बलराज मधोक (English – Balraj Madhok) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संस्थापक तथा भारतीय जन संघ के एक संस्थापक और अध्यक्ष थे।
वे 1942 में आरएसएस प्रचारक बने। 1944 में मधोक जी श्रीनगर के पीजीडीएवी कॉलेज में प्रोफेसर बने।
1966 में जनसंघ के अध्यक्ष बने। उन्होने लगभग 30 पुस्तकें लिखी।
बलराज मधोक की जीवनी – Balraj Madhok Biography Hindi

संक्षिप्त विवरण
नाम | बलराज मधोक |
पूरा नाम | बलराज मधोक |
जन्म | 25 फरवरी 1920 |
जन्म स्थान | स्कर्दू, जम्मू और कश्मीर (अब गिलगिट-बल्तीस्तान, पाकिस्तान) |
पिता का नाम | – |
माता का नाम | – |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिन्दू |
जन्म
Balraj Madhok का जन्म 25 फरवरी 1920 को स्कर्दू, जम्मू और कश्मीर (अब गिलगिट-बल्तीस्तान, पाकिस्तान) में हुआ था।
शिक्षा
उनकी उच्च सिक्षा लाहौर विश्वविद्यालय में हुई।
करियर
18 वर्ष की उम्र में उन्होने अपने छात्रजीवन में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आये।
सन 1942 में भारतीय सेना में सेवा (कमीशन) का प्रस्ताव ठुकराते हुए उन्होने आर एस एस के प्रचारक के रूप में देश की सेवा करने की शपथ ली।
1944 में मधोक जी श्रीनगर के पीजीडीएवी कॉलेज में प्रोफेसर बने। 1948 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना की।
1951 में जनसंघ की स्थापना और हुई और श्यामाप्रसाद मुखर्जी के संपर्क में आए।
Balraj Madhok 1966 में जनसंघ के अध्यक्ष बने।
फरवरी, 1973 में कानपुर में जनसंघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सामने एक नोट पेश किया। उस नोट में मधोक ने आर्थिक नीति, बैंकों के राष्ट्रीयकरण पर जनसंघ की विचारधारा के उलट बातें कही थीं।
इसके अलावा उन्होने कहा था कि जनसंघ पर आरएसएस का असर बढ़ता जा रहा है।
मधोक ने संगठन मंत्रियों को हटाकर जनसंघ की कार्यप्रणाली को ज्यादा लोकतांत्रिक बनाने की मांग भी उठाई थी।
लालकृष्ण आडवाणी उस समय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।

वे मधोक की इन बातों से इतने नाराज हो गए कि आडवाणी ने मधोक को पार्टी का अनुशासन तोड़ने और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से उन्हें तीन साल के लिये पार्टी से बाहर कर दिया गया। इस घटना से बलराज मधोक इतने आहत हुए थे कि फिर कभी नहीं लौटे।
मधोक जनसंघ के जनता पार्टी में विलय के खिलाफ थे।
1979 में उन्होंने ‘अखिल भारतीय जनसंघ’ को जनता पार्टी से अलग कर लिया।
उन्होंने अपनी पार्टी को बढ़ाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन सफलता हासिल नहीं हुई। उन्होने लगभग 30 पुस्तकें लिखी।
पुस्तकें
- विभाजित भारत में मुस्लिम समस्या का पुनरोदय
- कश्मीर : जीत में हार
- खण्डित कश्मीर
- जीत या हार
- डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी – एक जीवनी
- कश्मीर : सेंटर ऑफ़ न्यू अलाइन्मेंट्स
- पाकिस्तान : आदि और अन्त
- Hindustan on the Cross Roads
- Portrait of a Martyr (Biography of Shyama Prasad Mukerjee),
- Kashmir: The Storm Center of The World,
- Bungling in Kashmir,
- Kargil and Indo-Pak Relations,
- Rationale of Hindu State, etc.
पुरस्कार
- Balraj Madhok को 2011 में वाकणकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- उन्हे 2012 में वीर सावरकर पुरस्कार से नवाजा गया।
मृत्यु
Balraj Madhok की मृत्यु 96 वर्ष की आयु में 2 मई 2016 को हुई।