भगवान शिव की जीवनी – God Shiva Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको भगवान शिव की जीवनी – God Shiva Biography Hindi के बारे में बताएगे।

भगवान शिव की जीवनी – God Shiva Biography Hindi

भगवान शिव की जीवनी
भगवान शिव की जीवनी

शिव या महादेवआरण्य संस्कृति जो आगे चल कर सनातन संस्कृति में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है।

वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं।

इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि  कई नामों से भी जाना जाता है।

तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है।

 

जन्म – भगवान शिव की जीवनी

उस कालरूपी ब्रह्म सदाशिव ने एक ही समय शक्ति के साथ ‘शिवलोक’ नामक क्षेत्र का निर्माण किया था। उस उत्तम क्षेत्र को ‘काशी’ कहते हैं। वह मोक्ष का स्थान है।

यहां शक्ति और शिव अर्थात कालरूपी ब्रह्म सदाशिव और दुर्गा यहां पति और पत्नी के रूप में निवास करते हैं। यही पर जगतजननी ने शंकर को जन्म दिया। इस मनोरम स्थान काशीपुरी को प्रलयकाल में भी शिव और शिवा ने अपने सान्निध्य से कभी मुक्त नहीं किया था।

भगवान शिव हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं,और पुत्री अशोक सुंदरी हैं।

शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराज मान हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है।

काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार

भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए प्र्सिध हैं। अन्य देवों से शिव को अलग माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव ही हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं।

शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। राम, रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि  कई इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है।

भगवान शिव विरोधी भावों का सामंजस्य देखने को मिलता है। शिव के मस्तक पर एक ओर चंद्र है, तो दूसरी ओर महाविषधर सर्प भी उनके गले का हार है। वे अर्धनारीश्वर होते हुए भी कामजित हैं। गृहस्थ होते हुए भी श्मशानवासी, वीतरागी हैं। सौम्य, आशुतोष होते हुए भी भयंकर रुद्र हैं।

शिव परिवार भी इससे अछूता नहीं हैं। उनके परिवार में भूत-प्रेत, नंदी, सिंह, सर्प, मयूर व मूषक सभी का समभाव देखने को मिलता है। वे स्वयं द्वंद्वों से रहित सह-अस्तित्व के महान विचार का परिचायक हैं। ऐसे महाकाल शिव की आराधना का महापर्व है शिवरात्रि।

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शिव के नंदी गण

  • नंदी
  • भृंगी
  • रिटी
  • टुंडी
  • श्रृंगी
  • नन्दिकेश्वर

भगवान शिव की अष्टमूर्ति

  • क्षितिमूर्ति –सर्व
  •  जलमूर्ति –भव
  • अग्निमूर्ति –रूद्र
  • वायुमूर्ति –उग्र
  • आकाशमूर्ति –भीम
  • यजमानमूर्ति –पशुपति
  • चन्द्रमूर्ति –महादेव
  • सूर्यमूर्ति –ईशान

शिव के नाम – भगवान शिव की जीवनी

हिन्दू धर्म में भगवान शिव को कई नामों से पुकारा जाता है

  • महादेव – महादेव का अर्थ है महान ईश्वरीय शक्ति।
  • भोलेनाथ – भोलेनाथ का अर्थ है कोमल हृदय, दयालु व आसानी से माफ करने वालों में अग्रणी। यह विश्वास किया जाता है कि भगवान शंकर आसानी से किसी पर भी प्रसन्न हो जाते हैं।
  • महाकाल अर्थात समय के देवता, यह भगवान शिव का ही एक रूप है जो ब्राह्मण के समय आयामो को नियंत्रित करते है।
  • रूद्र – रूद्र से अभिप्राय जो दुखों का निर्माण व नाश करता है।
  • पशुपतिनाथ – भगवान शिव को पशुपति इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह पशु पक्षियों व जीवआत्माओं के स्वामी भी हैं
  • अर्धनारीश्वर – शिव और शक्ति के मिलन से अर्धनारीश्वर नाम प्रचलित हुआ
  • लिंगम – पूरे ब्रह्मांड का प्रतीक है।
  • नटराज – नटराज को नृत्य का देवता माना जाता है क्योंकि भगवान शिव तांडव नृत्य के प्रेमी है। “शिव” शब्द का अर्थ “शुभ, स्वाभिमानिक, अनुग्रहशील, सौम्य, दयालु, उदार, मैत्रीपूर्ण” होता है। लोक व्युत्पत्ति में “शिव” की जड़ “शि” है जिसका अर्थ है जिन में सभी चीजें व्यापक है और “वा” इसका अर्थ है “अनुग्रह के अवतार”। ऋग वेद में शिव शब्द एक विशेषण के रूप में प्रयोग किया जाता है, रुद्रा सहित कई ऋग्वेदिक देवताओं के लिए एक विशेषण के रूप में। शिव शब्द ने “मुक्ति, अंतिम मुक्ति” और “शुभ व्यक्ति” का भी अर्थ दिया है।  इस विशेषण का प्रयोग विशेष रूप से साहित्य के वैदिक परतों में कई देवताओं को संबोधित करने के लिए किया गया है। यह शब्द वैदिक रुद्रा-शिव से महाकाव्यों और पुराणों में नाम शिव के रूप में विकसित हुआ, एक शुभ देवता के रूप में, जो “निर्माता, प्रजनक और संहारक” होता है।

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