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बाबू राम नारायण सिंह की जीवनी – Ram Narayan Singh Biogrpahy Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको बाबू राम नारायण सिंह की जीवनी – Ram Narayan Singh Biogrpahy Hindi के बारे में जानकारी देने जा रहे है-

राम नारायण सिंह (English – Ram Narayan Singh) को अक्सर बाबू राम नारायण सिंह के रूप में जाना चाहता है. वे एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी और हजारी बाग के राजनेता थे।

राम नारायण जी खादी का प्रचार किया करते थे और सामाजिक सुधार आंदोलन के लिए ओपन माझी, बंगला मंजी जैसे संथाल नेताओं के साथ काम किया।

उन्हें कृष्ण बल्लभ सहाय को 1920 से 1921 के दौरान ब्रिटिश सरकार द्वारा 1 महीने के लिए जेल में रखा गया।

बाबू राम नारायण सिंह की जीवनी – Ram Narayan Singh Biogrpahy Hindi

Ram Narayan Singh Biogrpahy Hindi
Ram Narayan Singh Biogrpahy Hindi

 

संक्षिप्त विवरण

नामबाबू राम नारायण सिंह
पूरा नामराम नारायण सिंह
जन्म19 दिसंबर 1884
जन्म स्थानतेतरिया ग्राम चतरा जिले के हंटरगंज प्रखंड
पिता का नामभोली सिंह
माता का नाम
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म हिन्दू
जाति

जन्म

Baabu Ram Narayan Singh का जन्म चतरा जिले के हंटरगंज प्रखंड के अंतर्गत तेतरिया ग्राम में 19 दिसंबर1884 को हुआ था।

उनके पिता का नाम भोली सिंह था। उनका वास्तविक नाम राम नारायण सिंह था। उन्हे छोटा नागपुर केसरी और छोटा नागपुर के शेर के रूप में भी जाना जाता है। उनके भाई का नाम सुखलाल सिंह था।

शिक्षा

Baabu Ram Narayan Singh की प्रारंभिक शिक्षा तेतरिया के विद्यालय में हुई। इसके बाद में आगे की शिक्षा के लिए वे हजारीबाग के मिडिल वर्नाक्यूलर स्कूल से पूरी की।

उन्होंने अपने स्नातक की पढ़ाई के लिए वे सेंट जेवियर्स कॉलेज, कोलकाता से पूरी की और कानून की डिग्री भी वहीं से प्राप्त की

योगदान

1920 में महात्मा गांधी ने अहिसात्म्क असहयोग आंदोलन का आह्वान किया था, जिसमें विशेष रूप से वकीलों और विद्यार्थियों से सक्रिय सहयोग की अपील की गई थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कहने पर  उन्होने वकालत छोड़ कर देश सेवा का व्रत लिया।

बाबू राम नारायण सिंह और उनके भाई सुखलाल सिंह चतरा के शुरुआती कांग्रेस कार्यकर्ताओं में से एक थे उन्होंने कृष्ण बल्लभ सहाय और राज बल्लभ सहाय सिंह, कोडरमा के बद्री सिंह जैसे युवा कांग्रेस नेताओं के साथ असहयोग आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया।

Baabu Ram Narayan Singh ने खादी का प्रचार किया और सामाजिक सुधार आंदोलन के लिए ओप्पन माझी  बंगामा मंजजी जैसे संथाल नेताओं के साथ मिलकर दोनों ने काम किया।

1920 से 1921 में चतरा जिले से बाबू राम नारायण सिंह ने भारत छोड़ो आंदोलन में भी बढ़ चढ़कर भाग लिया। भारत के जिला गजेटियर पर नोट भी करते हैं कि छात्र जिले से स्वतंत्रता आंदोलन में उल्लेखनीय प्रतिभागियों में बाबू नारायण  सिंह और बाबू शालिग्राम सिंह शामिल है जो भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व करते है

बाबू राम नारायण सिंह की जीवनी

इस  इस दौरान ब्रिटिश सरकार बाबू राम नारायण सिंह पर विशेष नजर रखती थी। बाबू राम नारायण सिंह को छोटा नागपुर केसरी और छोटा नागपुर के शेर के रूप में भी जाना जाता है

1921 से 1926 में बाबू राम नारायण सिंह ने महात्मा गांधी के बिहार की यात्रा के दौरान राजेंद्र प्रसाद जय प्रकाश नारायण अनुग्रह नारायण सिंहा जैसे कई राष्ट्रीय नेताओं के साथ भी कार्य किया.

इस दौरान वे हजारीबाग जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी बने आजादी के बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी से खुद को अलग कर लिया
और 1991 हजारीबाग से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लोकसभा के चुनाव लड़ा और उसे जीत गए।

1957 संसद के सदस्य बने नारायण सिंह ने पहली बार संसद में अलग झारखंड की वकालत की थी। बाबू राम नारायण सिंह, जवाहरलाल नेहरू की विदेश नीति से भी संतुष्ट नहीं हुए थे

जेल यात्रा

कृष्ण बल्लभ सहाय और नारायण बाबू को 1921 के दौरान पहली बार ब्रिटिश सरकार द्वारा 1 महीने के लिए जेल में रखा गया था। 1931 से 1939 तक 8 बार अंग्रेजों द्वारा दी गई जेल यात्रा सहनी पड़ी। अंग्रेजों ने उनके साथ बड़ी बेहरमी  और सख्ती का बर्ताव किया।

इसका अनुमान लगाया जा सकता है कि 1934 में भूकंप के समय देशरत्न डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद से लेकर सभी अन्य स्वयंसेवक तथा राजनीति के बंधुओं को छोड़ दिया गया था, किंतु बाबू रामनारायण को जेल में रखा गया था।

1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय हजारीबाग केंद्रीय कारागार में भेज दिए गए थे,
दीपावली की रात में नवंबर 1942 को अन्य क्रांतिकारियों के साथ वह भी भागने में सफल रहे।

राजबहादुर कामाख्या नारायण सिंह के नेतृत्व में बनी पार्क जनता पार्टी के सदस्य के रूप में चतरा लोकसभा क्षेत्र के निर्वाचित हुए और एक निर्वाचित सदस्य के रूप में अपने प्रशंसनीय कार्य किए।

‘अपना स्वराज्य लूट गया’ नामक पुस्तक की रचना की जो आपकी निर्भरता एवं जागरूकता की साक्ष्य है।

मृत्यु

जून 1964 में Baabu Ram Narayan Singh ने मातृभूमि की सेवा में अपना सब-कुछ न्योछावर कर दिया।

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