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अमरनाथ झा की जीवनी – Amarnath Jha Biography Hindi

अमरनाथ झा (English – Amarnath Jha) भारत के प्रसिद्ध विद्वान, कुशल वक्ता, साहित्यकार और शिक्षा शास्त्री थे।

हिन्दी को सम्माननीय स्तर तक ले जाने और उसे राजभाषा बनाने के लिए अमरनाथ झा ने बहुमूल्य योगदान दिया था।

शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें वर्ष 1954 में ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया गया था।

अमरनाथ झा की जीवनी – Amarnath Jha Biography Hindi

Amarnath Jha Biography Hindi
Amarnath Jha Biography Hindi

संक्षिप्त विवरण

नामअमरनाथ झा
पूरा नामअमरनाथ झा
जन्म25 फरवरी, 1897
जन्म स्थानमधुबनी ज़िला, बिहार
पिता का नामगंगानाथ झा
माता का नाम
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म
जाति

जन्म

Amarnath Jha का जन्म 25 फ़रवरी, 1897 ई. को बिहार के मधुबनी ज़िले के एक गाँव में हुआ था। उनके पिता  का नाम डॉ. गंगानाथ झा अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान् थे।

शिक्षा

अमरनाथ झा ने सन 1903 से 1906 तक कर्नलगंज स्कूल में पढ़ाई की। 1913 में स्कूल लिविंग परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण और अंग्रेज़ी, संस्कृत एवं हिंदी में विशेष योग्यता प्राप्त की। फिर 1913 से 1919 वे म्योर सेंटर कॉलेज, प्रयाग में शिक्षा ग्रहण करते रहे। इन्हीं दिनों 1915 में इंटरमीडिएट में विश्वविद्यालय में चतुर्थ स्थान प्राप्त किया। फिर 1917 में बीए की परीक्षा एवं 1919 में एम.ए. की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। उनकी योग्यता देखकर एम.ए. पास करने से पहले ही उन्हें ‘प्रांतीय शिक्षा विभाग’ में अध्यापक नियुक्त कर लिया गया था।

करियर

1917 में म्योर कॉलेज में 20 वर्ष की अवस्था में ही अंग्रेज़ी के प्रोफ़ेसर हुए। 1929 में विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्रोफेसर हुए। 1921 में प्रयाग म्युनिसिपलिटी के सीनियर वाइस चेयरमैन हुए। उसी वर्ष पब्लिक लाइब्रेरी के मंत्री हुए। इसके बाद वे पोएट्री सोसाइटी, लंदन के उपसभापति रहे और रॉयल सोसाइटी ऑफ लिटरेचर के फेलो भी रहे। 1938 से 1947 तक प्रयाग विश्वविद्यालय के उपकुलपति थे। 1948 में अमरनाथ पब्लिक सर्विस कमीशन के चेयरमैन हुए।

Amarnath Jha की नियुक्त 1922 में अंग्रेज़ी अध्यापक के रूप में ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय’ में हुई। यहाँ वे प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष रहने के बाद 1938 में विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर बने और वर्ष 1946 तक इस पद पर बने रहे। उनके कार्यकाल में विश्वविद्यालय ने बहुत उन्नति की और उसकी गणना देश के उच्च कोटि के शिक्षा संस्थानों मे होने लगी। बाद में उन्होंने एक वर्ष ‘काशी हिन्दू विश्वविद्यालय’ के वाइस चांसलर का पदभार सम्भाला तथा उत्तर प्रदेश और बिहार के ‘लोक लेवा आयोग’ के अध्यक्ष रहे।

रचनाएँ

  • संस्कृत गद्य रत्नाकर (1920)
  • दशकुमारचरित की संस्कृत टीका (1916)
  • हिंदी साहित्य संग्रह (1920)
  • पद्म पराग (1935)
  • शेक्सपियर कॉमेडी (1929)
  • लिटरेरी स्टोरीज (1929)
  • हैमलेट (1924)
  • मर्चेंट ऑफ वेनिस (1930)
  • सलेक्शन फ्रॉम लार्ड मार्ले (1919)
  • विचारधारा (1954)
  • हाईस्कूल पोएट्री

पुरस्कार

  • इलाहाबाद और आगरा विश्वविद्यालयों ने उन्हें एल.एल.ड़ी. की और ‘पटना विश्वविद्यालय’ ने डी.लिट् की उपाधि प्रदान की थी।
  • Amarnath Jha को 1954 में  ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया गया।

मृत्यु

अमरनाथ झा की मृत्यु 2 सितंबर 1955 को हुई।

Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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