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अनंता सिंह की जीवनी – Ananta Singh Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको अनंता सिंह की जीवनी – Ananta Singh Biography Hindi के बारे में बताएगे।

अनंता सिंह की जीवनी – Ananta Singh Biography Hindi

अनंता सिंह की जीवनी

 

(English – Ananta Singh)अनंता सिंह भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक थे।

उन्होने प्रसिद्ध कांरिताकारी सूर्य सेन के नेतृत्व में ‘चटगाँव आर्मरी रेड’ में भाग लिया।

1921 के ‘असहयोग आंदोलन’ में वे स्कूल से बाहर आ गए और देश की प्रमुख पार्टी ‘कांग्रेस’ के लिए काम करने लगे।

 

संक्षिप्त विवरण

 

नामअनंता सिंह
पूरा नामअनंता सिंह
जन्म1 दिसंबर, 1903
जन्म स्थान चटगांव, बंगाल
पिता का नाम
माता का नाम
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म
हिन्दू
जाति

जन्म – अनंता सिंह की जीवनी

अनंता सिंह का जन्म 1 दिसंबर, 1903 को चटगांव, बंगाल में हुआ था।

क्रांतिकारियों से संपर्क

प्रथम विश्वयुद्ध (1914-18) के अंतिम वर्षों में अनंता सिंह क्रांतिकारियों के संपर्क में आए और अपने साहस और योग्यता से संगठन के प्रमुख सदस्य बन गए। बम और बंदूकों की गोलियाँ आदि बनाने में वे विशेष रूप से प्रवीण थे।

वर्ष 1921 के ‘असहयोग आंदोलन’ में वे स्कूल से बाहर आ गए और देश की प्रमुख पार्टी ‘कांग्रेस’ के लिए काम करने लगे। लेकिन जब 1922 में आंदोलन वापस ले लिया गया तो वे फिर से क्रांतिकारी गतिविधियों मे संलग्न हो गए।

गिरफ़्तारी

वर्ष 1923 में जब क्रांतिकारियों ने विदेशियों की कम्पनी का असम, बंगाल रेलवे का ख़ज़ाना लूट लिया तो पुलिस को अनंता सिंह पर संदेह हुआ। अब वे अन्य साथियों को लेकर गुप्त स्थान पर रहने लगे।एक दिन जब उस स्थान को पुलिस ने चारों ओर से घेर लिया, तब अनंता सिंह के नेतृत्व में क्रांतिकारी बलपूर्वक पुलिस का घेरा तोड़कर एक पहाड़ी पर चढ़ गए।

वहाँ से बच निकलने के बाद अनंता सिंह कोलकाता (भूतपूर्व ‘कलकत्ता’) आ गए।

लेकिन शीघ्र ही गिरफ़्तार करके उन्हें 4 वर्ष के लिए नज़रबंद कर दिया गया।

सज़ा – अनंता सिंह की जीवनी

अनंता सिंह 1928 में जेल से छुटकर फिर चटगांव पहुंचे और लोगों को संगठित किया।

इसके बाद ही क्रांतिकारियों ने चटगांव के शस्त्रागार पर आक्रमण किया।

अनंता सिंह फिर बचकर फ़्रैंच बस्ती चंद्रनगर चले आए, किन्तु ज्यों ही उन्हें पता चला कि ‘चटगांव कांड’ के लिए उनके युवा साथियों पर मुकदमा चलाया जा रहा है, तब वे अपने साथियों के साथ खड़ा होने के लिए स्वंय पुलिस के सामने उपस्थित हो गए।उन सभी पर मुकदमा चलाया गया और कुछ अन्य साथियों के साथ उन्हें भी आजीवन कारावास की सज़ा देकर 1932 में अंडमान की जेल भेज दिया गया।

मृत्यु

अनंता सिंह की मृत्यु 25 जनवरी, 1969 को हुई।

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