भानु अथैया जी एक भारतीय पोशाक डिज़ाइनर है उन्होंने 1950 से लेकर अब तक 100 से अधिक फिल्मों में काम किया है। जिनमें से गुरूदत्त, यश चोपड़ा, राज कपूर, आशुतोष गोवारिकर और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के जाने-माने फिल्मकार भी शामिल है. उन्हें अपने करियर में कई पुरस्कार मिले हैं. उन्हें ‘गांधी’ फिल्म के लिए अकादमी पुरस्कार जीता. भानु अथैया अकादमी पुरस्कार पाने वाली पहली भारतीय महिला बनी तो आइए आज हम आपको इस आर्टिकल में भानु अथेय्या की जीवनी – Bhanu Athaiya Biography Hindi के बारे में बताएंगे
भानु अथेय्या की जीवनी – Bhanu Athaiya Biography Hindi
जन्म
भैया का जन्म भानु अथैया का जन्म 28 अप्रैल 1929 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था. उनके पिता का नाम भानुमति अन्नासाहेब राजोपाध्याय था और उनकी माता का नाम शांताबाई राजोपाध्याय था. भानु अथैया इनके साथ संतानों में से तीसरी संतान थी. भानु अथैया के पिता एक चित्रकार थे. और जब अथैया 9 साल की थी तो उनके पिता की मृत्यु हो गई थी. अथैया की शादी हिंदी फिल्मों के कवि और सामियक गीतकार सत्येंद्र से हुई थी . कुछ समय बाद में भानु जी इस शादी से अलग हो गई और उन्होंने दोबारा कभी शादी नहीं की. उनकी एक बेटी भी है जो वर्तमान में कोलकाता में अपने परिवार के साथ रहती है. अथैया फिलहाल मुंबई में रहती है.
शिक्षा
भानु अथैया के कला में शिक्षा जल्दी शुरू हो गई. एक आर्ट टीचर उसे ड्राइंग सिखाने के लिए घर पर आती थी. इसके बाद में अपने स्कूली शिक्षा समाप्त करने के बाद उन्होंने सर जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट, मुंबई में दाखिला लिया. उन्होंने सिर्फ कला के साथ ललित कला में स्नातक किया और स्वर्ण पदक और फैलोशिप जीती. भानु अथैया को प्रोग्रेसिव आर्टिस्टस ग्रुप का सदस्य नामित किया गया। जिसकी स्थापना फ्रांसिस न्यूटन सूजा ने की थी.
करियर
अथैया ने अपने करियर की शुरुआत मुंबई की कई महिला पत्रिकाओं के लिए ‘ईवीएस वीकली’ सहित फ्रीलांस फैशन इलस्ट्रेटर के रूप में की थी. इसके बाद में जब इसके संपादक ने एक बुटीक खोला तो उसने भानु को कपड़े डिजाइन करने का प्रयास करने के लिए कहा इसके बाद उसने कपड़े डिजाइन करना शुरू कर दिया. एक डिजाइनर के रूप में उनकी सफलता ने जल्द ही उनके करियर के लिए रास्ते ही बदल दिए. उनका करियर गुरुदत्त की फिल्मों के लिए कपड़े डिजाइन करने से शुरू हुआ। जिसकी शुरुआत सीआईडी 1956 में हुई थी। इसके बाद जल्द ही वे गुरुदत्त टीम का हिस्सा बन गई.
1956 में,उन्होंने फिल्म सीआइडी के साथ फिल्म कॉस्ट्यूम डिजाइनर के रूप में अपनी शुरुआत की और प्यासा (1957), चौदहवीं का चांद (1960) और साहिब बीबी और गुलाम (1962) जैसे अन्य गुरुदत्त क्लासिक्स के साथ इसका अनुसरण किया। उन्हे 50 साल के अपने करियर में कई पुरस्कार मिले हैं। उन्होंने 1982 की फिल्म, गांधी में अपने काम के लिए सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम डिज़ाइन (जॉन मोल्लो के साथ साझा) के लिए अकादमी पुरस्कार जीता था । वह अकादमी पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय बनीं। उन्होंने 1991 में और 2002 में दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीते। मार्च 2010 में, अथैया ने हार्पर कॉलिंस द्वारा प्रकाशित अपनी पुस्तक द आर्ट ऑफ़ कॉस्ट्यूम डिज़ाइन जारी की।13 जनवरी 2013 को, अथैया ने दलाई लामा को पुस्तक की एक प्रति भेंट की। 23 फरवरी 2012 को, यह बताया गया कि अथैया ने एकेडमी अवार्ड को द एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज में वापस करना चाहा क्योंकि उन्हें लगा कि उनके निधन के बाद उनका परिवार ट्रॉफी नहीं संभाल पाएगा। 15 दिसंबर 2012 को, यह पुष्टि की गई कि ट्रॉफी अकादमी में वापस आ गई थी। “
पुरस्कार एवं नामांकन
- 1982 में भानू ने रिचर्ड एटनबरो की अंतरराष्ट्रीय फिल्म ‘गांधी’ के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइन किया.
- उन्होंने आमिर खान की फिल्म ‘लगान’ ( 2001) और ‘लेकिन’ के लिए दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया.
- भानु ने शाहरुख की फिल्म स्वदेस के लिए काम किया था.
- भानु ने कॉस्टयूम डिजाइन पर 2010 में ‘The Art Of Costume Design’ के नाम से एक किताब भी लिखी है.
- उन्होंने 100 से ज्यादा फिल्मों के लिए कपड़े डिजाइन कर चुकी हैं.
- फिल्म प्यासा, चौहदवीं का चांद और साहब बीवी और गुलाम जैसी फिल्मों के लिए कपड़े डिजाइन कर भानु ने अपना नाम रोशन किया.