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बलराम जाखड़ की जीवनी – Balram Jakhar Biography Hindi

बलराम जाखड़ (English – Balram Jakhar) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष थे। वे मध्य प्रदेश राज्य के राज्यपाल भी रहे हैं। ने सातवीं लोक सभा के लिए अपने सर्वप्रथम निर्वाचन के तुरन्त बाद अध्यक्ष पद प्राप्त करके अपने संसदीय जीवन की शुरूआत करने का गौरव प्राप्त किया। उन्होने समकालीन भारतीय राजनीति पर “पीपुल, पार्लियामेंट एण्ड एडमिनिस्ट्रेशन” नामक प्रामाणिक पुस्तक लिखी है।

बलराम जाखड़ की जीवनी – Balram Jakhar Biography Hindi

Balram Jakhar Biography Hindi
Balram Jakhar Biography Hindi

संक्षिप्त विवरण

नामबलराम जाखड़
पूरा नाम, अन्य नाम
बलराम जाखड़
जन्म23 अगस्त 1923
जन्म स्थान पंजकोसी गांव, फिरोज़पुर ज़िला, पंजाब
पिता का नाम
माता का नाम
राष्ट्रीयता भारतीय
मृत्यु
3 फरवरी, 2016
जाति

जन्म

बलराम जाखड़ का जन्म 23 अगस्त 1923 को पंजाब राज्य के फिरोजपुर ज़िले में पंजकोसी गांव में हुआ था।

शिक्षा

उन्होंने वर्ष 1945 में फॉरमेन क्रिश्चियन कालेज, लाहौर से संस्कृत ऑनर्स में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वह, वस्तुतः बहुभाषाविद् हैं और उन्हें अंग्रेज़ी, संस्कृत, हिन्दी, उर्दू और पंजाबी का गहन ज्ञान है।

करियर

Balram Jakhar मूलतः एक कृषक और विशेष रूप से फलोद्यानी हैं। स्नातक स्तर तक शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात् उन्होंने अपने कृषि के पारिवारिक व्यवसाय को अपनाया तथा अपनी कृषि-भूमि पर फलों और अंगूरों के बागों के विकास के लिए आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया। अनेक वर्षों तक कठोर परिश्रम करके वह अरसे से बंजर पड़ी ज़मीनों को हरे-भरे चरागाहों तथा फलते-फूलते फलोद्यानों और अंगूरों के बागों में परिवर्तित करने में सफल हुए जिससे उनकी पैदावार कई गुणा बढ़ गई। फल उगाने के क्षेत्र में जाखड़ की सेवाओं को राष्ट्रीय मान्यता तब प्राप्त हुई, जब वर्ष 1975 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा “ऑल इंडिया उद्यान पंडित” की उपाधि प्रदान की गई। इसी वर्ष उन्हें वाशिंगटन में कृषि उत्पादकों के अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने वाले कृषक शिष्टमंडल के नेतृत्व के लिए चुना गया। इसी अवधि के दौरान वह पंजाब सहकारी अंगूर उत्पादक महासंघ तथा राज्य के कृषक मंच के अध्यक्ष भी चुने गए। कृषि के क्षेत्र में उनके योगदान को मान्यता प्रदान करते हुए उन्हें हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार द्वारा क्रमशः “डॉक्टर ऑफ साइंस” और “विद्या मार्तण्ड” की मानद उपाधियां प्रदान की गईं।

राजनीतिक करियर

कृषक समुदाय के बीच उनकी नेतृत्व की भूमिका ने ही अन्ततः श्री बलराम जाखड़ को राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय राजनीतिक भूमिका निभाने के लिए अग्रसर किया। जाखड़ वर्ष 1972 में पंजाब विधान सभा के लिए निर्वाचित हुए और तब ही से उनका विधायी जीवन शुरू हुआ। विधान सभा के लिए उनके निर्वाचन के एक वर्ष के भीतर ही उन्हें सहकारिता, सिंचाई और विद्युत उपमंत्री के रूप में मंत्रिपरिषद में शामिल कर लिया गया। वह वर्ष 1977 तक मंत्री रहे। वर्ष 1977 में विधान सभा के लिए दोबारा निर्वाचित होने पर उन्हें कांग्रेस (इ.) विधान मंडल पार्टी के नेता के रूप में चुन लिया गया और उस हैसियत से उन्हें पंजाब विधान सभा में विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। इस पद पर वह जनवरी 1980 में तब तक रहे जब उन्हें फिरोजपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से सातवीं लोक सभा के लिए चुना गया। इस दौरान, पंजाब के मामलों में एक राजनीतिक कार्यकर्ता, विधायक, मंत्री और विपक्ष के नेता के रूप में अपनी सक्रिय भूमिका के माध्यम से जाखड़ पहले ही अपने आप को एक दूरदर्शी और सक्षम प्रशासक सिद्ध कर चुके थे।

लोकसभा अध्यक्ष

Balram Jakhar को 22 जनवरी, 1980 को सातवीं लोक सभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। यद्यपि जाखड़ को पीठासीन अधिकारी के रूप में पिछला कोई अनुभव नहीं था, तथापि उन्हें सौंपी गई नई भूमिका के बहुत बड़े उत्तरदायित्व से वह बिल्कुल भी विचलित नहीं हुए। अपने यथार्थपरक भूमिका-बोध, स्वयं में पूर्ण विश्वास और अपनी सहज सामान्य सूझ-बूझ के द्वारा जाखड़ सभा के पीठासीन अधिकारी के रूप में अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करते रहे। उन्हें इस बात की पूरी जानकारी थी कि अध्यक्ष का पद उस लोक सभा के सुचारू और प्रभावी कार्यकरण में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें विविध भाषा, संस्कृति, धर्म, क्षेत्र और सामाजिक-राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले सदस्य चुनकर आते हैं। उन्होने सातवीं लोक सभा में सदन की कार्यवाही का जिस तरीके से संचालन किया, उसकी सर्वत्र सराहना की गई और वह सभा के सभी वर्गों के प्रिय बन गए। इसलिए, दिसम्बर, 1984 के आम चुनाव में उनके इस बार राजस्थान के सीकर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से लोक सभा के लिए पुनः निर्वाचित होने पर वह नई सभा की भी अध्यक्षता करने के लिए स्वाभाविक पसंद बने। 16 जनवरी, 1985 को उन्हें एक बार फिर सर्वसम्मति से आठवीं लोक सभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। दिसम्बर, 1989 में आठवीं लोक सभा का कार्यकाल पूरा होने पर जब जाखड़ ने अध्यक्ष पद का त्याग किया तो उन्हें स्वतंत्र भारत में लगातार दो बार लोक सभा की पूर्ण अवधि के लिए बने रहने वाले एक मात्र अध्यक्ष का अनूठा गौरव प्राप्त हुआ। यह अवधि (अर्थात् 22 जनवरी, 1980 से 18 दिसंबर, 1989 तक) एक दशक से मात्र एक माह कम थी।

अध्यक्ष कार्यकाल

अध्यक्ष के रूप में Balram Jakhar के कार्यकाल में लोक सभा में अनेक प्रक्रियात्मक नवीनताएं और पहल भी देखने को मिलीं। सन् 1952 के बाद पहली बार, अध्यक्ष बलराम जाखड़ की पहल पर सन् 1989 में लोक सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमों की विस्तृत समीक्षा की गयी और मई, 1989 में उनमें अनेक परिवर्तन शामिल किये गये। उनके कार्यकाल के दौरान सन् 1985 में संसद द्वारा दल-बदल विरोधी क़ानून पारित किया गया जिसके अन्तर्गत सदस्यों को दल-बदल के आधार पर निरर्ह करने का उपबंध किया गया था। लोक सभा सदस्य (दल-बदल के आधार पर निरर्ह किया जाना) नियम, 1985 को 18 मार्च, 1986 से लागू किया गया।

कृषि मंत्री

वर्ष 1991 के आम चुनावों में बलराम जाखड़ सीकर निर्वाचन क्षेत्र से लोक सभा के लिए एक बार फिर निर्वाचित हुए और नई सरकार में कृषि मंत्री बने। वर्ष 1991-96 की अवधि के दौरान केन्द्रीय कृषि मंत्री के रूप में जाखड़ की मुख्य चिंता भारतीय किसानों, जिनकी संख्या देश की कुल जनसंख्या का लगभग 80 प्रतिशत है, के हितों की रक्षा करना था। उन्होंने किसानों के हितों को संसद तथा सरकार के समक्ष सफलतापूर्वक रखा तथा उनकी रक्षा की। उन्होंने सरकार द्वारा, जिसका वह भी एक हिस्सा थे, शुरू किये गए अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के कारण किसानों को दी जाने वाली राज-सहायता में कटौती करने के राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय, दोनों प्रकार के दबावों का कड़ा प्रतिरोध किया। उनका दृढ़ विश्वास था कि देश के किसानों की कीमत पर उद्योगों को प्रोत्साहन नहीं देना चाहिए। कृषि मंत्री के रूप में अनेक शिष्टमण्डलों का अन्य देशों में नेतृत्व करने के अलावा उन्होंने मात्स्यिकी तथा कृषि से संबंधित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

मध्य प्रदेश के राज्यपाल

कांग्रेस तथा राष्ट्रीय राजनीति में एक वरिष्ठ नेता तथा प्रतिष्ठित सांसद होने के अलावा जाखड़ मध्य प्रदेश के राज्यपाल (30 जून, 2004 से 29 जून, 2009) भी राज्यपाल भी रहे और साथ ही साथ भारत कृषक समाज के अध्यक्ष तथा जलियावाला बाग स्मारक न्यास की प्रबंध समिति के अध्यक्ष भी रहे हैं।

पुरस्कार

उन्हे उपाधि ऑल इंडिया उद्यान पंडित, ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ और ‘विद्या मार्तण्ड’ जैसे कई पुरस्कारों से नवाजा गया।

मृत्यु

बलराम जाखड़  की मृत्यु  93 वर्ष की आयु में 3 फरवरी, 2016 में हुआ। वे काफ़ी लंबे समय से ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी से जूझ रहे थे।

Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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