पर बल दिया और, उनका यह विचार गांधी जी को बहुत पसन्द आया। गांधी जी ने उन्हें राष्ट्रीय ध्वज का प्रारूप तैयार करने का सुझाव दिया।

पिंगली वैंकया ने पांच सालों तक तीस विभिन्न देशों के राष्ट्रीय ध्वजों पर शोध किया और अंत में तिरंगे के लिए सोचा। 1921 में विजयवाड़ा में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में वैंकया पिंगली महात्मा गांधी से मिले थे और उन्हें अपने द्वारा डिज़ाइन लाल और हरे रंग से बनाया हुआ झंडा दिखाया।

1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सम्मेलन में केसरिया और हरा झंडा सामने रखा। इसके बाद ही देश में कांग्रेस पार्टी के सारे अधिवेशनों में दो रंगों वाले झंडे का प्रयोग किया जाने लगा लेकिन उस समय इस झंडे को कांग्रेस की ओर से अधिकारिक तौर पर स्वीकृति नहीं मिली थी।

जालंधर के लाला हंसराज ने इसमें चर्खा जोड़ा और गांधीजी ने सफ़ेद पट्टी जोड़ने का सुझाव दिया। इस चक्र को प्रगति और आम आदमी के प्रतीक के रूप में माना गया।

बाद में गांधी जी के सुझाव पर पिंगली वेंकैया ने शांति के प्रतीक सफेद रंग को भी राष्ट्रीय ध्वज में शामिल किया। 1931 में कांग्रेस ने कराची के अखिल भारतीय सम्मेलन में केसरिया, सफ़ेद और हरे तीन रंगों से बने इस ध्वज को सर्वसम्मति से स्वीकार किया। बाद में राष्ट्रीय ध्वज में इस तिरंगे के बीच चरखे की जगह अशोक चक्र ने ले ली।

मृत्यु – पिंगली वेंकैया की जीवनी

पिंगली वेंकैय्या 4 जुलाई, 1963 को उनकी मृत्यु हो गई।

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Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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