मिंटू गुरुसरिया एक लेखक और पत्रकार है। जो डाकुआँ दा मुंडा नाम से भी प्रसिद्ध है। उन्होने अपनी जिंदगी में बहुत से बुरे काम बुरे काम और बुरे लोगों के साथ समय बिताने के बावजूद आज दूसरे लोगों के लिए प्रेरणादायक बन चुके हैं। मिंटू लगभग 18 साल तक नशे की दलदल में फसे रहे। उन पर करीब 12 केस दर्ज हुए. जिसमें attempt to murder और डकैती के मामले भी शामिल थे। एक एक्सीडेंट ने उनकी जिंदगी को इस प्रकार बदला की उनके ऊपर जीवन पर आधारित एक डॉक्युमेंट्री फिल्म बनी। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको मिंटू गुरुसरिया की जीवनी – Mintu Gurusariya Biography Hindi के बारे में बताएगे।
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मिंटू गुरुसरिया की जीवनी – Mintu Gurusariya Biography Hindi
जन्म
मिंटू गुरुसरिया का जन्म 26 जुलाई 1979 को पंजाब के फाजिल्का के गुरुसर गांव में हुआ। मिंटू गुरुसरिया का पूरा नाम बृजेंद्र सिंह मिंटू है, उनका परिवार पाकिस्तान से आकर पंजाब में बसा था। पाकिस्तान में राजा जंग नामक गाँव में रहते थे। मिंटू के पिता का नाम बलदेव सिंह और माता का नाम जसवीर कौर है। मिन्टू के दादा और पिता नशा तस्करी का काम करते थे। मिन्टू ने अपनी दोस्त मनदीप कौर के साथ शादी की और उन का एक बेटा भी है।
शिक्षा
मिंटू बचपन से ही पढ़ाई में काफी होशियार थे जिसके चलते उन्होने अपनी पढ़ाई गांव के स्कूल में ही पूरी की और उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए अबोहर दाखिला लिया। अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए मिंटू ने डीएवी कॉलेज मलोट में दाखिला ले लिया।
करियर
अपनी पढ़ाई के दौरान ही वे नशे की दलदल में फस गए. उनके नशे की लत इस प्रकार बढ़ गई की। वे इस दौरान 1 दिन में नशे कि 100 गोली खा लेता थे। उस वक़्त मिन्टू ने अपनी ज़िंदगी से भड़क कर गलत रास्ते पर चल पड़े थे । नशे के लिए किसी को मारना लूट पाट करना ऐसे काम उन के लिए आसान थे। मिंटू लगभग 18 साल तक नशे की दलदल में फसे रहे। उन पर करीब 12 केस दर्ज हुए. जिसमें attempt to murder और डकैती के मामले भी शामिल थे। अपनी जिंदगी के कई साल ऐसे ही बर्बाद करने के बाद एक बाद एक दिन उनका एक्सीडेंट हो गया और डॉक्टर ने उन्हे कई महीनों तक आराम करने के लिए कहा। मिन्टू अपना समय गुजरने के लिए कुछ किताबें पड़ता रहता जिसका उनकी ज़िंदगी पर काफी गहरा असर पड़ा। वे बड़े बड़े शूरवीरो की कहानियों को पढ़ कर उनके मन मे यह ख्याल आया के मुझे ऐसे नही मरना मुझे कुछ करना है।
जिस के चलते उन्होने पत्रकारी क्षेत्र में आने का फैसला किया। और आज मिन्टू पंजाब के जाने माने पत्रकार हैं। उन्होने अपने जज्बे से उस नरक भारी ज़िन्दगी से निकल कर दूसरे लोगो के सामने एक मिसाल पेश की है। आज मिन्टू पंजाब में नशे के खिलाफ एक मुहिम चला रहे है.
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पुस्तक
मिन्टू की सबसे ज्यादा मशहूर किताब उन की अपनी ज़िंदगी पर आधारित “डाकुआँ द मुंडा ” है। जिसमें उन्होने अपनी ज़िन्दगी की कहानी लिखी है। इन के इलावा एक और किताब ज़िन्दगी के आशिक़ भी लिखी है। उसकी नयी पुस्तक ‘सूलां’ भी है।
नशे और जुर्म के दलदल से बाहर आकर जिंदगी जिंदाबाद कहने वाले नामवर लेखक और पत्रकार मिंटू गुरसरिआ की उनकी जीवनी ‘डाकुआं दा मुंडा’ और इसके बाद उनकी नयी पुस्तक ‘सूलां’ पर भी पंजाबी फिल्म ‘जिंदगी जिंदाबाद’ बनने जा रही है।