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18 मई का इतिहास -18 May History Hindi

18 मई का इतिहास – 18 May History Hindi

हमारा इतिहास इतना बड़ा है कि इसे याद रख पाना किसी आम इंसान के बस की बात नहीं है

इसीलिए हमारी वेबसाइट पर हम आपको हर रोज यानी तारीख के हिसाब से आज की दिन घटित हुई घटनाओं का विवरण दे रहे है

जिसकी मदद से आप अपने ज्ञान को बढ़ा सकते है।

18 मई का इतिहास – 18 May History Hindi

18 May History Hindi
18 May History Hindi
  • जर्मनी में पहली नेशनल एसेंबली का उद्घाटन आज ही के दिन 1848 में हुआ।
  • 1912 में आज ही के दिन पहली भारतीय फीचर लेंथ फिल्‍म श्री पुंडा‍लिक रिलीज हुई।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक के दसवें गवर्नर एस. जगन्नाथन का जन्म  18 मई 1914 में हुआ।
  • नार्वे में जन्मे मनोचिकित्सक जर्डा बोयेसन का जन्म 18 मई 1922 में हुआ।
  • डेनमार्की संगीतकार काई वाइंडिंग का जन्म 18 मई 1922 में हुआ।
  • भारत के बारहवें प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा का जन्म 18 मई 1933 में हुआ।
  • उत्तरी एटलांटिक संधि पर हस्ताक्षर करने के एक साल बाद 18 मई 1950 में विश्व के 12 देशों ने अमरीका और यूरोप की रक्षा के लिए एक स्थाई संगठन पर सहमति दी थी।
  • भारत के सुप्रसिद्ध वनस्पति विज्ञानी पंचानन माहेश्वरी का निधन 18 मई 1966 में हुआ।
  •  भारतीय व्यापारी और प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा का जन्म 18 मई 1969 को  उत्तर प्रदेश , मुरादाबाद में हुआ था ।
  • 1974 में आज ही के दिन राजस्थान के पोख़रण में अपने पहले भूमिगत परमाणु बम परीक्षण के साथ भारत परमाणु शक्ति संपन्न देश बना था। इस परीक्षण को ‘स्माइलिंग बुद्धा’ का नाम दिया गया था।
  • नेपाल नरेश को 18 मई 2006 को कर के दायरे में लाया गया।
  • कजाकिस्तान के राष्ट्रपति नूर सुल्तान नजर वायेव का कार्यकाल आज ही के दिन 2007 को असीमित समय के लिए बढ़ा।
  • पार्श्वगायक नितिन मुकेश को 18 मई 2008 में मध्य प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय लता मंगेशकर अलंकरण से सम्मानित किया।
  • भारतीय मूल के लेखक इन्द्रा सिन्हा को आज ही के दिन 2008 में उनकी किताब एनिमल पीपुल हेतु कामनवेल्थ सम्मान प्रदान किया गया।
  • श्रीलंका की सरकार ने 25 साल से तमिल विद्रोहियों के साथ हो रही जंग के खत्म होने का एलान किया। सेना ने देश के उत्तरी हिस्से पर आज ही के दिन 2009 में कब्जा किया और लिट्टे प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरन को मार डाला गया।

आखिरी शब्द

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Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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One Comment

  1. लग भग अब तक सभी जानकारी गलत ही रही है
    प्रसिद्ध अभिनेत्री रीमा लागू की पुण्यतिथि पर हार्दिक श्रद्धांजलि

    रीमा लागू हिन्दी फ़िल्मों की शानदार अभिनेत्री थीं। मुख्यत: उन्हें फ़िल्मों में माँ की शानदार भूमिकाएँ निभाने के लिए जाना जाता है। फ़िल्म ‘मैंने प्यार किया’ की साथिन माँ हो या ‘वास्तव’ की कठोर माँ या फिर ‘ये दिल्लगी’ की मालिकाना माँ, रीमा लागू की इन भूमिकाओं का कोई सानी नहीं था। उन्होंने नए जमाने की माँ की भूमिकाओं को खूब चरितार्थ किया। ‘आशिकी’, ‘साजन’, ‘हम आपके हैं कौन’, ‘मैंने प्यार किया, ‘वास्तव’, ‘कुछ कुछ होता है’ और ‘हम साथ साथ हैं’ जैसी कई फ़िल्मों में रीमा ने माँ का जीवंत किरदार निभाया। उन्होंने सलमान ख़ान के लिए कई फ़िल्मों में उनकी माँ की भूमिका निभाई। टीवी सीरियल ‘तू तू मैं मैं’ में वह सास के किरदार में थीं।

    रीमा लागू का जन्म 3 फ़रवरी सन 1958 को बम्बई (वर्तमान मुम्बई), महाराष्ट्र में हुआ था। उनका वास्तविक नाम गुरिंदर भादभाड़े था। वे जानी-मानी मराठी अभिनेत्री मंदाकनी भादभाड़े की बेटी थीं। उनके अभिनय की काबिलियत तब सामने आई, जब वे पुणे के हुजूरपागा एच.एच.सी.पी हाईस्कूल में पढ़ाई कर रही थीं। प्रोफेशनल तौर पर अभिनय करने के लिए उन्होंने हाईस्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी। रीमा का विवाह मराठी अभिनेता विवेक लागू से हुई थी। विवाह के बाद उन्होंने अपना नाम रीमा लागू रख लिया था।

    रंगमंच से अपने अभिनय का सफर शुरू करने वाली रीमा ने हिन्दी की कई सुपरहिट फिल्‍मों में काम किया। उनको हिन्दी फ़िल्मों में माँ की शानदार भूमिकाओं के लिए जाना जाता था। बॉलीवुड में उनका सितारा फ़िल्म ‘कयामत से कयामत तक’ में जूही चावला की माँ के किरदार से चमका। रीमा अंत समय तक अभिनय के क्षेत्र में सक्रिय थीं। अपने अंतिम दिनों में वह स्टार प्लस के धारावाहिक ‘नामकरण’ में काम कर रहीं थीं। इसके अलावा वे रंगमंच और विज्ञापन फ़िल्में भी कर रहीं थीं। वैसे तो रीमा लागू ने अपना अभिनय का सफर रंगमंच से शुरू किया था, लेकिन देखते ही देखते वह बॉलीवुड की चहेती माँ बन गईं। बॉलीवुड की अक्‍सर ‘दया का पात्र’ जैसी दिखने वाली माँ से अलग रीमा लागू ने अपने किरदारों में हमेशा एक अलग अंदाज रखा। सिर्फ फ़िल्म ‘वास्‍तव’ ही नहीं, उन्होंने अपने माँ के हर किरदार को हमेशा पारंपरिक माँ की छवि से अलग और ज्‍यादा प्रैक्टिकल रखा। रीमा लागू को अपने किरदारों के लिए चार बार फ़िल्‍मफेयर का बेस्‍ट सपोर्टिंग एक्‍ट्रेस अवॉर्ड मिल चुका था।

    सन 1970 के आखिरी और 1980 की शुरुआत में रीमा लागू ने हिन्दी और मराठी फ़िल्मों में काम शुरू किया था। उन्होंने मराठी अभिनेता विवेक लागू से विवाह किया था। हालांकि कुछ साल बाद ही दोनों अलग हो गए।
    दोनों की एक बेटी भी है जिसका नाम मृण्मयी लागू है। शादी के कुछ वक्त बाद तक तो सब अच्छा चला लेकिन फिर रीमा लागू और विवेक के बीच मनमुटाव शुरू हो गया। नतीजा ये हुआ कि शादी के कुछ सालों बाद ही रीमा लागू अपने पति विवेक लागू से अलग हो गईं
    पति से अलग होने के बाद रीमा लागू ने अकेले ही अपनी बेटी को बड़ा किया।
    ममता और स्नेह से भरी माँ का रोल निभाने के लिए रीमा लागू हमेशा प्रसिद्ध रहीं। सलमान ख़ान के कॅरियर में रीमा लागू का बहुत बड़ा योगदान है। सलमान ख़ान की कई बड़ी फ़िल्मों में रीमा उनकी माँ बनीं। सलमान की जिन फ़िल्मों में भी उन्होंने माँ की भूमिका निभाई, वह सुपरहिट रही। हालत तो यह थी कि लोग उन्हें सलमान ख़ान की माँ कहकर पुकारने लगे थे। हालांकि रीमा और सलमान की उम्र में ज्यादा फासला नहीं था, लेकिन उनके चेहरे पर ममता और स्नेह ने उन्हें वास्तविक जीवन में भी सलमान ख़ान की माँ बना दिया। उस पर संयोग भी ऐसा रहा कि जिस भी फिल्म में रीमा सलमान की माँ बनीं, उस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। सबसे पहले फिल्म ‘मैंने प्यार किया’, जो सुपरहिट रही। उसके बाद ‘पत्थर के फूल’, फिर ‘साजन’, ‘हम साथ-साथ हैं’ और ‘जुड़वां’। हालांकि ‘हम आपके हैं कौन’ में रीमा लागू सलमान ख़ान की हिरोइन माधुरी दीक्षित की माँ बनी थीं और यह फिल्म भी सुपरहिट रही।

    पुरस्कार व सम्मान

    रीमा लागू को फ़िल्म ‘मैंने प्यार किया’ और ‘हम आपके हैं कौन’ के लिए वर्ष 1990 में बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का ‘फ़िल्म फेयर अवार्ड’ मिला था। अभिनेता राहुल रॉय की ‘आशिकी’ और संजय दत्त की ‘वास्तव’ के लिए भी उन्हें इसी सम्मान से नवाजा गया था।

    रीमा लागू की मृत्यु 59 वर्ष की आयु में 18 मई, 2017 को हुई। दिल का दौरा पड़ने पर उन्हें एक दिन पहले 17 मई की रात को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दिन में उन्हें छाती में दर्द की शिकायत थी, लेकिन गुरुवार सुबह करीब पांच बजे उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें नहींं बचाया जा सका।

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