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आशा भोसले की जीवनी – Asha Bhosle Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको आशा भोसले की जीवनी – Asha Bhosle Biography Hindi के बारे में बताएगे।

आशा भोसले की जीवनी – Asha Bhosle Biography Hindi

आशा भोसले हिन्दी फ़िल्मों की एक मशहूर पार्श्वगायिका हैं और लता मंगेशकर की छोटी बहन है।आशा ने फिल्मी और गैर फिल्मी लगभग 16 हजार गाने गाये हैं और इनकी आवाज़ के प्रशंसक पूरी दुनिया में फैले हुए हैं।

हिंदी के अलावा उन्होंने मराठी, बंगाली, गुजराती, पंजाबी, भोजपुरी, तमिल, मलयालम, अंग्रेजी और रूसी भाषा के भी अनेक गीत गाए हैं।

आशा भोसले ने अपना पहला गीत वर्ष 1948 में सावन आया फिल्म चुनरिया में गाया।

1997 मई आशा जी पहली भारतीय गायिका बनी जो ‘ग्रेमी अवार्ड के लिए नामांकित की गई।

5 मई 2008 को राष्टपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने उन्हे “पद्म विभूषण” से सम्मानित किया।

जन्म

आशा भोसले का जन्म 8 सितंबर 1933 को महाराष्ट्र के ‘सांगली’ में हुआ।

उन्हे आशा ताई के नाम से भी जाना जाता है।

उनके पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर था और वे प्रसिद्ध गायक एवं नायक थे तथा उनकी माता का नाम सुधामती था।

जब आशा ताई महज 9 वर्ष की थीं, तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी।

पिता की मृत्यु के बाद उनका पूरा परिवार मुंबई आकर रहने लगा।

उनकी बड़ी बहनका नाम लता मंगेशकर है, जोकि हिंदी सिनेमा स्वर कोकिला के नाम से जानी जातीं हैं।

आशा भोसले की पहली शादी 16 वर्ष की उम्र में उनसे बड़े गणपत राव भोसले से हुई।

उनकी यह शादी परिवार की इच्छा के विरुद्ध हुई थी, जिस कारण उन्‍हें अपना घर भी छोड़ना पड़ा था।

आशा जी का यह विवाह बेहद बुरी तरह असफल साबित हुआ था।

शादी टूटने के बाद वह अपने बच्चों के साथ अपने घर आ गयीं। आशा जी ने दूसरी शादी राहुल देव वर्मन से की।

यह विवाह आशा जी ने राहुल देव वर्मन की अंतिम सांसो तक सफलतापूर्वक निभाया।

आशा जी की पहली शादी से उन्हें तीन बच्चे हैं।

उनके बेटों का नाम हेमंत भोसले, आनन्द भोसले तथा उनकी बेटी का नाम वर्षा भोसले है।

करियर – आशा भोसले की जीवनी

1948 से 1987 तक

आशा भोसले ने अपना पहला गीत वर्ष 1948 में सावन आया फिल्म चुनरिया में गाया। एक समय जब प्रसिद्ध गायिका यथा- गीता दत्त, शमशाद बेगम और लता मंगेशकर का जमाना था। चारो ओर इन्ही का प्रभुत्व था। आशा जी गाना चाहती थी पर इन्हे गाने का मौका तक नहीं दिया जाता था। आशा जी सिर्फ दुसरे दर्जे की फिल्मों के लिए ही गा पाती थी। 1950 के दशक में बॉलीवुड के अन्य गायिकाओं की तुलना में आशा जी ने कम बजट की ‘बी’ और ‘सी’ ग्रेड फिल्मों के लिए बहुत से गीत गाए। उनके गीतो के संगीतकार ए. आर. कुरैशी (अल्ला रख्खा खान), सज्जाद हुसैन और गुलाम मोहम्मद थे। जो काफी असफल रहे। 1952 ई. में दिलीप कुमार अभिनीत फिल्म ‘संगदिल’ जिसके संगीतकार सज्जाद हुसैन थे, ने प्रसिद्धि दिलाई।

परिणाम स्वरूप बिमल राय ने एक मौका आशा जी को अपनी फिल्म ‘परिणीता’ (1953) के लिए दिया। राज कपूर ने गीत ‘नन्हे मुन्ने बच्चे।…’ के लिए मोहम्मद रफी के साथ फिल्म ‘बुट पॉलिश्’(1954) के लिए अनुबंधित किया जिसने काफी प्रसिद्धि आशा जी को दिलाई। ओ.पी. नैयर ने आशा जी को बहुत बड़ा अवसर ‘सी. आई. डी.’(1956) के गीत गाने के लिए दिया।

1966 ई. में संगीतकार आर. डी. वर्मन की सफलतम फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ में आशा जी ने आर. डी. वर्मन के साथ काफी प्रसिद्धि बटोरी। 1960 से 1970 के बीच प्रसिद्ध डॉसर हेलन की आवाज बनी। ऐसा कहा जाता है कि जब भी आशा जी गाती थी तो हेलन रिकाडिंग के समय मौजुद रहती थी ताकि गाने को अच्छी तरह समझ सके और अच्छी तरह नृत्य उस गाने पर कर सके। 1981 मे उमराव जान और इजाजत (1987) मे पारम्परिक गज़ल गाकर आशा जी ने आलोचकों को करारा जबाब दिया। अपनी गायन प्रतिभा का लोहा मनवाया।

1987 से 1995 तक

इन्ही दिनो इन्हे उपरोक्त दोनो फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार ‘बेस्ट फिमेल प्लेबैक सिंगर’ मिला। आशा जी 1990 तक लगातार गाती रही। 1995 की हिट फिल्म ‘रंगीला’ से एक बार पुन: अपनी दुसरी पारी का आरंभ किया। 2005 में 72 वर्षीय आशा जी ने तमिल फिल्म ‘चन्द्रमुखी’ और पॉप संगीत ‘लक्की लिप्स…’ सलमान खान अभिनित के लिए गाया जो चार्ट बस्टर में प्रसिद्ध रहा। अक्टूबर 2004,’द वेरी बेस्ट ऑफ आशा भोसले’, ‘द क्वीन ऑफ बॉलीवुड’ आशा जी के द्वारा गाए गीतो का एलबम (1966-2003) रिलिज किया गया।

आशा भोसले जी के गायिकी के करियर में चार फिल्मे मिल का पत्थर, साबित हुई— नया दौर (1957), तीसरी मंजिल (1966), उमरॉव जान (1981) और रंगीला (1995)। नया दौर (1957):— आशा भोसले जी की पहली बड़ी सफल फिल्म बी. आर. चोपड़ा की ‘नया दौर’(1957) थी। मो. रफी के साथ गाए उनके गीत यथा ‘माँग के हाथ तुम्हारा….’, ‘साथी हाथ बढ़ाना…’ और ‘उड़े जब जब जुल्फे तेरी…’ शाहिर लुधियानवी के द्वारा लिखित और ओ. पी. नैयर द्वरा संगीतबद्ध एक खास पहचान दी। आशा जी ने ओ.पी. नैयर के साथ पहले भी काम किया था पर यह पहली फिल्म थी जिसके सारे गीत आशा जी प्रमुख अभिनेत्री के लिए गाई थी।

प्रोड्यूसर बी. आर. चोपडा ने नया दौर में उनकी प्रतिभा की पहचान कर आने वाली बाद की फिल्मों में पुन: मौका दिया। उनमे प्रमुख फिल्म— वक्त, गुमराह, हमराज, आदमी और इंसान और धुंध आदि है। तीसरी मंजिल (1966):- आशा भोसले ने राहुल देव वर्मन की ‘तीसरी मंजिल’(1966) से काफी प्रसिद्ध हुई। जब पहले उन्होने गाने की धुन सुनी तो गीत ‘आजा आजा…’ इस गीत को गाने से इनकार कर दिया था, जो वेस्टर्न डांस नम्बर पर आधारित थी।

गज़ल

आजा आजा…. और इस फिल्म के अन्य गीत – ओ हसीना जुल्फो वाली… और ओ मेरे सोना रे…. ये सभी गीत रफी जी के साथ तहलका मचा दिया। शम्मी कपूर इस फिल्म के नायक ने एक बार कहा था “यदि मे पास मो. रफी इस फिल्म के गीतो को गाने के लिए नही होते तो मै आशा भोसले को यह कार्य देता”। उमराव जान (1981):- रेखा अभिनित ‘उमराव जान’(1981) आशा जी ने गज़ल गाया यथा- दिल चीज क्या है।…, इन आँखों की मस्ती के…, ये क्या जगह है दोस्तों… और जुस्त जु जिसकी थी।..। इन गज़लों के संगीतकार खय्याम थे जिन्होने आशा जी से सफलतापूर्वक गज़लो को गाने के लिए स्वरों के उतार चढाव को समझाया। आशा जी स्वयं आश्चर्यचकित थी कि वह इन गज़लो को सफलतापूर्वक गाई है।

इन गज़लों ने आशा जी को प्रथम राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया और उनकी बहुमुखी प्रतिभा साबित हुई। रंगीला (1995):- सन 1995 में 62 वर्षीय आशा जी ने युवा अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर के लिए फिल्म रंगीला में गाई। इन्होने फिर अपने चाहनेवालों को आश्चर्यचकित कर दिया। सुपर हिट गीत यथा- तन्हा तन्हा… और रंगीला रे… गीत ए. आर. रहमान के संगीत निर्देशन में गाई जो काफी प्रसिद्ध हुआ। बाद में कई अन्य गीतों को ए. आर. रहमान के निर्देशन में गाई। तन्हा तन्हा… गीत काफी प्रसिद्ध हुआ और आज भी लोग गुनगुनाते हैं।

आशा ने फिल्मी और गैर फिल्मी लगभग 16 हजार गाने गाये हैं और इनकी आवाज़ के प्रशंसक पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। हिंदी के अलावा उन्होंने मराठी, बंगाली, गुजराती, पंजाबी, भोजपुरी, तमिल, मलयालम, अंग्रेजी और रूसी भाषा के भी अनेक गीत गाए हैं।आशा भोसले की जीवनी 

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गाने (Songs)

पुरस्कार – आशा भोसले की जीवनी

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