पाई और शून्य की खोज करने वाले आर्यभट्ट एक महान गणितज्ञ ज्योतिषविद और खगोल शास्त्री रहे थे. उनके समय में बहुत सारे विद्वान जैसे ब्रह्मगुप्त, भास्कराचार्य, कमलाकर इत्यादि भी थे. आज इस आर्टिकल में हम आपको आर्यभट्ट की जीवनी – Aryabhata Biography Hindi के बारे में बताने जा रहे हैं.
आर्यभट्ट की जीवनी – Aryabhata Biography Hindi
जन्म
आर्यभट्ट का जन्म 476 ईसवी में महाराष्ट्र के अशमक नामक स्थान पर हुआ था, लेकिन उनके जन्म स्थान पर कोई ठोस प्रमाण प्राप्त नहीं हुआ है. कुछ लोगों का मानना है कि बिहार के पटना जिसको की पुराने समय में पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था, वहां से समीप कुसुमपुर नामक स्थान पर उनका जन्म माना जाता है.
शिक्षा
आर्यभट्ट ने अपनी शिक्षा कुसुमपुर के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में कि जहां जैनों का निर्णायक प्रभाव था.
रचनाये
आर्यभट्ट के द्वारा कई रचनाएं की गई जिनके बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं.
- अंकगणित
- बीजगणित
- त्रिकोणमिति
- सतत भिन्न
- द्विघात समीकरण
- ज्याओं तालिका
- घात श्रृंखलाओं का योग
- गीतिका पद
- गणित पद
- काल क्रियापद
- गोल पद
योगदान
- आर्यभट्ट द्वारा गणित में अनेक योगदान दिए गए जिनमें से पाई की खोज, शून्य की खोज और त्रिकोणमिति का विवेचन भी शामिल है.
- खगोल शास्त्री के रूप में उन्होंने सौरमंडल की गतिशीलता, ग्रहण, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण, कक्षाओं का वास्तविक समय, इत्यादि शामिल है.
निधन
भट्ट का निधन 74 वर्ष की आयु में लगभग 550 ईसवी में हुआ था.