बाल और लोकमान्य तिलक के नाम से प्रसिद्ध बाल गंगाधर तिलक एक भारतीय राष्ट्रवादी, एक शिक्षक, एक समाज सुधारक, एक वकील और एक स्वतंत्रता सेनानी थे. अंग्रेजी प्राधिकारी उनकी भारतीय अशांति के पिता भी कहते थे. आज हम उन्हीं महान व्यक्तित्व के बारे में बात करने जा रहे है. इस आर्टिकल में हम बात करेंगे बाल गंगाधर तिलक की जीवनी – Bal Gangadhar Tilak Biography Hindi की.
बाल गंगाधर तिलक की जीवनी – Bal Gangadhar Tilak Biography Hindi
जन्म
बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 18 से 56 में महाराष्ट्र स्थित रत्नागिरी जिले के एक चीखली गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम श्री गंगाधर रामचंद्र तिलक और माता का नाम पार्वती बाई था. बाल गंगाधर तिलक का पूरा नाम केशव गंगाधर तिलक था. उनकी पत्नी का नाम सत्यभामा (तापी) था.
शिक्षा
बाल गंगाधर तिलक ने अपने पिता की मृत्यु के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखी और अपने पिता की मृत्यु के बाद में उन्होंने मैट्रिक परीक्षा पास कर ली थी. उसके बाद में उन्होंने डेक्कन कॉलेज से बीए ऑनर्स की परीक्षा पास की और उसके बाद में मुंबई विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. का की पढ़ाई करने लगे. अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद में उन्होंने कुछ समय तक स्कूल और कॉलेजों में गणित शिक्षा दी. बाल गंगाधर तिलक अंग्रेजी शिक्षा के घोर आलोचक थे.
योगदान
1907 में कांग्रेस गरम दल और नरम दल में विभाजित हो गया था उस समय लाला लाजपत राय, बिपिन चंद्र पाल और बाल गंगाधर तिलक तीनों गरम दल में थे जिनके कारण उन्हें लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाता है. बाल गंगाधर तिलक ने मराठी में केसरी और अंग्रेजी में मराठा नामक दो दैनिक समाचार पत्र भी शुरू किए थे जो की जनता को बहुत ही लोकप्रिय लगे थे. इसके अलावा उन्होंने प्लेग की बीमारी के दौरान देशवासियों की बहुत सेवा की थी और उन्होंने हिंदू प्लेग अस्पताल के नाम से एक अस्पताल भी शुरू किया
बाल गंगाधर तिलक द्वारा लिखी गई किताबें
- गीता-रहस्य
- वेद काल का निर्णय (The Orion)
- आर्यों का मूल निवास स्थान (The Arctic Home in the Vedas)
- श्रीमद्भागवतगीता रहस्य अथवा कर्मयोग शास्त्र
- वेदों का काल-निर्णय और वेदांग ज्योतिष (Vedic Chronology & Vedang Jyotish)
- हिन्दुत्व
- श्यामजीकृष्ण वर्मा को लिखे तिलक के पत्र
निधन
1 अगस्त 1920 को मुंबई में बाल गंगाधर तिलक का निधन हो गया था. उनको श्रद्धांजलि देने के लिए महात्मा गांधी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता और नेहरू जी ने उन्हें भारतीय क्रांति के जनक के नाम की उपाधि दी थी