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बैरिस्टर छेदीलाल की जीवनी – Barrister Thakur Chhedilal Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको बैरिस्टर छेदीलाल की जीवनी – Barrister Thakur Chhedilal Biography Hindi के बारे में बताएगे।

बैरिस्टर छेदीलाल की जीवनी – Barrister Thakur Chhedilal Biography Hindi

बैरिस्टर छेदीलाल बिलासपुर के प्रथम बैरिस्टर थे।

सन 1930 से 1931 में छेदीलाल यहां कौशल, विदर्भ और नागपुर की संयुक्त कांग्रेस समिति के अध्यक्ष नियुक्त हुए।

1941-42 के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई तथा जेल भी गए।

छेदीलाल ने हालैंड का स्वाधीनता का इतिहास नामक पुस्तक लिखकर खूब यश कमाया।

श्री ठाकुर सेवा समिति पत्रिका का सम्पादन तथा गुरुकुल-कांगड़ी में इतिहास के प्राध्यापक भी रहे थे।

जन्म

बैरिस्टर छेदी लाल  का जन्म 1886 को तीज के दिन अकलतारा के जमीदार परिवार में हुआ था।

उनके पिता का नाम श्री पचकोड सिंह था।

शिक्षा

बैरिस्टर छेदीलाल में प्रयाग के म्योर कॉलेज से इंटरमीडिएट करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए ऑक्सफोर्ड चले गए।

वहां पर उन्होंने इतिहास में एम. ए., एल. एल. बी. और बार-एट -लॉ की उपाधि प्राप्त की।

उन्हे हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू और संस्कृत की भाषा में वे काफी निपुण थे।

करियर – बैरिस्टर छेदीलाल की जीवनी

लंदन में ही में ‘इंडिया हाउस’ नामक क्रांतिकारी संगठन के संपर्क में आए और फ्रांस में उन्होंने बम निर्माण का प्रशिक्षण लिया। 1919 से वे स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहे। 1921 में बनारस वि.वि.और 1922 में गुरुकुल कांगड़ी में कुछ समय तक अध्यापन का कार्य भी किया। इसके बाद 1926 तक प्रयाग की सेवा समिति में संचालक के रूप में रहे।

उन्होंने अपनी विद्वता से कानून के क्षेत्र में बहुत कीर्ति अर्जित की। लेकिन उनका राष्ट्र प्रेमी मन शीघ्र ही विचलित हो गया और वे वकालत छोड़ कर सक्रिय राजनीति में उतर गए। श्रमिकों में जागृति फैलाने के लिए 1927 से 1932 तक उन्होने श्रा वी.वी. गिरी के सानिध्य में बंगाल भानपुर रेलवे श्रमिक संघ के उच्च पदों को सुशोभित किया। और जल्द ही अपनी योग्यता और अद्भुत साहस से अंत प्रांतीय राजनीतिज्ञों के प्रमुख बन गए। शुरुआत में उनका झुकाव स्वराज्य पार्टी की ओर रहा लेकिन 1928 में उन्होंने गांधी जी से प्रभावित होकर कांग्रेस की ओर अपना रास्ता कर लिया।

बिलासपुर अंचल में जागृति फैलाने के लिए उन्होंने रामलीला के मंच से राष्ट्रीय रामायण का अभिनव प्रयोग किया। 1932 में असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण उनको ₹2500 अर्थदंड देना पड़ा। उन्होंने 1932 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य तथा 1932 में कांग्रेस समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। सविनय अवज्ञा आंदोलन में उन्होने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने मुंगेली  के किसान कतनामियों को राजनीति में लाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उनका  का कार्य मुख्य रूप से जनता के बीच में था। 1937 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में विजय होने पर विधायक रहे तथा 1946 में सविधान सभा के सदस्य भी रहे।

मृत्यु

1953 में बैरिस्टर छेदीलाल की मृत्यु हो गई थी।

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