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बिपिन चन्द्र की जीवनी – Bipan Chandra Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको बिपिन चन्द्र की जीवनी – Bipan Chandra Biography Hindi के बारे में बताएगे।

बिपिन चन्द्र की जीवनी – Bipan Chandra Biography Hindi

बिपिन चन्द्र की जीवनी
बिपिन चन्द्र की जीवनी

(English –  Bipan Chandra) बिपिन चन्द्र इतिहासकार तथा राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के पूर्व अध्यक्ष थे।

उन्होंने इतिहास पर क़रीब 20 पुस्तकें लिखी है।

उनका आधुनिक भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान था, जिन्होंने इतिहास और राष्ट्रवाद को एक नया मोड़ दिया।

उन्हे 2010 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

संक्षिप्त विवरण

 

नामबिपिन चन्द्र
पूरा नामप्रोफ़ेसर बिपिन चन्द्र
जन्म 27 मई 1928
जन्म स्थानकांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
पिता का नाम
माता का नाम
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म हिन्दू
जाति

जन्म

Bipan Chandra का जन्म 27 मई 1928 को कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश में हुआ था।

उनके दो बच्चे है जिनका नाम –  उनके बड़े बेटे बीनू चंद्रा अमेरिका में पढ़ाते हैं तथा  दूसरे बेटे विकास चंद्रा उनके साथ ही रहते हैं।

शिक्षा

Bipan Chandra ने अपनी शिक्षा फ़ोर्मन क्रिश्चियन कॉलेज, लाहौर और स्टैनफ़ोर्ड विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय से प्राप्त किया गया।

करियर- बिपिन चन्द्र की जीवनी

बिपिन चन्द्र ने जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में ‘सामाजिक विज्ञान संस्थान’ के ‘ऐतिहासिक अध्ययन केंद्र’ में प्रोफेसर तथा बाद में प्रोफेसर एमेरिटस रहे ।

उसके बाद उन्होंने नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष का कार्यभार भी सँभाला और वे 2012 तक इस पद पर रहे।

वह इन दिनों शहीदे आजम भगत सिंह पर जीवनी लिख रहे थे। बिपिन चंद्र ने लाहौर और दिल्ली में भी पढाई पूरी की थी।वह दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कालेज में इतिहास के शिक्षक रह चुके थे।

वह 1985 में भारतीय इतिहास कांग्रेस के अध्यक्ष भी बनाए गए थे। इसके अलावा वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य भी थे।

उन्होंने इतिहास पर क़रीब 20 पुस्तकें लिखी है। जिनमें आधुनिक भारत का इतिहास, आधुनिक भारत और आर्थिक राष्ट्रवाद, सांप्रदायिकता, भारतीय वामपंथ पर उनकी पुस्तकें चर्चित थीं। उन्होंने जयप्रकाश नारायण और आपातकाल पर भी किताबें लिखी थीं।

योगदान

Bipan Chandra का आधुनिक भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान था, जिन्होंने इतिहास और राष्ट्रवाद को एक नया मोड़ दिया।

बिपिन चंद्र ने ही खालिस्तान आंदोलन के ख़िलाफ़ सबसे बड़ी आवाज़ उठाई थी और उन्होंने इसे हिन्दू व सिखों को बांटने वाली सांप्रदायिकता करार दिया था।

पुस्तकें

मृत्यु – बिपिन चन्द्र की जीवनी

Bipan Chandra की 86 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के चलते 30 अगस्त 2014 को उनके आवास पर गुड़गांव, हरियाणा में मृत्यु हो गई।

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