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चंदबरदाई की जीवनी – Chand Bardai Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको चंदबरदाई की जीवनी – Chand Bardai Biography Hindi के बारे में बताएगे।

चंदबरदाई की जीवनी – Chand Bardai Biography Hindi

चंदबरदाई की जीवनी
चंदबरदाई की जीवनी

 

Chand Barda भारत के आखिरी हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के मित्र, सखा तथा राजकवि और हिन्दी के आदि महाकवि भी थे।

चंदबरदाई को हिन्दी का पहला कवि और उनकी रचना पृथ्वीराज रासो को हिन्दी की पहली रचना होने का सम्मान प्राप्त है।

जन्म

चंदबरदाई का जन्म 1205 संवत में लाहौर में हुआ था और ये जाति के राव या भाट थे।

ग्रंथ – चंदबरदाई की जीवनी

चंदवरदाई का प्रसिद्ध ग्रंथ “पृथ्वीराजरासो” है।

इसकी भाषा को भाषा-शास्त्रियों ने पिंगल कहा है, जो राजस्थान में ब्रजभाषा का समानार्थक शब्द है।

इसलिए चंदवरदाई को ब्रजभाषा हिन्दी का प्रथम महाकवि माना जाता है।

‘रासो’ की रचना महाराज पृथ्वीराज के युद्ध-वर्णन के लिए की गई है।

उसमें उनके वीरतापूर्ण युद्धों और प्रेम-प्रसंगों का वर्णन किया गया है।

इसलिए उसमें वीर और श्रृंगार दो ही रस है।

चंदबरदाई ने इस ग्रंथ की रचना प्रत्यक्षदर्शी की भाँति की है।

इसलिए इसका रचना काल सं. 1220 से 1250 तक होना चाहिए।

विद्वान् ‘रासो’ को 16वीं अथवा उसके बाद की किसी शती का अप्रामाणिक ग्रंथ मानते हैं।

अनन्द विक्रम संवत भारत में प्रचलित अनेक संवतों में से एक है।

इसका प्रयोग पृथ्वीराज रासो के कवि चन्दबरदाई ने, 1192 ई. में मुसलमानों के आक्रमण के समय दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान का राज कवि था, उसके लिए किया है।

हिन्दी के प्रथम महाकवि

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’ में लिखा है- चंदबरदाई, ये हिन्दी के प्रथम महाकवि माने जाते हैं और पृथ्वीराज रासो उनकाहिन्दी का प्रथम महाकाव्य है। चंदबरदाई दिल्ली के अंतिम हिंदू सम्राट, महाराजा पृथ्वीराज के सामंत और राजकवि के रूप में प्रसिद्ध हुए हैं।

इससे उनके नाम में भावुक हिंदुओं के लिए एक विशेष प्रकार का आकर्षण है। रासो के अनुसार वे भट्ट जाति के जगात नामक गोत्र के थे। उनके पूर्वजों की भूमि पंजाब थी, जहाँ लाहौर में इनका जन्म हुआ था। इनका और महाराज पृथ्वीराज का जन्म एक ही दिन हुआ था और दोनों ने एक ही दिन यह संसार भी छोड़ा था। ये महाराज पृथ्वीराज के राजकवि ही नहीं, उनके सखा और सामंत भी थे तथा षड्भाषा व्याकरण, काव्य, साहित्य, छंद शास्त्र, ज्योतिष, पुराण, नाटक आदि अनेक विद्याओं में पारंगत थे।

उन्हें जालंधारी देवी की कृपा प्राप्त थी जिसकी कृपा से ये अदृष्ट काव्य भी कर सकते थे। इनका जीवन पृथ्वीराज के जीवन के साथ ऐसा मिला-जुला था कि अलग नहीं किया जा सकता। युद्ध में, आखेट में, सभा में, यात्रा में सदा महाराज के साथ रहते थे और जहाँ जो बातें होती थीं, सब में सम्मिलित रहते थे।

सम्मान – चंदबरदाई की जीवनी

चंदबरदाई को हिन्दी का पहला कवि और उनकी रचना पृथ्वीराज रासो को हिन्दी की पहली रचना होने का सम्मान प्राप्त है

मृत्यु

संवत् 1249 को चंदबरदाई का निधन हो गया था।

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One Comment

  1. चन्द्रबरदाई चारण जाति के कवि थे और भट्ट नही पहले चारण और भाट को जन मानस एक समझता था लेकिन है अलग-अलगआप इतिहास में देख लो राजस्थान के राजपुत राजओ के राजकवि चारण जाति के कवि थे या ब्राह्मण या जैन भाट राजकवि हो ही नही सकता था पहले आपने कभीइतिहास में सुना या देखा है की हवन और पूजा पाठ हरिजन ने किया कोई विश्वास करेगा यह असम्भव है तो फिर चन्द्रबरदाई चारण जाति के कवि थे आज भी बुजुर्ग महान चारण कवि जिंदा है और उनको सम्पूर्ण इतिहास याद है पृथ्वीराज चौहान के बारे में सही सटीक ऐसी बातें और इतिहास की घटनाएं याद है की आज के किताब किङो को सही से कुछ पता नही ।

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