बनारसी दास गुप्ता हरियाणा राज्य के भूतपूर्व मुख्यमंत्री थे। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी होते हुए भी सामाजिक, राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन को अपने अंदाज़ में जिया। बनारसी दास गुप्ता हिन्दी भाषा के पक्षधर और यथार्थवादी आदर्श जननायक थे। उन्होंने राष्ट्रीय एकता और अखंडता को मजबूत बनाकर हरियाणा की प्रगति में अपना बहुमूल्य योगदान दिया था। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको बनारसी दास गुप्ता की जीवनी -Banarsi Das Gupta Biography Hindi के बारे में बताएगे।
बनारसी दास गुप्ता की जीवनी -Banarsi Das Gupta Biography Hindi
जन्म
बनारसी दास गुप्ता का जन्म 5 नवम्बर, 1917 ई. में हरियाणा के भिवानी नामक स्थान पर हुआ था।
शिक्षा
उनकी शिक्षा कितलाना, चरखी दादरी और पिलानी में हुई। उन्होंने ‘बिड़ला कॉलेज’, पिलानी में शिक्षा प्राप्त की थी। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और पण्डित जवाहरलाल नेहरू के प्रभाव से वे देशी रियासतों की दमनकारी नीति का विरोध करने के लिए प्रजामंडल आंदोलन में भाग लेने लगे थे। बनारसी दास गुप्ता जी की गतिविधियां देखकर जींद रियासत में उन्हें 1941 ई. में गिरफ्तार करके फरीदकोट जेल में बंद कर दिया था। ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भी बनारसी दास गुप्ता ने भाग लिया और 1942 से 1944 तक वे जेल में बंद रहे
करियर
- आज़ादी के बाद बनारसी दास ने जींद को भारत में शामिल करने के लिए आंदोलन शुरू कर दिये थे और वहां समानंतर सरकार बनाई। तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल द्वारा जींद को पंजाब में सम्मिलित करने के समझौते के बाद ही यह आंदोलन खत्म हुआ था।
- 1968 के मध्यावधि चुनावों में भिवानी विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए।
- 1972 में फिर से विधायक बने एवं सर्वसम्मति से विधान सभा के अध्यक्ष चुने गए।
- गुप्ता जी बिजली एवं सिंचाई, कृषि, स्वास्थ्य आदि विभिन्न विभागों के मंत्री रहे।
- 1975 में इन्हें हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया गया।
- 1987 में एक बार फिर भिवानी से विधायक बने और उप-मुख्यमंत्री चुने गए।
- 1989 में एक बार फिर हरियाणा के उपमुख्यमंत्री रहे।
- सितम्बर 1990 में बनारसी दास जी पर एक जानलेवा हमला भी हुआ था।
- 1996 में उन्हे राज्य सभा के लिये चुने गए थे।
बनारसी दास जी द्वारा कई धार्मिक संस्थाओं की स्थापना की गई। वे छुआछूत के घोर विरोधी थे। उनके योग प्रेम एवं प्रकृति प्रेम के कारण ही भिवानी में प्राकृतिक चिकित्सालय की स्थापना हुई। उनके सहयोग से भिवानी में कई शैक्षणिक संस्थाएं अस्तित्व में आईं। एक जननेता, समाजसेवी और शिक्षाविद होने के साथ ही उनका एक रूप पत्रकार का भी रहा, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं। बनारसी दास जी कई सालों तक साप्ताहिक ‘अपना देश’, ‘हरियाणा केसरी’ और ‘हरियाणा कांग्रेस पत्रिका’ के सम्पादक रहे। ‘पंचायती राज – क्यों और केसे‘ के नाम से उन्होने एक पुस्तक लिखी थी, जो बहुत लोकप्रिय हुई। कई साहित्यिक संस्थाओं से भी वे जुड़े रहे। उनकी अध्यक्षता में ‘हरियाणा प्रदेश साहित्य समिति’ ने कई ऊल्लेखनीय कार्य किये।
मृत्यु
बनारसी दास गुप्ता की मृत्यु 29 अगस्त 2007 को हुई थी।