Biography Hindi

बुधु भगत की जीवनी – Budhu Bhagat Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको बुधु भगत की जीवनी – Budhu Bhagat Biography Hindi के बारे में बताने जा रहे हैं.

बुधु भगत की जीवनी – Budhu Bhagat Biography Hindi

बुधु भगत की जीवनी

भारतीय इतिहास के प्रसिद्ध क्रांतिकारी बुधु भगत या बुद्धू भगत एक ऐसे क्रांतिकारी थी

जिनको गुरिल्ला युद्ध में निपुणता हासिल थी.

उन्होंने अपने दस्ते को गुरिल्ला युद्ध करने के लिए प्रशिक्षित किया था.

इसके अलावा अंग्रेजों ने उनको पकड़ने के लिए ₹1000 के इनाम की घोषणा भी कर
दी थी.

जन्म

बुधु भगत का जन्म 17 फरवरी 1792 में रांची, झारखंड में हुआ.

शिक्षा – बुधु भगत की जीवनी

उनके शिक्षा के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई है लेकिन वह घंटों अकेले बैठकर तलवार चलाने और धनुर्विद्या में निपुणता हासिल किया करते थे.

कुछ लोग तो उन्हें देवी शक्तियों के स्वामी के नाम से भी बुलाते थे क्योंकि उनके प्रतीक स्वरूप वह कुल्हाड़ी अपने साथ सदा रखा
करते थे.

योगदान

बुधु भगत के द्वारा अंग्रेजों और साहूकारों के विरूद्ध उनके अन्याय के लिए कई आंदोलन किए गए थे.

जिसमें से लरका आंदोलन एक ऐतिहासिक आंदोलन है.

छोटा नागपुर के आदिवासी इलाकों में अंग्रेज हुकूमत के दौरान बहुत ही निर्दयता से लोगों की हत्या कर दिया करते थे, जिसकी वजह से मुंडा जाति ने जमीदार और साहूकारों के विरुद्ध अपना विद्रोह शुरू कर दिया था.

इसके अलावा उरांव जनजाति ने भी अपने बागी तेवर अपना लिए थे.

बुधु भगत बचपन से ही जमीदारों और अंग्रेजी सेना की निर्दयता को देखते आ रहे थे, जिसकी वजह से बुधु भगत कोयल नदी के पास बैठकर घंटों तक अंग्रेजों और जमींदारों को भगाने के बारे में सोचते रहते थे.बुधु भगत को देवदूत समझ कर आदिवासियों ने उनको अन्याय के विरुद्ध लड़ने के लिए आह्वान किया, और सभी लोग उनके साथ तीर, धनुष, तलवार, कुल्हाड़ी इत्यादि लेकर खड़े हो गए.

इस दौरान कैप्टन द्वारा बंदी बनाए गए सैकड़ों ग्रामीणों को उन्होंने लड़कर छुड़वा लिया और इसके अलावा बुधु भगत ने गुरिल्ला युद्ध के लिए अपने दस्ते को प्रशिक्षित किया

आदिवासियों के सभी नेताओं में बुधू भगत सबसे श्रेष्ठ एव शीर्षथ थे।

छोटा नागपुर के प्रथम क्रांतिकारी थे जिन्हें पकड़ने के लिए अंग्रेजों ने ₹1000 पुरस्कार की की घोषणा की थी, परंतु कोई भी इस पुरस्कार के लालच में आकर उन्हें पकड़वाने को तैयार नहीं था।

1828-32 केला का विद्रोह में अपने नेतृत्व का परिचय दिया था।

यह विद्रोह है अंग्रेजी हुकूमत और शोषण अत्याचार के विरुद्ध किया गया पहला स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा था।

इस विद्रोह के बाद अंग्रेजों को घुटने टेक देने पड़े ।

मृत्यु – बुधु भगत की जीवनी

13 फरवरी 1832 में बुधू अपने साथियों के साथ कैप्टन एमपी के द्वारा सिलागांई गांव में घेर लिए गए.

उस समय बुधु आत्मसमर्पण करना चाहते थे जिससे कि निर्दोष लोगों की जाने ना जाए.

लेकिन बुधू के भक्तों उनके चारों ओर घेरा डालकर खड़े हो गए और कैप्टन के चेतावनी के अनुसार वहां पर अंधाधुंध गोलियां चला
दी, जिसकी वजह से करीबन 300 से अधिक ग्रामीण मारे गए.

इसके साथ बुधु भगत और उनके बेटे हलधर और गिरधर भी अंग्रेजों के साथ लड़ाई करते हुए शहीद हो गए.

Read This आर्यभट्ट की जीवनी – Aryabhata Biography Hindi

Related Articles

One Comment

  1. क्रांतिकारी बुधु भगत महान के बारे में अधिक जानकारी और किस पुस्तक में पढ़ने को मिलेगा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close