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भीमराव अंबेडकर की जीवनी – Bhimrao Ambedkar Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको भीमराव अंबेडकर की जीवनी – Bhimrao Ambedkar Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

भीमराव अंबेडकर की जीवनी – Bhimrao Ambedkar Biography Hindi

भीमराव अंबेडकर की जीवनी

Bhimrao Ambedkar भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और
समाज सुधारक थे।

चिंतक, समाज सुधारक बाबा साहेब अंबेडकर का जन्म 1891 में मध्यप्रदेश के महू
में हुआ था।

1915 में लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से m. a. की डिग्री मिली .

उन्होने गरीबों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए बहिष्कृत
भारत, मूकनायक, जनता
नाम जैसे साप्ताहिक पत्र निकाले।

वे पहले कानून मंत्री बने।

1951 में संसद में हिंदू कोड बिल मसौदे को रोक के जाने के बाद नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया।

14 अक्टूबर 1956 को अपने समर्थकों के साथ पंचशील को अपनाते हुए बौद्ध धर्म ग्रहण किया।

भीमराव अंबेडकर को महाशक्तियों के दलित आंदोलन की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है अपनी महत्वपूर्ण उपलब्धियों तथा देश की अमूल्य सेवा के फलस्वरूप डॉ आंबेडकर
को आधुनिक युग का मनु कहते सम्मानित किया गया है।

जन्म

भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मऊ, मध्य प्रदेश में हुआ था।

आम्बेडकर के दादा का नाम मालोजी सकपाल था, तथा पिता का नाम रामजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था। वे अपने माता-पिता के 14वीं औरअंतिम संतान थे.1896 में आम्बेडकर जब पाँच वर्ष के थे तब उनकी माँ की मृत्यू हुई थी। इसलिए उन्हें बुआ मीराबाई संभाला था, जो उनके पिता की बडी बहन थी। मीराबाई के कहने पर रामजी ने जीजाबाई से पुनर्विवाह किया, ताकि बालक भीमराव को माँ का प्यार मिल सके।

वे एक मराठी परिवार से थे तथा उनका पूरा नाम बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर था।

भीमराव का जन्म निम्न वर्ण की महार जाति में हुआ था ।

उस समय अंग्रेज निम्न वर्ण की जातियों से नौजवानों को फौज में भर्ती कर रहे थे अंबेडकर के पूर्वज लंबे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सेना में कार्य करते रहे और भीमराव के पिता रामजी अंबेडकर सूबेदार थे और कुछ समय तक एक फौजी स्कूल में अध्यापक के रूप में भी कार्य किया उनके पिता ने मराठी और अंग्रेजी में औपचारिक शिक्षा की डिग्री प्राप्त की शिक्षा का महत्व समझते थे और भीमराव के पढ़ाई-लिखाई पर उन्होंने काफी ध्यान दिया. अप्रैल 1906 में, जब भीमराव लगभग 15 वर्ष आयु के थे, तो नौ साल की लड़की रमाबाई से उनका विवाह  कर दिया गया । तब वे पांचवी अंग्रेजी कक्षा पढ रहे थे। उन दिनों भारत में बाल-विवाह का काफी प्रचलन था। रमाबाई और भीमराव को पाँच बच्चे भी हुए – जिनमें चार पुत्र – यशवंत, रमेश, गंगाधर, राजरत्न और एक पुत्री- इन्दु थी।

किंतु ‘यशवंत’ को छोड़कर सभी संतानों की बचपन में ही मृत्यु हो गई थीं।

विवाह

अपनी पहली पत्नी रमाबाई की लंबी बीमारी के बाद 1935 में निधन हो गया।

1940 के दशक के अंत में भारतीय संविधान के मसौदे को पूरा करने के बाद, वह नींद की कमी से पीड़ित थे, उनके पैरों में न्यूरोपैथिक दर्द था, और इंसुलिन और होम्योपैथिक दवाएं ले रहे थे। वह इलाज के लिए मुम्बई गए, और वहां डॉक्टर शारदा कबीर से मिले, जिनके साथ उन्होंने 15 अप्रैल 1948 को नई दिल्ली में अपने घर पर विवाह किया था। डॉक्टरों ने एक ऐसे जीवन साथी की सिफारिश की जो एक अच्छा खाना पकाने वाली हो और उनकी देखभाल करने के लिए चिकित्सा ज्ञान हो। डॉ॰ शारदा कबीर ने शादी के बाद सविता आम्बेडकर नाम अपनाया और उनके बाकी जीवन में उनकी देखभाल की। सविता आम्बेडकर, जिन्हें ‘माई’ या ‘माइसाहेब’ कहा जाता था, का 29 मई 2003 को नई दिल्ली के मेहरौली में 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

शिक्षा – भीमराव अंबेडकर की जीवनी

1913 से 1916 तक

करियर

1921 से 1946 तक

योगदान

रचनाएँ – भीमराव अंबेडकर की जीवनी

भीमराव आम्बेडकर प्रतिभाशाली और जुंझारू लेखक थे।

आम्बेडकर को पढने में काफी रूची थी तथा वे लेखन में भी रूची रखते थे।

इसके चलते उन्होंने मुंबई के अपने घर राजगृह में ही एक समृद्ध ग्रंथालय का निर्माण किया था, जिसमें उनकी 50 हजार से भी अधिक किताबें थी। अपने लेखन द्वारा उन्होंने दलितों व देश की समस्याओं पर प्रकाश डाला। उनके लिखे हुए महत्वपूर्ण ग्रंथो में, अनहिलेशन ऑफ कास्ट, द बुद्ध अँड हिज धम्म, कास्ट इन इंडिया, हू वेअर द शूद्राज?, रिडल्स इन हिंदुइझम आदि शामिल हैं। 32 किताबें और मोनोग्राफ 22 पुर्ण तथा 10 अधुरी किताबें है, 10 ज्ञापन, साक्ष्य और वक्तव्य, 10 अनुसंधान दस्तावेज, लेखों और पुस्तकों की समीक्षा एवं 10 प्रस्तावना और भविष्यवाणियां इतनी सारी उनकी अंग्रेजी भाषा की रचनाएँ हैं।

उन्हें 11 भाषाओं का ज्ञान था, जिसमें मराठी (मातृभाषा), अंग्रेजी, हिन्दी, पालि, संस्कृत, गुजराती, जर्मन, फारसी, फ्रेंच, कन्नड और बंगाली ये भाषाएँ शामील है।

आम्बेडकर ने अपने समकालिन सभी राजनेताओं की तुलना में सबसे अधिक लेखन किया हैं।

उन्होंने अधिकांश लेखन अंग्रेजी में किया हैं।

सामाजिक संघर्ष में हमेशा सक्रिय और व्यस्त होने के साथ ही, उनके द्वारा रचित अनेकों किताबें, निबंध, लेख एवं भाषणों का बड़ा संग्रह है। वे असामान्य प्रतिभा के धनी थे। उनके साहित्यिक रचनाओं को उनके विशिष्ट सामाजिक दृष्टिकोण, और विद्वता के लिए जाना जाता है, जिनमें उनकी दूरदृष्टि और अपने समय के आगे की सोच की झलक मिलती है। आम्बेडकर के ग्रंथ भारत सहित पुरे विश्व में बहुत पढे जाते है। भगवान बुद्ध और उनका धम्म यह उनका ग्रंथ ‘भारतीय बौद्धों का धर्मग्रंथ’ है तथा बौद्ध देशों में महत्वपुर्ण है। उनके डि.एस.सी. प्रबंध द प्रॉब्लम ऑफ द रूपी : इट्स ओरिजिन ॲन्ड इट्स सोल्युशन से भारत के केन्द्रिय बैंक यानी भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना हुई है।

1976 के बाद

महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा विभाग ने बाबासाहेब आंबेडकर के सम्पूर्ण साहित्य को कई खण्डों में प्रकाशित करने की योजना बनायी है और उसके लिए 15 मार्च 1976 को डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर मटेरियल पब्लिकेशन कमिटी कि स्थापना की। इसके अन्तर्गत 2019 तक ‘डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर: राइटिंग्स एण्ड स्पीचेज’ नाम से 22 खण्ड अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित किये जा चुके हैं, और इनकी पृष्ठ संख्या 15 हजार से भी अधिक हैं।

इस योजना के पहले खण्ड का प्रकाशन आम्बेडकर के जन्म दिवस 14 अप्रैल 1979 को हुआ।

इन 22 वोल्युम्स में वोल्युम 14 दो भागों में, वोल्युम 17 तीन भागों में, वोल्युम 18 तीन भागों में व संदर्भ ग्रंथ 2 हैं, यानी कुल 29 किताबे प्रकाशित हैं।1987 से उनका मराठी अनुवाद करने का काम ने सुरू किया गया है, किंतु ये अभीतक पूरा नहीं हुआ। ‘डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर: राइटिंग्स एण्ड स्पीचेस’ के खण्डों के महत्व एवं लोकप्रियता को देखते हुए भारत सरकार के ‘सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय’ के डॉ॰ आम्बेडकर प्रतिष्ठान ने इस खण्डों के हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करने की योजना बनायी और इस योजना के अन्तर्गत अभी तक “बाबा साहेब डा. अम्बेडकर: संपूर्ण वाङ्मय” नाम से 21 खण्ड हिन्दी भाषा में प्रकाशित किये जा चुके हैं।

यह 21 हिन्दी खंड महज 10 अंग्रेजी खंडो का अनुवाद हैं। इन हिन्दी खण्डों के कई संस्करण प्रकाशित किये जा चुके हैं। आंबेडकर का संपूर्ण लेखन साहित्य महाराष्ट्र सरकार के पास हैं, जिसमें से उनका आधे से अधिक साहित्य अप्रकाशित है। उनका पूरा साहित्य अभीतक प्रकाशित नहीं किया गया हैं, उनके अप्रकाशित साहित्य से 45 से अधिक खंड बन सकते हैं।

पुस्तकें

ज्ञापन, साक्ष्य और वक्तव्य – भीमराव अंबेडकर की जीवनी

अनुसन्धान दस्तावेज, लेख और पुस्तकों की समीक्षा

प्रस्तावना और भविष्यवाणियां

पत्रकारिता – भीमराव अंबेडकर की जीवनी

आम्बेडकर एक सफल पत्रकार एवं प्रभावी संपादक थे। उन्होंने पांच मराठी पत्रिकाओं का संपादन किया था, जिसमे मूकनायक (1920), जनता (1930), बहिष्कृत भारत (1927), समता (1928) एवं प्रबुद्ध भारत (1956) सम्मिलित हैं। इन पाँचो पत्रों में बाबासाहब ने देश के सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करते थे। साहित्यकार व विचारक गंगाधर पानतावणे ने 1987 में भारत में पहली बार आम्बेडकर की पत्रकारितापर पी.एच.डी. के लिए शोध प्रबंध लिखा। उसमें पानतावने ने आंबेडकर के बारे में लिखा हैं की, “इस मुकनायक ने बहिष्कृत भारत के लोगों को प्रबुद्ध भारत में लाया। बाबासाहब एक महान पत्रकार थे।” 

सम्मान और पुरस्कार

मृत्यु – भीमराव अंबेडकर की जीवनी

1948 से, आम्बेडकर मधुमेह से पीड़ित थे।

जून से अक्टूबर 1954 तक वो बहुत बीमार रहे इस दौरान वो कमजोर होती दृष्टि से ग्रस्त थे।

राजनीतिक मुद्दों से परेशान आम्बेडकर का स्वास्थ्य बद से बदतर होता चला गया और 1955 के दौरान किये गये लगातार काम ने उन्हें तोड़ कर रख दिया। अपनी अंतिम पांडुलिपि भगवान बुद्ध और उनका धम्म को पूरा करने के तीन दिन के बाद 6 दिसम्बर 1956 को 65 वर्ष में आम्बेडकर का महापरिनिर्वाण नींद में दिल्ली में उनके घर मे हो गया।

स्मारक व संग्रहालय

आम्बेडकर के स्मरण में विश्व भर में कई वास्तु स्मारक एवं संग्रहालय बनाये गये हैं। कई स्मारक ऐतिहासिक रुप से उनके जुडे हैं तथा संग्रहालयों में उनकी विभिन्न चिजो का संग्रह हैं।

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