Anmol Vachan

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचार – Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Anmol Vachan

सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक दर्शनशास्त्री, भारतीय संस्कृति के संवाहक, आस्थावान हिंदू विचारक तथा दूसरे राष्ट्रपति और पहले उपराष्ट्रपति थे। उन्होने 1962 से 1976 तक दूसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1988 को तिरुतनी ग्राम, तमिलनाडु में हुआ था। शिक्षा और राजनीति में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए राधाकृष्णन को वर्ष 1954 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था। लम्बी बीमारी के बाद 17 अप्रैल, 1975 को चेन्नई में उनका देहांत हो गया। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचार – Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Anmol Vachan के बारे में बताएगे।

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डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचार – Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Anmol Vachan

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचार - Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Anmol Vachan

  • भगवान् की पूजा नहीं होती बल्कि उन लोगों की पूजा होती है जो उनके के नाम पर बोलने का दावा करते हैं.पाप पवित्रता का उल्लंघन नहीं ऐसे लोगों की आज्ञा का उल्लंघन बन जाता है।
  • दुनिया के सारे संगठन अप्रभावी हो जायेंगे यदि यह सत्य कि प्रेम द्वेष से शक्तिशाली होता है उन्हें प्रेरित नही करता।
  • केवल निर्मल मन वाला व्यक्ति ही जीवन के आध्यात्मिक अर्थ को समझ सकता है. स्वयं के साथ ईमानदारी आध्यात्मिक अखंडता की अनिवार्यता है।
  • उम्र या युवावस्था का काल-क्रम से लेना-देना नहीं है. हम उतने ही नौजवान या बूढें हैं जितना हम महसूस करते हैं. हम अपने बारे में क्या सोचते हैं यही मायने रखता है।
  • पुस्तकें वो साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।
  • कला मानवीय आत्मा की गहरी परतों को उजागर करती है. कला तभी संभव है जब स्वर्ग धरती को छुए।
  • लोकतंत्र सिर्फ विशेष लोगों के नहीं बल्कि हर एक मनुष्य की आध्यात्मिक संभावनाओं में एक यकीन है।
  • एक साहित्यिक प्रतिभा , कहा जाता है कि हर एक की तरह दिखती है, लेकिन उस जैसा कोई नहीं दिखता।
  • हमें मानवता को उन नैतिक जड़ों तक वापस ले जाना चाहिए जहाँ से अनुशाशन और स्वतंत्रता दोनों का उद्गम हो।
  • शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके।
  • किताब पढना हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची ख़ुशी देता है।
  • कवी के धर्म में किसी निश्चित सिद्धांत के लिए कोई जगह नहीं है।
  • कहते हैं कि धर्म के बिना इंसान लगाम के बिना घोड़े की तरह है।
  • धन, शक्ति और दक्षता केवल जीवन के साधन हैं खुद जीवन नहीं।
  • जीवन को बुराई की तरह देखता और दुनिया को एक भ्रम मानना महज कृतध्नता है।
  • हर्ष और आनंद से परिपूर्ण जीवन केवल ज्ञान और विज्ञान के आधार पर संभव है।
  • मौत कभी अंत या बाधा नहीं है बल्कि अधिक से अधिक नए कदमो की शुरुआत है।
  • शांति राजनीतिक या आर्थिक बदलाव से नहीं आ सकते बल्कि मानवीय स्वभाव में बदलाव से आ सकती है।
  • ज्ञान हमें शक्ति देता है, प्रेम हमें परिपूर्णता देता है।
  • जीवन का सबसे बड़ा उपहार एक उच्च जीवन का सपना है।
  • यदि मानव दानव बन जाता है तो ये उसकी हार है , यदि मानव महामानव बन जाता है तो ये उसका चमत्कार है .यदि मनुष्य मानव बन जाता है तो ये उसके जीत है।
  • धर्म भय पर विजय है; असफलता और मौत का मारक है।
  • राष्ट्र, लोगों की तरह सिर्फ जो हांसिल किया उससे नहीं बल्कि जो छोड़ा उससे भी निर्मित होते हैं।
  • मानवीय जीवन जैसा हम जीते हैं वो महज हम जैसा जीवन जी सकते हैं उसक कच्चा रूप है।
  • कोई भी जो स्वयं को सांसारिक गतिविधियों से दूर रखता है और इसके संकटों के प्रति असंवेदनशील है वास्तव में बुद्धिमान नहीं हो सकता।
  • आध्यात्मक जीवन भारत की प्रतिभा है।
  • मानवीय स्वाभाव मूल रूप से अच्छा है, और आत्मज्ञान का प्रयास सभी बुराईयों को ख़त्म कर देगा।
  • मनुष्य को सिर्फ तकनीकी दक्षता नही बल्कि आत्मा की महानता प्राप्त करने की भी ज़रुरत है।

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Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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