भजन लाल तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। वे हरियाणा के छठे मुख्यमंत्री थे। वह पहली बार 1979 में फिर से 1982 और 1991 में हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे। वह एक बार केंद्रीय कृषि मंत्री रह चुके थे। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको भजन लाल की जीवनी – Bhajan Lal Biography Hindi के बारे में बताएगे।
भजन लाल की जीवनी – Bhajan Lal Biography Hindi
जन्म
भजनलाल का जन्म 6 अक्टूबर 1930 को ब्रिटिश भारत के बहावलपुर रियासत के कोरानवाली गाँव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। वो एक बिश्नोई परिवार से थे। उन्होंने जसमादेवी से विवाह किया , जिनसे उनके दो बेटे हुए – चंद्र मोहन बिश्नोई और कुलदीप बिश्नोई और एक बेटी रोशनी हुई। उन्होंने अपने पेशे की शुरुआत हिसार जिले के आदमपुर शहर में एक व्यापारी के रूप में की और बाद में आदमपुर (विधानसभा क्षेत्र) से राजनीति में प्रवेश किया।
करियर
उन्होंने अपना राजनीतिक करियर आदमपुर ग्राम पंचायत में एक पंच के रूप में शुरू किया था और बाद में उसी पंचायत में सरपंच बने। अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति और समर्पण की बदौलत वह दो दशक तक हरियाणा की राजनीति के शिखर पुरुष बने रहे। भजनलाल दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। पहली बार 28 जून 1979 से 5 जुलाई 1985 तक और दूसरी बार 23 जुलाई 1991 से 11 मई 1996 तक।
भजन लाल 1968 में बंसीलाल सरकार में शामिल हुए और लम्बे समय तक उनके संकट मोचक बने रहे। 1972 के विधानसभा चुनाव के बाद वह राज्य के मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार के रूप में सामने आए। इसके बाद 1975 में उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया। हालांकि अपनी जोड़तोड़ की कला की बदौलत वे 1979 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और बाद में 1980 में पूरे जनता पार्टी विधायक दल का कांग्रेस आई में दलबदल करा दिया।
उनका राजनीतिक सफर हरियाणा तक ही सीमित नहीं रहा। उन्होंने केंद्र में कांग्रेस नीत सरकार में कई पदों पर योगदान दिया। राजीव गांधी के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में उन्होंने कृषि, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के कामकाज संभाले। गैर जाट समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले भजनलाल लम्बे समय तक हरियाणा की राजनीति के केंद्र में रहे।
हरियाणा में 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद राज्य इकाई में गंभीर मतभेद उभर कर सामने आए। इस समय भूपिन्दर सिंह हुडा (जाट) को भजनलाल के स्थान पर राज्य का मुख्यमंत्री चुना गया। साल 2007 में उन्होंने आधिकारिक रूप से कांग्रेस से अलग होने और नयी पार्टी बनाने की घोषणा की और इसका नाम हालांकि रखा।
साल 2008 में कांग्रेस ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए भजनलाल को पार्टी से निलंबित कर दिया। 2009 का लोकसभा चुनाव भजनलाल के राजनीतिक सफर का एक महत्वपूर्ण पड़ाव था जहां उन्होंने प्रदेश के दो प्रमुख नेताओं सम्पत सिंह और जयप्रकाश (जे.पी.)को पराजित किया।
उनके छोटे पुत्र चंद्रमोहन उस समय सुखिर्यों में आ गए जब उन्होंने दूसरे विवाह के लिए दिसंबर 2008 में इस्लाम कबूल कर लिया और बाद में 2009 में फिर हिन्दू धर्म अपनाया।
मृत्यु
भजनलाल को दिल का दौरा पड़ने से 3 जून 2011 को हिसार में उनकी मृत्यु हो गई।