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दौलतराम संख्यान की जीवनी – Daulataraam Sankhyaan Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको दौलतराम संख्यान की जीवनी – Daulataraam Sankhyaan Biography Hindi के बारे में बताएगे।

दौलतराम संख्यान की जीवनी – Daulataraam Sankhyaan Biography Hindi

जन्म

दौलतराम संख्यान का जन्म 17 दिसंबर 1919 को बिलासपुर जिले में हुआ था।

योगदान

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दौलतराम संख्यान ने सक्रिय रूप से प्रजा मंडल आंदोलन में भाग लिया और  इसके बाद में उन्होने बिलासपुर के राजा के विरूद्ध आंदोलन चलाया ।

वे कई बार जेल भी गए थे।

दौलतराम संख्यान 1957 में कांग्रेस पार्टी के राज्य अध्यक्ष चुने गए और कई सालो तक मंत्री रहे।

1930-1931 बिलासपुर में दादरा विरोध हुआ। इसमें किसानों ने राजा से अपनी ज़मीनों का समझौता करने की माँग की।

राजा ने इस विरोध को रोकने के लिए वहाँ पर लाठीचार्ज करवा दिया।

इस लाठीचार्ज ने उस विरोध में ऐसा भयानक रूप लिया कि एक व्यक्ति  को फ़रीदकोट जेल में बंद कर दिया ।

दौलत राम सांखयान के जीवन में इस स्वतंत्रता सेनानी की बहुत इज़्ज़त थी।इस बात से उन्हें गहरा सदमा लगा।

सांख्यान का परिवार उनके रिश्तेदार मठिया राम के साथ रहने लगा।

घर से बेघर हो जाने पर और अपने ही घर से मुट्ठीभर राशन मिलने पर भी उनके परिवार ने कोई आपत्ति नहीं जतायी ना तो राजा के पैर ही पकड़े और न ही अपनी हिम्मत तोड़ी।

जब राजा ने अपना यह बान भी ख़ाली जाते देखा तो उसने मठिया राम से पूछना शुरू किया कि दौलत राम साख यान कहाँ है?

मठिया राम के ना बताने पर उसके हाथों में सरिये डालकर हथोड़े मार मार कर उसकी उंगलियां तोड़ दी गई।

इस हादसे के कई महीनों बाद तक मठिया राम अपने हाथ से खाना तक नहीं खा सके थे।

12 अक्टूबर 1948 को बिलसपुर भारत में शामिल हो गया।

इस बेहद ही ख़ुशी के मौक़े पर दौलतराम अपने गाँव अपने परिवार के साथ खुशियां मनाने बिलासपुर लौट रहे थे।

बिलासपुर के राजा का ग़ुस्सा उस वक़्त भी उन पर ठंडा नहीं हुआ था

ये कहा जाता है कि जब उन्होंने बिलासपुर की सीमा में क़दम रखा तो उन पर पत्थरों की बरसात करवाई गई।

इसमें सांख्यान का एक दाँत भी टूट गया था।

लगभग पाँच दशक तक उन्होंने कांग्रेस पार्टी के लिए अपनी निष्ठा निभाई। इसमें आठ सालों के लिए वह मंत्री भी रहे।

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