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डॉ ज़ाकिर हुसैन की जीवनी – Dr Zakir Hussain Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको डॉ ज़ाकिर हुसैन की जीवनी – Dr Zakir Hussain Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

डॉ ज़ाकिर हुसैन की जीवनी – Dr Zakir Hussain Biography Hindi

डॉ ज़ाकिर हुसैन की जीवनी

भारत रत्न से सम्मानित डॉ ज़ाकिर हुसैन भारत के तीसरे राष्ट्रपति और प्रथम मुस्लिम राष्ट्रपति बने।

1957 से 1962 तक उन्होने बिहार के राज्यपाल और 1962 से 1967 तक भारत के उपराष्ट्रपति के पद पर कार्य किया।

उनका राष्ट्रपति कार्यकाल 13 मई 1967 से 3 मई 1969 तक चला।

उन्हे 1954 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

 

जन्म

डॉ. ज़ाकिर हुसैन का जन्म 8 फ़रवरी, 1897 ई. में हैदराबाद, आंध्र प्रदेश में हुआ था।

उनके पिता का नाम फ़िदा हुसैन खान तथा उनकी माता का नाम नजीन बेगम था।

जब वे 10 वर्ष के थे तो उनके पिता का देहांत हो गया और इसके कुछ समय बाद 1911 में उनकी माता का भी देहांत हो गया।

18 साल की उम्र में उनका विवाह शाहजहाँ बेगम से कर दिया गया।

उनकी दो बेटियाँ जिनका नाम सईदा खान और साफिया रहमान थीं।

शिक्षा – डॉ ज़ाकिर हुसैन की जीवनी

हुसैन की प्रारंभिक प्राथमिक शिक्षा हैदराबाद में पूरी हुई, उन्होंने इस्लामिया हाई स्कूल, इटावा से हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की, और फिर मुहम्मद एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की, इसके बाद वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में गए जहाँ वे एक प्रमुख छात्र नेता थे।

उन्होंने 1926 में बर्लिन विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

करियर

डॉ. ज़ाकिर हुसैन भारत के राष्ट्रपति बनने वाले पहले मुसलमान थे।

देश के युवाओं से सरकारी संस्थानों का बहिष्कार की गाँधी की अपील का हुसैन ने पालन किया।

उन्होंने अलीगढ़ में मुस्लिम नेशनल यूनिवर्सिटी (बाद में दिल्ली ले जायी गई) की स्थापना में मदद की और 1926 से 1948 तक इसके कुलपति रहे। महात्मा गाँधी के निमन्त्रण पर वह प्राथमिक शिक्षा के राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष भी बने, जिसकी स्थापना 1937 में स्कूलों के लिए गाँधीवादी पाठ्यक्रम बनाने के लिए हुई थी।

1948 में हुसैन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति बने और चार वर्ष के बाद उन्होंने राज्यसभा में प्रवेश किया। 1956-58 में वह संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति संगठन (यूनेस्को) की कार्यकारी समिति में रहे।

1957 में उन्हें बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया बिहार के राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल 1957 से 1962 तक था। इसके बाद 1962 में वे भारत के उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए। उपराष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल 1962 से 1967 तक रहा। फिर 1967 में कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के रूप में वह भारत के राष्ट्रपति पद के लिए चुने गये और मृत्यु तक पदासीन रहे।

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योगदान – डॉ ज़ाकिर हुसैन की जीवनी

डॉ॰ जाकिर हुसैन उच्च शिक्षा के लिए जर्मनी गए थे परन्तु जल्द ही वे भारत लौट आये।

वापस आकर उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया को अपना शैक्षणिक और प्रशासनिक नेतृत्व प्रदान किया।

विश्वविद्यालय वर्ष 1927 में बंद होने के कगार पर पहुँच था, लेकिन डॉ॰ जाकिर हुसैन के प्रयासों की वजह यह शैक्षिक संस्थान अपनी लोकप्रियता बरकरार रखने में कामयाब रहा था। उन्होंने लगातार अपना समर्थन देना जारी रखा, इस प्रकार उन्होंने इक्कीस वर्षों तक संस्था को अपना शैक्षिक और प्रबंधकीय नेतृत्व प्रदान किया।

उनके प्रयासों की वजह से इस विश्वविद्यालय ने ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी के लिए संघर्ष में योगदान दिया। एक शिक्षक के रूप में डॉ॰ जाकिर हुसैन ने महात्मा गांधी और हाकिम अजमल खान के आदर्शों को प्रचारित किया। उन्होंने वर्ष 1930 के दशक के मध्य तक देश के कई शैक्षिक सुधार आंदोलन में एक सक्रिय सदस्य के रूप में कार्य किया।

डॉ॰ जाकिर हुसैन स्वतंत्र भारत में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति (पहले इसे एंग्लो-मुहम्मडन ओरिएंटल कॉलेज के नाम से जाना जाता था) चुने गए। वाइस चांसलर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान डॉ॰ जाकिर हुसैन ने पाकिस्तान के रूप में एक अलग देश बनाने की मांग के समर्थन में इस संस्था के अन्दर कार्यरत कई शिक्षकों को ऐसा करने से रोकने में सक्षम हुए. डॉ॰ जाकिर हुसैन को वर्ष 1954 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

डॉ॰ जाकिर हुसैन भारत में आधुनिक शिक्षा के सबसे बड़े समर्थकों में से एक थे और उन्होंने अपने नेतृत्व में जामिया मिलिया इस्लामिया के नाम से एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में नई दिल्ली में मौजूद को स्थापित किया, जहाँ से हजारों छात्र प्रत्येक वर्ष अनेक विषयों में शिक्षा ग्रहण करते हैं।

सम्मान और पुरस्कार

पुस्तकें

मृत्यु – डॉ ज़ाकिर हुसैन की जीवनी

डॉ॰ जाकिर हुसैन की 58 वर्ष की आयु में 3 मई 1969 को नई दिल्ली में उनकी मृत्यु हो गई।

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