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भीमसेन जोशी की जीवनी – Bhimsen Joshi Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको भीमसेन जोशी की जीवनी – Bhimsen Joshi Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

भीमसेन जोशी की जीवनी – Bhimsen Joshi Biography Hindi

भीमसेन जोशी की जीवनी

पंडित भीमसेन जोशी शास्त्रीय संगीत के हिंदुस्तानी संगीत शैली के सबसे प्रमुख गायकों में से एक है।

उन्होंने 19 साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था और वे सात दशकों तक शास्त्रीय संगीत गायन करते रहे।

उनकी योग्यता का आधार पर ही उनकी महान संगीत साधना है।

 

जन्म

पंडित भीमसेन जोशी का जन्म 4 फरवरी 1922 को गडग, कर्नाटक में हुआ था। उनका पूरा नाम पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी था।

उनके पिता का नाम गुरुराज जोशी था जो कि एक स्थानीय स्कूल के हेडमास्टर और कन्नड़ अंग्रेजी और संस्कृत के विद्वान थे और उनकी माता का नाम गोदावरी देवी था, जो की गृहणी थी।

वह अपने 16 भाई बहनों में सबसे बड़े थे। युवावस्था में उनकी मां की मृत्यु हो गई और बाद में उन्हें उनकी सौतेली माँ ने ही उनका पालन-पोषण किया था।

उनके चाचा जी. बी. जोशी एक चर्चित नाटककार थे तथा उन्होंने धारवाड़ की मनोहर ग्रंथमाला को प्रोत्साहित किया था। भीमसेन के दादा प्रसिद्ध कीर्तनकार थे।

भीमसेन जोशी ने 2 शादियां की थी उनके पहली पत्नी का नाम सुनंदा कट्टी था।

उनसे भीमसेन का विवाह 1944 में हुआ। सुनंदा से ने 4 बच्चे हुए थे, राघवेंद्र, उषा, सुमंगला, और आनंद

1951 में उन्होंने कन्नड नाटक भाग्यश्री में उनके सह-कलाकार वत्सला मुधोलकर से शादी की।

उस समय बंद प्रांत में हिंदुओं में दूसरी शादी करना कानूनी तौर पर अमान्य था।

इसलिए वे नागपुर चले गए जहां दूसरी शादी करना मान लिया था। वत्सला से उन्हें 3 बच्चे हुए, जयंत, शुभदा और श्रीनिवास जोशी।

शिक्षा – भीमसेन जोशी की जीवनी

पंडित भीमसेन जोशी को बचपन से ही संगीत का बहुत शौक था।

वह किराना घराने के संस्थापक अब्दुल करीम खान से बहुत प्रभावित थे।

1932 में वे गुरु की तलाश में घर से निकल पड़े और अगले 2 वर्षों तक रहे बीजापुर, पुणे और ग्वालियर में रहे। उन्होंने ग्वालियर के उस्ताद हाफिज अली खान से भी संगीत की शिक्षा ली।

लेकिन अब्दुल करीम खान के शिष्य पंडित रामभाऊ कुंडालकर से उन्होने शास्त्रीय संगीत की शुरूआती शिक्षा ली।

घर वापसी से पहले वह कलकत्ता और पंजाब भी गए।

करियर

1948 में 19 साल की आयु में उन्होंने अपना पहला लाइव परफॉर्मेंस दिया। पहले एल्बम में मराठी और हिंदी भाषा के कुछ भक्ति गीत और भजन थे, इन्हें 1942 में HMV ने रिलीज किया था।

बाद में 1943 में जोशी मुंबई चले गए और वहां पर रेडियो आर्टिस्ट के रूप में काम करने लगे।

1946 में गुरु सवाई गंधर्व के 60वें जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम में उनके परफॉर्मेंस के दर्शकों के साथ ही गुरु ने भी काफी प्रशंसा की।

पुरस्कार

पंडित भीमसेन जोशी को “मिले सुर मेरा तुम्हारा” के लिए भी याद किया जाता है, जिसमे उनके साथ बालमुरली कृष्णा और लता मंगेशकर ने जुगलबंदी की थी।

तभी से वे “मिले सुर मेरा तुम्हारा” के जरिये घर-घर में पहचाने जाने लगे। तब से लेकर आज भी इस गाने के बोल और धुन पंडित भीमसेन जी की पहचान बने हुए है।

मृत्यु – भीमसेन जोशी की जीवनी

24 जनवरी 2011 को पुणे, महाराष्ट्र में भीमसेन जोशी की मृत्यु हो गई.

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