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अंजलि भागवत की जीवनी – Anjali Bhagwat Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको अंजलि भागवत की जीवनी – Anjali Bhagwat Biography Hindi के बारे में बताएगे।

अंजलि भागवत की जीवनी – Anjali Bhagwat Biography Hindi

अंजलि भागवत मशहूर निशानेबाज है। उन्होने 1999 व 2001 में राष्ट्र मंडल खेलों में चार स्वर्ण प्राप्त किए।

2000 में सिडनी ओलंपिक में फाइनल तक पहुँचने वाली दूसरी भारतीय महिला निशानेबाज बनीं।

2002 में अंजलि ने म्यूनिख शूटिंग वर्ल्ड कप में रजत पदक हासिल  किया किया
और यह मेडल हासिल करने वाली वह पहली भारतीय महिला निशानेबाज बनी।

इसी साल वे निशानेबाजी में विश्व की नंबर वन खिलाड़ी बन गई।

2000 में अर्जुन पुरस्कार और 2002 में उन्हे राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा गया।

जन्म

अंजलि भागवत का जन्म 5 दिसंबर 1969 को मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में हुआ था।

उनका पूर्व नाम अंजलि वेद पाठक है। उनके पिता का नाम रमाकांत वेद पाठक था।

अंजलि का विवाह 2000 में मंदार भागवत के साथ हुआ था।

उनका एक बेटा है जिसका नाम आराध्या है जो 2010 में पैदा हुआ था।

करियर – अंजलि भागवत की जीवनी

अंजलि भागवत ने अपने शूटिंग करियर की शुरुआत मुम्बई के कीर्ति कॉलेज के एन.सी.सी. के कैडेट के रूप में की। उन्होंने छात्रा के रूप में कैडेट बन कर ही महाराष्ट्र राइफल एसोसिएशन में स्थान पाया। उसके पश्चात् कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा

अंजलि शूटिंग के क्षेत्र में अकस्मात ही आई। एक बार उन्हें अचानक कीर्ति कॉलेज में पढ़ते समय एन. सी. सी. की इन्टर कालिजिएट शूटिंग प्रतियोगिता में भाग लेना पड़ा, क्योंकि उसमें भाग लेने वाली स्कूल की कैडेट बीमार पड़ गई थी। चूंकि अंजलि जूडो-कराटे में ग्रीन बेल्ट थीं और पर्वतारोहण में सक्रिय छात्रा थींं, अत: उन्हें उसके स्थान पर भाग लेने को कहा गया। प्रारम्भ में अंजलि ने मना किया, परन्तु उन्हें भाग लेना पड़ा। उनके निशाने एक-एक कर के चूकते गए, वह भी इंचों के आधार पर नहीं मीटर की दूरी पर। जब वह वहां से जाने लगींं तो महाराष्ट्र राइफल एसोसिएशन के अध्यक्ष बी.बी राम ने उन्हें देखा और कुछ समझाते हुए पुन: कोशिश करने का आग्रह किया।

दरअसल राज्य की टीम में कुछ महिलाओं की आवश्यकता थी।

दूसरे स्थानों पर घूमने की लालसा में अंजलि ने शूटिंग में भाग लेना शुरू कर दिया और नए समूह में शामिल हो गई।

दस ही दिनों में उन्होंने काफ़ी कुछ सीख लिया और राष्ट्रीय रजत पदक जीत लिया।

इससे अंजलि का हौसला बढ़ा और उन्होंने शूटिंग न छोड़ने का निर्णय लिया।

बस यहीं से भारत की शुटिंग स्टार अंजलि वेद पाठक का जन्म हुआ।

फिलहाल अंजलि भागवत केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में खेल कोटे के अन्तर्गत इंस्पेक्टर पद पर कार्यरत हैंं।

सफलताएँ

1988 में अंजलि ने अहमदाबाद में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में भाग लिया।

सिडनी में होने वाले ओलंपिक में 2000 में अंजलि ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली दूसरी भारतीय महिला बन गई। उनसे पहले उड़न परी पी.टी. उषा ही ऐसी भारतीय एथलीट रहींं, जो ओलंपिक के फाइनल में पहुंच सकी थींं। अंजलि भागवत ने म्यूनिख में होने वाले विश्व कप फाइनल में रजत पदक प्राप्त किया।

2002 में वे निशानेबाजी में विश्व की नंबर वन खिलाड़ी बन गई।

इसके अतिरिक्त उन्होंने इसी पुरुषों व महिलाओं के मुकाबले में जीत हासिल करके चैंपियन ऑफ चैंपियन का खिताब हासिल किया। 1998 तथा 2001 में अंजलि ने कॉमनवेल्थ खेलों में चार स्वर्ण पदक प्राप्त किए। उनकी सफलता का श्रेय उसके कोचों को जाता है। कोच संजय चक्रवर्ती तथा हंगेरियन कोच लेस्लो सुजाक ने अंजलि को खेल की बारीकियां सिखा कर उन्हें सफलता दिलाई।

पुरस्कार और उपलब्धियाँ – अंजलि भागवत की जीवनी

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