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आचार्य विद्यासागर की जीवनी – Acharya Vidyasagar Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको आचार्य विद्यासागर की जीवनी – Acharya Vidyasagar Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

आचार्य विद्यासागर की जीवनी – Acharya Vidyasagar Biography Hindi

आचार्य विद्यासागर की जीवनी
आचार्य विद्यासागर की जीवनी

 

Acharya Vidyasaga एक जाने-माने दिगंबर जैन आचार्य है।

उन्हें उनके विद्वत्ता और तप के लिए जाना जाता है।

 

 

जन्म

आचार्य विद्यासागर का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक के बेलगाम जिले के सदलगा में शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था।

उनके पिता का नाम श्री मल्लप्पा था, और उनके माता का नाम श्रीमती था।

इनके पिता बाद में मुनि मल्लिसागर बने और उनके माता जो बाद में आर्यिका समयामती बनी

शिक्षा( दीक्षा) – आचार्य विद्यासागर की जीवनी

आचार्य विद्यासागर जी को 1968 में अजमेर में 22 वर्ष की आयु में आचार्य ज्ञानसागर ने दीक्षा दी जो कि आचार्य शांतिसागर के वंश के थे।

आचार्य विद्यासागर को 1972 में ज्ञानसागर जी द्वारा आचार्य पद दिया गया था। विद्यासागर जी के बड़े भाई ही गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हैं और उनके अलावा सभी घर के लोग सन्यास ले चुके हैं।

उनके भाई अनंतनाथ और शांतिनाथ ने आचार्य विद्यासागर जी से दीक्षा ग्रहण की ओर मुनी योगसागर और मुनि समयसागर कहलाए।

आचार्य विद्यासागर संस्कृत, प्राकृत, सहित कई आधुनिक भाषाओं हिंदी, मराठी और कन्नड़ में विशेष ज्ञान रखते हैं। उन्होंने हिंदी और संस्कृत के विशाल मात्रा में रचनाएं की है।

योगदान

शोधार्थियों ने उनके कार्य का मास्टर और डोक्ट्रेट के लिए अध्ययन किया है। आचार्य जी ने अनेक कार्य किए हैं।

उनके कार्यों में निरंजना शतक, भावना शतक, परिषह जाया शतक, सुनीति शतक और शरमाना शतक शामिल है। उन्होंने काव्य मूक माटी की भी रचना की है।

कई संस्थानों में यह स्नातकोत्तर के हिंदी पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है।

आचार्य विद्यासागर कई धार्मिक कार्यों में भी प्रेरणास्त्रोत रहे हैं।

2000 के आंकड़ों के अनुसार उनके लगभग 21% दिगंबर साधु आचार्य विद्यासागर के आज्ञा से आचरण करते हैं ।

पुस्तक – आचार्य विद्यासागर की जीवनी

आचार्य विद्यासागर के शिष्य मुनि क्षमासागर ने उस पर आत्मनवेषी नामक जीवनी लिखी है।

इस पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद की भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित किया जा चुका है।

मुनि प्रणम्यसागर ने उनके जीवन पर अनासक्त महायोगी नामक काव्य की रचना की है।

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