आज इस आर्टिकल में हम आपको दामोदर लाल व्यास की जीवनी – Damodarlal Vyas Biography Hindi के बारे में बताएगे।
दामोदर लाल व्यास की जीवनी – Damodarlal Vyas Biography Hindi
![दामोदर लाल व्यास की जीवनी](https://2.bp.blogspot.com/-9dULWizn5kg/WCW25_ml42I/AAAAAAAADTg/JS6fZJkfeOgHNi8kk3TTELGy8jHu7pj5wCLcB/w1200-h630-p-k-no-nu/480329_395324193868669_2011352483_n.jpg)
Damodarlal Vyas को ‘राजस्थान का लौह पुरुष’ भी कहा जाता है।
उन्होंने राजमाता गायत्री देवी को 15000 मतों से हराया था।
उनका राजनीतिक जीवन 1951 से शुरू हुआ।
वे मालपुर विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पहली बार जीते थे
और राजस्थान के राजस्व मंत्री बने।
जन्म
दामोदर लाल व्यास का जन्म 9 नवंबर 1909 को मालपुर कस्बा टोंक जिले में स्थित मालदेव पवार की नगरी में हुआ था।
उनके पिता का नाम बृजलाल व्यास और माता का नाम कस्तूरबा व्यास था।
दामोदर लाल व्यास ने राजस्थान की राजनीति में अपना खास मुकाम बना कर टोंक जिले के नाम को हमेशा के लिए रोशन कर दिया।
राजस्थान के इतिहास में उन्हें लौह पुरुष के नाम से ख्याति प्राप्त हुई जो आज भी बड़े अदब के साथ ली जाती है।
शिक्षा – दामोदर लाल व्यास की जीवनी
दामोदर लाल व्यास की शिक्षा बी. ए. और एल. एल.बी तक हुई और उन्होंने वकालत करनी शुरू कर दी।
करियर
दामोदर लाल व्यास का राजनीतिक जीवन स्वतंत्र भारत में हुए पहले चुनाव 1951 से शुरू हो गया था।
जहां वे मालपुर विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पहली बार जीते और राजस्थान के राजस्व मंत्री बने।
1957 के चुनाव में दुबारा भी उन्हें विजय प्राप्त हुई और उन्हें चिकित्सा और स्वास्थ्य/ देवस्थान विभाग का मंत्री बनाया गया। हालांकि व्यास जी 1962 का चुनाव सी. राजगोपालाचारी की स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी जयसिंह से हार गए लेकिन 1967 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने जयपुर राजघराने की महारानी गायत्री देवी को 15000 हज़ार वोटों से हराकर धमाकेदार वापसी की।बताया जाता है कि लाल बहादुर शास्त्री ने 1965 में गायत्री देवी को कांग्रेस में शामिल होने का न्यौता दिया था लेकिन वे इस कांग्रेस की समाजवादी नीतियों से चिढ़ती थीं, लिहाज़ा उन्होंने वो पेशकश ठुकरा दी। हालांकि कांग्रेस ने उनके पति को स्पेन का राजदूत बना रखा था, फिर भी उनकी नाइत्तेफ़ाक़ी कांग्रेस से बानी रही।
क्योंकि इंदिरा गांधी और गायत्री देवी में छत्तीस का आंकड़ा था।
1967 में स्वतंत्र पार्टी ने राजस्थान में भैरों सिंह शेखावत की अगुवाई वाली जनसंघ के साथ चुनाव लड़कर बहुमत हासिल किया तो इंदिरा गांधी खिन्न हुईं। इसका नतीजा यह रहा कि इंदिरा गांधी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगवा दिया, तब मजेदार किस्सा ये रहा कि गायत्री देवी लोकसभा का चुनाव तो जीत गईं लेकिन विधानसभा का चुनाव मालपुरा सीट से कांग्रेस के दामोदर लाल व्यास से हार गईं।
इसी तहलके की वजह से मोहन लाल सुखाड़िया मंत्रिमंडल में दामोदर व्यास को गृह मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण महकमा सौंपा गया। एक सख्त और अनुशासनप्रिय के तौर पर व्यास ने गृह मंत्रालय बखूबी संभाला। इसके बाद वे अस्वस्थ रहने लगे थे
मृत्यु – दामोदर लाल व्यास की जीवनी
14 जनवरी 1976 को राजस्थान के लौह पुरुष दामोदर लाल व्यास की मृत्यु हो गई।
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