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विजेंद्र सिंह की जीवनी – Vijender Singh Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको विजेंद्र सिंह की जीवनी – Vijender Singh Biography Hindi के बारे में बताएगे।

विजेंद्र सिंह की जीवनी – Vijender Singh Biography Hindi

विजेंद्र सिंह एक भारतीय ओलम्पिक बॉक्सर हैं।

उन्होने मुक्केबाजी में भारत को पहला ओलंपिक पदक दिलाया।

उन्होंने 2014 में अक्षय कुमार निर्मित फिल्म फग्ली से हिंदी सिनेमा में अभिनय का डेब्यू किया था।

2019 भारतीय आम चुनाव की पूर्व संध्या पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और उन्हें लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र  से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया गया। लेकिन बुरी तरह से हार गया। मुक्केबाजी के लिए 2006 में उन्हे अर्जुन पुरस्कार  से सम्मानित किया गया।

जन्म

विजेंद्र सिंह का जन्म 29 अक्टूबर 1985 को हरियाणा के कलुवास गाँव, भिवानी जिले में हुआ था।

उनके पिता का नाम महिपाल सिंह बेनीवाल है जोकि हरियाणा रोडवेज़ में बस ड्राईवर हैं।

उनकी माँ एक गृहणी हैं। विजेंद्र एक बेहद ही निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं।

उनके भाई का नाम 17 मई 2011 को उन्होने अर्चना सिंह से विवाह किया।

उनके बेटे का नाम अर्बिर सिंह (Arbir singh) है।

शिक्षा – विजेंद्र सिंह की जीवनी

विजेंद्र सिंह ने अपनी शुरुआती शिक्षा भिवानी से ही पूरी की है।

उन्होंने भिवानी के कॉलेज से स्नातक की पढाई भी समपन्न की है।

विजेंद्र सिंह को कॉलेज के दिनों से ही मुक्केबाजी और कुश्ती का शौक था, वह इसकी प्रैक्टिस भिवानी बॉक्सिंग क्लब में करते थे।

उन्होंने कोचिंग का प्रशिक्षण भारतीय बॉक्सिंग कोच गुरबक्श सिंह संधू से लिया हैं।

करियर

20 अगस्त के दिन कार्लोस गोंगोरा के विरुद्ध कांस्य पदक के लिए प्रदर्शन करते हुए विजेंदर ने बड़ी ही सधी शुरुआत करते हुए ईक्वाडोर के मुक्केबाज़ कार्लोस गोंगोरा को 9-4 से हरा दिया। पहले राउंड में विजेंदर ने सधी हुई मुक्केबाज़ी करते हुए दो अंक जुटाए। दूसरे चक्र में भी वो रुक रुक कर मुक्के लगाते रहे और चार अंक जुटा लिए। तीसरे राउंड में गोंगोरा काफी थके हुए दिखे जिसका फ़ायदा विजेंदर ने उठाया और गोंगोरा को हराने में सफलता प्राप्त की।

गोंगोरा को मामूली मुक्केबाज़ नहीं हैं, वे चार बार यूरोपीय चैंपियन रहे हैं।

लेकिन सेमीफाइनल में वह उजबेकिस्तान के अब्बोस अतोयेफ के हाथों 3-7 से पराजित हो गए।

मिडल वेट सेमीफाइनल मुकाबले में हार कर भी विजेंदर ने भारत के लिए इतिहास रच दिया है।

पहले राउंड में विजेंदर 1-0 से आगे थे लेकिन पूर्व लाइट हेवीवेट विश्व चैपियन अतोयेफ ने शानदार वापसी करते हुए अगले चक्र में पांच अंक जीते, दूसरे चक्र की समाप्ति पर स्कोर हो गया 5-1 तीसरे और आखिरी चक्र में दोनों मुक्केबाज 2-2 से बराबर रहे लेकिन तीसरे चक्र की टक्कर विजेंदर को मैच जीताने में कामयाब साबित नहीं हुई।

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विवाद

6 मार्च 2012 को, चंडीगढ़ के पास एक एनआरआई निवास पर छापे के दौरान, पंजाब पुलिस ने 26 किलोग्राम हेरोइन और अन्य ड्रग्स जब्त किए, जिनकी कीमत ₹ 1.3 बिलियन (यूएस $ 19 मिलियन) थी। उन्होंने कथित ड्रग डीलर अनूप सिंह काहलों के घर के बाहर से विजेंदर की पत्नी के नाम से पंजीकृत एक कार भी बरामद की।

बाद में मार्च में, पंजाब पुलिस के एक बयान में कहा गया, “अब तक की जांच के अनुसार, विजेंदर सिंह ने लगभग 12 बार और राम सिंह (उनके साथी) के बारे में पांच बार दवा खाई।” सिंह ने आरोपों से इनकार किया और देने से इनकार कर दिया। परीक्षण के लिए उसके बाल और रक्त के नमूने।

NADA (नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी) ने विजेंदर का परीक्षण करने से इनकार करते हुए दावा किया कि प्रोटोकॉल ने उस दवा के लिए किसी एथलीट का परीक्षण करने की अनुमति नहीं दी जब वह प्रतियोगिता से बाहर था। हालाँकि, 3 अप्रैल को भारतीय खेल मंत्रालय ने NADA को निर्देश दिया कि वह बॉक्सर पर एक परीक्षण करे, क्योंकि ये रिपोर्ट “परेशान करने वाली थी और देश के अन्य खिलाड़ियों पर दुर्बल प्रभाव डाल सकती है”।

मई 2013 के मध्य तक, ओलंपिक कांस्य-पदक विजेता को नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी द्वारा “सभी-स्वच्छ” प्रमाण पत्र दिया गया था।

पुरस्कार – विजेंद्र सिंह की जीवनी

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