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बी. आर. चोपड़ा की जीवनी – B.R. Chopra Biography Hindi

बी.आर. चोपड़ा महाभारत जैसे महाकाव्य को टीवी सीरियल के रूप में दर्शकों के सामने लाने वाले मशहूर निर्माता और निर्देशक थे। 1948 में मुंबई आकर पहली फिल्म ‘करवट’ बनाई। उनकी 1951 निर्देशक के तौर पर पहली फिल्म ‘अफसाना’ थी। 1955 में बीआर फिल्म्स प्रोडक्शन शुरू किया, जिस के बैनर तले पहली फिल्म बनी ‘नया दौर’। गायक महेंद्र कपूर को पहला ब्रेक देने वाले भी बी.आर. चोपड़ा ही थे। उन्होने गुमराह, कानून, हमराज,  पति पत्नी और वो, निकाह और बागवान जैसी कई बेहतरीन फिल्में बनाई थी। फ़िल्म जगत् में दिए गए उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें फ़िल्मों के सबसे बड़े सम्मान ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ देकर सम्मानित किया। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको बी आर चोपड़ा की जीवनी – B.R. Chopra Biography Hindi के बारे में बताएगे

बी. आर. चोपड़ा की जीवनी – B.R. Chopra Biography Hindi

बी. आर. चोपड़ा की जीवनी - B.R. Chopra Biography Hindi

जन्म

बी. आर. चोपड़ा का जन्म 22 अप्रैल, 1914 को  पंजाब राज्य के लुधियाना शहर में हुआ था। उनका पूरा नाम बलदेव राज चोपड़ा था । बलदेव के छोटे भाई यश चोपड़ा, बेटे रवि चोपड़ा और भतीजे आदित्य चोपड़ा भी फिल्मी उद्योग में कार्य करते हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी बी. आर. चोपड़ा ने फ़िल्म निर्माण के अलावा ‘बागवान’ और ‘बाबुल’ की कहानी भी लिखी।

शिक्षा

बी. आर. चोपड़ा ने अंग्रेज़ी साहित्य में अपनी स्नातकोत्तर की शिक्षा लाहौर के मशहूर ‘गवर्नमेंट कॉलेज’ में पूरी की थी। इस कॉलेज ने फ़िल्म और साहित्य जगत् को ‘बलराज साहनी’, ‘देवानंद’, ‘चेतन आनंद’ और ‘खुशवंत सिंह’ जैसी शख्सियतें दी हैं। बी. आर. चोपड़ा बचपन के दिनों से ही फ़िल्म में काम कर शोहरत की बुलंदियों पर पहुँचना चाहते थे। देश के विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया, लेकिन कुछ दिन के बाद बी. आर. चोपड़ा का मन वहाँ नहीं लगा और वह अपने सपनों को साकार करने के लिए दिल्ली से मुम्बई आ गए। बी आर चोपड़ा की जीवनी – B.R. Chopra Biography Hindi

करियर

बी. आर. चोपड़ा ने अपने करियर की शुरूआत फ़िल्म पत्रकार के रूप में की थी। फ़िल्मी पत्रिका ‘सिने हेराल्ड’ में वह फ़िल्मों की समीक्षा लिखा करते थे। कुछ ही समय में बी. आर. चोपड़ा ने इस पत्रिका का सारा भार स्वयं उठा लिया और 1947 तक इसे निरंतर चलाया।1947 में उन्होंने आई. एस. जौहर के साथ मिलकर फ़िल्म ‘चांदनी चौक’ का निर्माण शुरू किया, लेकिन लाहौर में दंगे भड़कने के कारण उन्हें इस फ़िल्म को बीच में ही बंद करना पड़ा।

इसके बाद उन्होने 1949 में फ़िल्म ‘करवट’ से फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा, लेकिन दुर्भाग्य से यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह असफल हुई। 1951 में अशोक कुमार अभिनीत फ़िल्म ‘अफ़साना’ को बी. आर. चोपड़ा ने निर्देशित किया। फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अपने 25 सप्ताह पूरे किए और ‘रजत जयंती’ (सिल्वर जुबली) मनाई। इस फ़िल्म की सफलता के बाद बी. आर. चोपड़ा फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए। 1955 में उन्होंने ‘बी. आर. फ़िल्मस बैनर’ का निर्माण किया। इस बैनर तले उन्होंने सबसे पहली फ़िल्म ‘नया दौर’ का निर्माण किया। फ़िल्म नया दौर के माध्यम से बी. आर. चोपड़ा ने आधुनिक युग और ग्रामीण संस्कृति के बीच टकराव को रूपहले पर्दे पर पेश किया, जो दर्शकों को काफ़ी पसंद आया। फ़िल्म ‘नया दौर’ ने सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए और बी. आर. चोपड़ा को आकाश की बुलन्दियों पर पहुँचा दिया। अपनी इस सफलता के बाद बी. आर. चोपड़ा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक से बढ़कर एक फ़िल्मों का निर्माण कर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। इन फ़िल्मों में  गुमराह, कानून, हमराज,  पति पत्नी और वो, निकाह और बागवान जैसी कई बेहतरीन फिल्में शामिल थी।

बी. आर. चोपड़ा द्वारा निर्मित फिल्म

  • 1972  – दास्तान
  • 1967  – हमराज़
  • 1963 –  गुमराह
  • 1960  – कानून
  • 1959 – धूल का फूल
  • 1958  – साधना
  • 1957  – नया दौर
  • 1956 –  एक ही रास्ता
  • 1953  – शोले
  • 1951  – अफ़साना
  • 1949 – करवट
  • 1992 –  कल की आवाज़
  • 1991  – प्रतिज्ञाबद्ध
  • 1987 – आवाम
  • 1985 – तवायफ़
  • 1982  – निकाह
  • 1978 – पति पत्नी और वो
  • 1977  – कर्म
  • 1973  – धुंध
  • 1980 –   इंसाफ का तराजू
  • 2006 –  बाबुल
  • 2003 – बाग़बान

महाभारत सीरियल का निर्माण

स्वास्थ्य खराब रहने के कारण 80 के दशक में बी. आर. चोपड़ा ने फ़िल्मों का निर्माण करना कुछ  हद तक कम कर दिया। इस दौरान 1980 में उन्होंने ‘इंसाफ का तराजू’ और ‘निकाह’ 1982 का निर्माण किया।  1985 में बी. आर .चोपड़ा ने दर्शकों की रग को पहचानते हुए छोटे पर्दे की ओर भी रूख कर लिया। दूरदर्शन के इतिहास में अब तक सबसे ज़्यादा कामयाब रहे सीरियल ‘महाभारत’ के निर्माण का श्रेय भी बी. आर. चोपड़ा को ही जाता है। 96 प्रतिशत दर्शकों तक पहुँचने के साथ ही इस सीरियल ने अपना नाम ‘गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में भी दर्ज कराया। बी. आर. चोपड़ा के लिए यह एक महान् उपलब्धि थी। बी आर चोपड़ा की जीवनी – B.R. Chopra Biography Hindi

योगदान

बी. आर. चोपड़ा ने अपने भाई और जाने माने फ़िल्म निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा को भी शोहरत की बुलंदियों पर पहुँचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। 1959 में प्रदर्शित फ़िल्म ‘धूल का फूल’, ‘वक़्त’ और ‘इत्तफ़ाक’ जैसी फ़िल्मों की सफलता के बाद ही यश चोपड़ा फ़िल्म इंडस्ट्री में एक निर्देशक के रूप में स्थापित हुए थे। सुप्रसिद्ध पार्श्वगायिका आशा भोंसले को भी कामयाबी के शिखर पर ले जाने में निर्माता और निर्देशक बी. आर. चोपड़ा की फ़िल्मों का अहम भूमिका निभाई। 50 के दशक में जब आशा भोंसले को केवल बी और सी ग्रेड की फ़िल्मों मे ही गाने का मौका मिला करता था, उस समय बी. आर. चोपड़ा ने ही आशा भोंसले की प्रतिभा को पहचाना और अपनी फ़िल्म ‘नया दौर’ में गाने का मौका दिया। यह फ़िल्म आशा भोंसले के सिने करियर की पहली सुपरहिट फ़िल्म साबित हुई।

इस फ़िल्म में मोहम्मद रफी और आशा भोंसले के गाए युगल गीत बहुत लोकप्रिय हुए, जिनमें ‘मांग के साथ तुम्हारा’, ‘उड़े जब जब जुल्फे तेरी’ आदि गीत शामिल हैं। फ़िल्म ‘नया दौर’ की कामयाबी के बाद ही आशा जी को अपनी मंज़िल प्राप्त हुई थी। इसके बाद बी. आर. चोपड़ा ने आशा जी को अपनी और भी कई फ़िल्मों में गाने का मौका दिया। इन फ़िल्मों में ‘वक़्त’ ‘गुमराह’, ‘हमराज’, ‘आदमी और इंसान’, और ‘धुंध’ प्रमुख हैं। आशा भोंसले के अलावा पार्श्वगायक महेन्द्र कपूर को भी हिन्दी फ़िल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने में बी. आर.चोपड़ा की अहम भूमिका रही है। बी आर चोपड़ा की जीवनी – B.R. Chopra Biography Hindi

पुरस्कार

  • 1998 में हिन्दी सिनेमा के सर्वोच्च सम्मानदादा साहब फालके पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
  • इसके अतिरिक्त 1960 में प्रदर्शित फ़िल्म ‘क़ानून’ के लिए वह सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के रूप में ‘फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार’ से सम्मानित किए गए थे।
  • 96 % दर्शकों तक पहुँचने के साथ ही महाभारत सीरियल ने अपना नाम ‘गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में भी दर्ज कराया। बी. आर. चोपड़ा के लिए यह एक महान् उपलब्धि थी।

मृत्यु

बी. आर. चोपड़ा की मृत्यु 5 नवम्बर, 2008 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुई थी।

Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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