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भोगीलाल पंड्या की जीवनी – Bhogilal Pandya Biography Hindi

भोगीलाल पंड्या ने 15 वर्ष की अल्पायु में ही डूंगरपुर में एक विद्यालय की स्थापना की। इसके बाद उन्होंने बच्चों व प्रोढ़ों के लिए पाठशालाओं की श्रंखला स्थापित करना शुरू कर दिया। ताकि उस आदिवासी क्षेत्र में राजनीतिक चेतना का प्रभाव हो सके। उन्हे ‘बागड़ के गांधी’ के नाम से भी जाना जाता था । तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको भोगीलाल पंड्या की जीवनी – Bhogilal Pandya Biography Hindi बारे में बताएगे।

भोगीलाल पंड्या की जीवनी – Bhogilal Pandya Biography Hindi

भोगीलाल पंड्या की जीवनी

जन्म

भोगीलाल पंड्या का जन्म 13 नवम्बर, 1904 को डूंगरपुर जिले के सीमलवाड़ा गाँव में  हुआ था। उनके पिता का नाम पीताम्बर पंड्या और उनकी माता का नाम श्रीमती नाथीबाई था। 1920 में उनका विवाह मणिबेन के साथ हुआ था।

शिक्षा

भोगीलाल पंड्या ने शिक्षा सरकारी स्कूल से ही प्राप्त की, इसके बाद उन्होने डूंगरपूर की एक स्कूल से आगे की पढ़ाई की और उच्च शिक्षा के लिए उन्होने अजमेर जाने का फैसला किया।

करियर और योगदान

बचपन से ही भोगीलाल पंड्या की समाज सेवा में गहरी रुंची थी। वे सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में लोगों के बीच कार्य करते रहे। 1935 में जब राष्ट्रपति महात्मा गाँधी ने हरिजन आंदोलन शुरू किया तो इसकी चिंगारी राजस्थान में भी आ पहुची। जब भोगीलाल ने आदिवासी बहुल क्षेत्र डूंगरपूर बाँसवाड़ा में हरिजन सेवक संघ की शुरुआत कर समाज सेवा के लिए एक मंच की स्थापना की।
बांगड़ के गांधी भोगीलाल पंड्या ने बांगड़ सेवा मंदिर के नाम से एक संस्था की स्थापना की। उनकी गतिविधियों से आशंकित होकर रियासत ने इस संस्था पर रोक लगा दिया। संस्था के बंद हो जाने पर उन्होंने सेवा संघ का गठन किया।

1942 के भारत छोड़ों आंदोलन में भोगीलाल पंड्या ने रियासत के कोने -कोने में प्रचार किया और 1944 ई. में रियासती शासन के विरुद्ध उठ खड़े होने के लिए अनेक सभाओं का आयोजन किया। 1944  में डूंगरपुर रियासत भी राजस्थान संघ में मिल गई थी तब भोगीलाल पंड्या को इसमें मंत्री बनाया गया । सुखाड़िया मंत्रिमंडल में भी भोगीलाल दो बार मंत्री बनाए गये।

भारत छोड़ों आंदोलन से पूर्व तक भोगीलाल एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते रहे। लेकिन इस आंदोलन के बाद उन्होने राजनीतिक क्षेत्र में सक्रियता को बढाया। उन्होने 1944 में प्रजामंडल की स्थापना की। आजादी के बाद इस रियासत का राजस्थान में विलय कर दिया गया।

भारतीय शासन व्यवस्था के तहत राजस्थान में पहली सरकार में उन्हें मंत्री पद दिया गया। 1969 में उन्हें राज्य के राजस्थान खादी ग्रामोद्योग बोर्ड का अध्यक्ष भी बनाया गया।

पुरस्कार

आदिवासियों, पीड़ितों एवं वंचितों के लिए आजीवन कार्य करने वाले भोगीलाल जी को 1976 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से नवाजा गया।

मृत्यु

31 मार्च 1981 को भोगीलाल पंड्या की मृत्यु हो गई थी ।

Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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