जीवनी हिंदी

अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी – Atal Bihari Vajpayee Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी – Atal Bihari Vajpayee Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी – Atal Bihari Vajpayee Biography Hindi

अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी

Atal Bihari Vajpayee भारत के जाने-माने प्रधानमंत्रियों में से एक थे।

वह हिंदी में लिखते हुए एक प्रसिद्ध कवि थे।

अटल बिहारी बाजपेयी भारत में 1946 नरसिम्हा राव के बाद केवल 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री चुने गए थे।

इसके बाद 1998 में हुए चुनावों के दौरान वे दोबारा भारत के प्रधानमंत्री चुने गए।

जन्म – अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर, 1924 को लश्कर, ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था।

उनके पिता का नाम पंडित कृष्ण बाजपेयी था जो अध्यापन का कार्य करते थे और अटल बिहारी की माता का नाम कृष्णा देवी था जो कि गृहणी थी।

अटल जी अपने माता- पिता की सातवीं संतान थी।

उनसे पहले उनके तीन बड़े भाई और तीन बहने थी।

अटल बिहारी वाजपेयी के बड़े भाइयों कोअटल बिहारी वाजपेयी‘, ‘सदा बिहारी वाजपेयी’ तथा ‘प्रेम बिहारी वाजपेयी’ के नाम
से जाना जाता है।

वाजपेयी अपने पूरे जीवन अविवाहित रहे।

उन्होंने लंबे समय से दोस्त राजकुमारी कौल और बी॰एन॰ कौल की बेटी नमिता भट्टाचार्य को उन्होंने दत्तक पुत्री के रूप में स्वीकार किया।

राजकुमारी कौल की मृत्यु वर्ष 2014 में हुई थी ।

अटल जी के साथ नमिता और उनके पति रंजन भट्टाचार्य रहते थे।

मांस और अल्कोहल को छोड़ने वाले शुद्धवादी ब्राह्मणों के विपरीत, वाजपेयी को व्हिस्की और मांस का शौकीन माना जाता था। वह हिंदी में लिखते हुए एक प्रसिद्ध कवि थे। उनके प्रकाशित कार्यों में काइडी कविराई कुंडलियन शामिल हैं, जो 1975-77 आपातकाल के
दौरान कैद किए गए कविताओं का संग्रह था, और अमर आग है।

अपनी कविता के संबंध में उन्होंने लिखा, “मेरी कविता युद्ध की घोषणा है, हारने के लिए एक निर्वासन नहीं है। यह हारने वाले सैनिक की निराशा की ड्रमबीट नहीं है, लेकिन युद्ध योद्धा की जीत होगी। यह निराशा की इच्छा नहीं है लेकिन जीत का हलचल चिल्लाओ। ”

अरमान मलिक की जीवनी – Armaan Malik Biography Hindi

शिक्षा

बिहारी वाजपेई की प्रारंभिक शिक्षा बड़नगर के ‘गोरखी विद्यालय’ से पूरी हुई।

इस विद्यालय में अटल जी ने 8वीं तक की शिक्षा प्राप्त की।

उन्हे एक अच्छे वक्ता के रूप में इसी स्कूल से पहचान मिली थी। जब वे कक्षा 5 में पढ़ते थे।

तो पाठयक्रम गतिविधियों के चलते उन्होंने  पहली बार भाषण दिया था, लेकिन बड़नगर में उच्च शिक्षा व्यवस्था न होने के कारण उन्हें ग्वालियर जाना पड़ा। उनका नामांकन विक्टोरिया कॉलेजिएट स्कूल में हुआ और नौवीं कक्षा से इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई
इसी स्कूल में की।

इंटरमीडिएट करने के बाद अटल जी ने ‘विक्टोरिया कॉलेज’ में स्नातक स्तर की शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रवेश लिया।

स्नातक स्तर की शिक्षा के लिए उन्होंने तीनों विषय भाषा पर आधारित लिए जो संस्कृत, हिन्दी और अंग्रेज़ी थे।

अटल जी की साहित्यिक प्रकृति थी, जिससे वह तीनों भाषाओं के प्रति आकृष्ट हुए।

कॉलेज जीवन में ही उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था।

शुरूआत में वे ‘छात्र संगठन’ से जुड़े।

नारायण राव  ने इन्हें काफ़ी प्रभावित किया, जो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख कार्यकर्ता थे।

ग्वालियर में रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शाखा प्रभारी के रूप में अपने दायित्वों की पूर्ति की।

कॉलेज जीवन में उन्होंने कविताओं की रचना करना शुरू कर दिया था।

इनकी साहित्यिक अभिरुचि उसी समय काफ़ी परवान चढ़ी।

उनके कॉलेज में अखिल भारतीय स्तर के कवि सम्मेलनों का भी आयोजन होता था।

इस कारण से कविता की गहराई समझने में उन्हें काफ़ी मदद मिली।

1943 में वाजपेयी जी कॉलेज यूनियन के सचिव रहे और 1944 में उपाध्यक्ष भी बने।

ग्वालियर की स्नातक उपाधि प्राप्त करने के बाद अटल बिहारी जी कानपुर आ गए ताकि राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर स्तर की
शिक्षा प्राप्त कर सकें।

वहाँ उन्होंने एम. ए. तथा एलएल. बी. में एक साथ प्रवेश लिया।

करियर – अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी

 कार्यकाल

भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बनाना

अटल सरकार ने 12 और 13 मई 1998 को पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया। इस कदम से उन्होंने भारत को निर्विवाद रूप से विश्व मानचित्र पर एक सुदृढ वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया।

यह सब इतनी गोपनीयता से किया गया कि अति विकसित जासूसी उपग्रहों व तकनीक से संपन्न पश्चिमी देशों को इसकी भनक तक नहीं लगी। यही नहीं इसके बाद पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर अनेक प्रतिबंध लगाए गए लेकिन वाजपेयी सरकार ने सबका दृढ़तापूर्वक सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊँचाईयों को छुआ।

पाकिस्तान से संबंधों में सुधार की पहल

19 फ़रवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू की गई।

इस सेवा का उद्घाटन करते हुए प्रथम यात्री के रूप में वाजपेयी जी ने पाकिस्तान की यात्रा करके नवाज़ शरीफ से मुलाकात की और आपसी संबंधों में एक नयी शुरुआत की।

कारगिल युद्ध

इसके कुछ ही समय बाद पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज़ मुशर्रफ की शह पर पाकिस्तानी सेना व उग्रवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया।

अटल सरकार ने पाकिस्तान की सीमा का उल्लंघन न करने की अंतर्राष्ट्रीय सलाह का सम्मान करते हुए धैर्यपूर्वक किंतु ठोस कार्यवाही करके भारतीय क्षेत्र को मुक्त कराया।

इस युद्ध में प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण भारतीय सेना को जान माल का काफी नुकसान हुआ और पाकिस्तान के साथ शुरु किए गए संबंध सुधार एकबार फिर शून्य हो गए।

स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना

भारत भर के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना (अंग्रेजी में- गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल प्रोजैक्ट या संक्षेप में जी॰क्यू॰ प्रोजैक्ट) की शुरुआत की गई।

इसके अंतर्गत दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्गों से जोड़ा गया।

ऐसा माना जाता है कि अटल जी के शासनकाल में भारत में जितनी सड़कों का निर्माण हुआ इतना केवल शेरशाह सूरी के समय में ही हुआ था।

 अन्य कार्य – अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी

कवि

अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी थे।

‘मेरी इक्यावन कविताएँ’ अटल जी का प्रसिद्ध काव्यसंग्रह थे।

वाजपेयी जी को काव्य रचनाशीलता एवं रसास्वाद के गुण विरासत में मिले हैं।

उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अपने समय के जाने-माने कवि थे।

वे ब्रजभाषा और खड़ी बोली में काव्य रचना करते थे।

पारिवारिक वातावरण साहित्यिक एवं काव्यमय होने के कारण उनकी रगों में काव्य रक्त-रस अनवरत घूमता रहा है।

उनकी सर्व प्रथम कविता ‘ताजमहल’ थी।

इसमें शृंगार रस के प्रेम प्रसून न चढ़ाकर “एक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल, हम गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मजाक” की तरह उनका भी ध्यान ताजमहल के कारीगरों के शोषण पर ही गया। वास्तव में कोई भी कवि हृदय कभी कविता से वंचित नहीं रह सकता।

अटल जी ने किशोर वय में ही एक अद्भुत कविता लिखी थी – ”हिन्दू तन-मन (कविता) हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय”, जिससे यह पता चलता है कि बचपन से ही उनका रुझान देश हित की तरफ था।

राजनीति के साथ-साथ समष्टि एवं राष्ट्र के प्रति उनकी वैयक्तिक संवेदनशीलता आद्योपान्त प्रकट होती ही रही है। उनके संघर्षमय जीवन, परिवर्तनशील परिस्थितियाँ, राष्ट्रव्यापी आन्दोलन, जेल-जीवन आदि अनेक आयामों के प्रभाव एवं अनुभूति ने काव्य में सदैव ही अभिव्यक्ति पायी। विख्यात गज़ल गायक जगजीत सिंह ने अटल जी की चुनिंदा कविताओं को संगीतबद्ध करके एक एल्बम भी निकाला था।

अटल जी की प्रमुख रचनायें – अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी

उनकी कुछ प्रमुख प्रकाशित रचनाएँ इस प्रकार हैं –

पुरस्कार

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने  27 मार्च, 2015 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके घर जाकर भारत रत्न से सम्मानित किया।

वाजपेयी जी के स्वास्थ्य को देखते हुए राष्ट्रपति ने उनके घर जाकर देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान किया। इस अवसर
पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अरुण जेटली, नितिन गडकरी और राजनाथ सिंह भी वाजपेयी के घर मौजूद रहे।

प्रधानमंत्री के पद पर रहे हों या नेता प्रतिपक्ष। बेशक देश की बात हो या क्रान्तिकारियों की, या फिर उनकी अपनी ही कविताओं की। अटल बिहारी वाजपेयी की बरारबरी कोई नहीं कर सकता।

भारत रत्न से उन्हें सम्मानित किए जाने की घोषणा भारत सरकार ने दिसम्बर 2014 में कर दी गई थी।

वाजपेयी भारत रत्न ग्रहण करने वाले देश के सातवें प्रधानमंत्री बने ।

इससे पहले जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, मोरारजी देसाई, लाल बहादुर शास्त्री और गुलजारीलाल नंदा को यह सम्मान मिल चुका है।

अन्य पुरस्कार

मृत्यु – अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी

वाजपेयी को 2009 में एक दौरा पड़ा था, जिसके बाद वह बोलने में अक्षम हो गए थे।

उन्हें 11 जून, 2018 में किडनी में संक्रमण और कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था, जहाँ 16 अगस्त 2018  की शाम 05 : 05 बजे उनकी मृत्यु हो गयी।

उन्हें अगले दिन17 अगस्त को हिंदू रीति रिवाज के अनुसार उनकी दत्‍तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्या मुखाग्नि दी।

उनका समाधि स्थल राजघाट के पास शान्ति वन में बने स्मृति स्थल में बनाया गया है।

उनकी अंतिम यात्रा बहुत भव्य तरीके से निकाली गयी। जिसमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सैंकड़ों नेता गण पैदल चलते हुए गंतव्य तक पहुंचे।

वाजपेयी के निधन पर भारत भर में सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गयी।

अमेरिका, चीन, बांग्लादेश, ब्रिटेन, नेपाल और जापान समेत विश्व के कई राष्ट्रों द्वारा उनके निधन पर दुःख जताया गया।

अटल जी की अस्थियों को देश की सभी प्रमुख नदियों में विसर्जित किया गया।

इसे भी पढ़े – सुमित गोस्वामी की जीवनी -Sumit Gosvaami Biography Hindi

Exit mobile version