देवकी बोस मशहूर फ़िल्म निर्देशक और संगीत में ध्वनि के जानकार थे। देवकी बोस ही पहले बंगाली फ़िल्म निर्देशक थे, जिन्होंने ‘भारतीय शास्त्रीय संगीत’ के साथ ‘रवीन्द्र संगीत’ को मिला कर फ़िल्मों में एक अद्भुत ध्वनि माधुर्य पैदा किया। देवकी बोस ने धीरेन गांगुली की ‘ब्रिटिश डोमिनियन कम्पनी’ के लिए कई मूक फ़िल्मों की पटकथा लिखी। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको देवकी बोस की जीवनी – Devaki Bose Biography Hindi के बारे में बताएगे।
देवकी बोस की जीवनी – Devaki Bose Biography Hindi
जन्म
देवकी बोस का जन्म 25 नवंबर 1898 को वर्धमान ज़िला, पश्चिम बंगाल में हुआ था।
गाँधीजी से प्रभावित
जिन दिनों देवकी बोस अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर रहे थे, उस समय देश को स्वतंत्रता दिलाने के कई क्रांतिकारी अपनी गतिविधियाँ चला रहे थे। इनमें राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी सर्वप्रमुख थे। भारत की आज़ादी के लिए महात्मा गाँधी द्वारा चलाया गया ‘असहयोग आन्दोलन’ अपने चरम बिन्दू पर था। इस आन्दोलन से देवकी बोस खुद भी बहुत प्रभावित थे। इसके परिणामस्वरूप आन्दोलन में हिस्सा लेने के लिए देवकी बोस ने कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी। पढ़ाई छोड़ने के बाद वह कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में रह कर एक छोटे-से अख़बार “शक्ति” का संपादन करने लगे।
करियर
देबकी बोस अपने समय में एक शीर्ष भारतीय फिल्म निर्देशक थे। इस अवधि के दौरान, उनके द्वारा बनाई गई कई बंगाली फिल्में हिंदी में और यहां तक कि मराठी और तमिल में भी रिलीज हुईं। उनके द्वारा निर्देशित चंडीदास (1932) में भारतीय सिनेमा में पहली बार पृष्ठभूमि संगीत शामिल था। संगीत निर्देशक रायचंद बोराल थे, जिन्हें आर.सी. बोराल। ईस्ट इंडिया फिल्म कंपनी के बैनर तले बनी सीता (1934), किसी भी अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में दिखाई गई पहली भारतीय टॉकी थी। इसे वेनिस फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया, जहाँ इसने एक मानद डिप्लोमा जीता। अर्घ्य (1961) एक बहुत ही विशेष वृत्तचित्र फिल्म थी, जिसे रवींद्रनाथ टैगोर के जन्म शताब्दी के अवसर पर पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा निर्मित किया गया था। देवकी बोस ही पहले बंगाली फ़िल्म निर्देशक थे, जिन्होंने ‘भारतीय शास्त्रीय संगीत’ के साथ ‘रवीन्द्र संगीत’ को मिला कर फ़िल्मों में एक अद्भुत ध्वनि माधुर्य पैदा किया। यह टैगोर की चार कविताओं पर आधारित थी: पुजारीनी, पुरातन भृत्य, अभिसार और दुसरी बिग जामी। देवकी बोस की जीवनी – Debaki Bose Biography Hindi
देवकी बोस ने जिस अंतिम फ़िल्म को निर्देशित किया, वह थी बांग्ला भाषा में बनी फ़िल्म ‘अर्घ्य’। यह फ़िल्म उन्होंने वर्ष 1961 में बनाई थी। ‘न्यू थियेटर्स’ से अलग होने के बाद देवकी बोस ने 1942 से 1961 के बीच यूँ तो बीस से भी अधिक फ़िल्में बनायी थीं, लेकिन उनमें से कोई भी फ़िल्म ‘चंडीदास’ या ‘पूरन भगत’ जैसी सफलता अर्जित नहीं कर सकी, और न ही ‘सीता’ जैसी बौद्धिक प्रशंसा ही पाप्त कर सकी।
फ़िल्में
- द शैडो ऑफ़ डैड
- अपराधी
- निशिर डाक
- चंडीदास
- राजरानी मीरा
- पूरन भगत
- मीराबाई
- दुलारी बीवी
- सीता
- जीवन नाटक
- इंकलाब
- सोनार संसार
- विद्यापति
- सपेरा
- नर्तकी
- अभिनव
- अपना घर
- श्रीरामानुज
- स्वर्ग से सुन्दर देश हमारा
- मेघदूत
- कृष्णलीला
- अलकनंदा
- चंद्रशेखर
- सर शंकरनाथ
- कवि
- रत्नदीप
- पथिक
- भालोबाशा
- नवजन्मा
- चिरकुमार सभा
- सोनार काठी
- सागर संगम
- अर्घ्य
- अपराधी
पुरस्कार
- वह किसी भी अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार को प्राप्त करने वाले पहले भारतीय निर्देशक थे। उनकी फिल्म सागर संगम (1959) को 9 वें बर्लिन अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (1959) में गोल्डन बेयर के लिए नामित किया गया था। इस फिल्म को 1959 में 6वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। देवकी बोस की जीवनी – Debaki Bose Biography Hindi
- उन्हें 1957 में फिल्म निर्देशन के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिला।
- 1958 में देवकी बोस को भारत की सरकार ने प्रतिष्ठित “पद्मश्री” से सम्मानित किया था।
मृत्यु
देवकी बोस की मृत्यु 11 नवंबर 1971 को कोलकाता में हुई।