धर्मपाल गुलाटी (English –Dharampal Gulati) उद्योगपति और विज्ञापन की दुनिया के सबसे उम्रदराज स्टार और ‘महाशियां दी हट्टी’ (एमडीएच) के मालिक थे। वे ‘दादजी’, ‘मसाला किंग’, ‘किंग ऑफ स्पाइसेज’ और ‘महाशयजी’ के नाम से मशहूर हुए। 2019 में उन्हे तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
धर्मपाल गुलाटी की जीवनी -Dharampal Gulati Biography Hindi

जन्म
धर्मपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1927 में पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। उनके पिता का नाम महाशय चुन्नी लाल तथा उनकी माता का नाम चानन देवी था। वे 1947 में भारत आए, शरणार्थी शिविर में रहे। स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ने वाले धर्मपाल गुलाटी शुरुआती दिनों में अपने पिता के मसाले के व्यवसाय में शामिल हो गए थे। 1947 में विभाजन के बाद, धर्मपाल गुलाटी भारत आ गए और अमृतसर में एक शरणार्थी शिविर में रहे। 1941 में उन्होने लीलावन्ती देवी से विवाह किया।
पहला स्टोर
फिर वह दिल्ली आ गए थे और दिल्ली के करोल बाग में एक स्टोर खोला। गुलाटी ने 1959 में आधिकारिक तौर पर कंपनी की स्थापना की थी। यह व्यवसाय केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया में भी फैल गया। इससे गुलाटी भारतीय मसालों के एक वितरक और निर्यातक बन गए।
योगदान
गुलाटी की कंपनी ब्रिटेन, यूरोप, यूएई, कनाडा आदि सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भारतीय मसालों का निर्यात करती है। एमडीएच मसाला के अनुसार, धर्मपाल गुलाटी अपने वेतन की लगभग 90 प्रतिशत राशि दान करते थे।
पुरस्कार
- 2016 में एबीसीआई वार्षिक पुरस्कारों में ‘इंडियन ऑफ़ द ईयर’ से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2017 में लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए उत्कृष्टता पुरस्कार
- 2017- एफएमसीजी क्षेत्र में सबसे ज्यादा भुगतान करने वाले सीईओ (₹21 करोड़ / वर्ष)
- 2019 में भारत सरकार ने उन्हें देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया था।
मृत्यु
धर्मपाल गुलाटी का निधन 98 वर्ष की आयु में 3 दिसंबर 2020 को हुआ।