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द्वारका प्रसाद मिश्र की जीवनी – Dwarka Prasad Mishra Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको द्वारका प्रसाद मिश्र की जीवनी – Dwarka Prasad Mishra Biography Hindi के बारे में बताएगे।

द्वारका प्रसाद मिश्र की जीवनी – Dwarka Prasad Mishra Biography Hindi

द्वारका प्रसाद मिश्र की जीवनी

प्रसाद मिश्र (English – Dwarka Prasad Mishra) शतरंज के माहिर खिलाड़ी थे।

वे एक साहित्यकार, इतिहासविद और प्रखर राजनेता के रूप में प्रसिद्ध थे ।

वे दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है।

मिश्र जी श्रेष्ठ कवि और पत्रकार थे।

1942 में जेल में रहते हुए उन्होंने ‘कृष्णायन‘ महाकाव्य की रचना की थी।

कृष्ण के जन्म से लेकर स्वर्गारोहण तक की कथा इस महाकाव्य में बताई गई है।

महाभारत के कृष्ण हमेशा उनके आदर्श रहे।

प्रखर पत्रकार के रूप में द्वारका प्रसाद मिश्र जी ने 1921 में ‘श्री शारदा’ मासिक, 1931 में ‘दैनिक लोकमत’ और 1947 में साप्ताहिक ‘सारथी’ का सम्पादन किया।

संक्षिप्त विवरण

 

नामद्वारका प्रसाद
पूरा नामद्वारका प्रसाद मिश्र
जन्म5 अगस्त, 1901
जन्म स्थानउन्नाव, उत्तर प्रदेश
पिता का नामपण्डित अयोध्या प्रसाद
माता का नामरमा देवी
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म हिन्दू
जाति मिश्र

जन्म

Dwarka Prasad Mishra का जन्म 5 अगस्त, 1901 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले में पढरी नामक ग्राम में हुआ था।

वे एक ब्राह्मण परिवार संबंध रखते थे।

उनके पिता का नाम पण्डित अयोध्या प्रसाद और  उनकी माता का नाम रमा देवी था।

उनके बच्चों के नाम अवधेश चंद्र मिश्र, बृजेश चंद्र मिश्र, दुर्गा मिश्र हृदयेश चंद्र मिश्र, नरेश चंद्र मिश्र है।

Dwarka Prasad बेटे ब्रजेश मिश्र भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं।

बॉलीवुड फिल्म निर्देशक सुधीर मिश्र उनके पोते हैं।

IIITDM जबलपुर उनके नाम पर खोला गया है।

शिक्षा – द्वारका प्रसाद मिश्र की जीवनी

द्वारका प्रसाद ने रायपुर से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की।

उस समय देश विदेशी सत्ता से संघर्ष कर रहा था।

कुछ समय के लिए द्वारका प्रसाद मिश्र ने कानपुर और जबलपुर में अध्ययन किया और ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय’ से स्नातकोत्तर की परीक्षा पास की और  वही से ही क़ानून की डिग्री प्राप्त की।

हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू और संस्कृत साहित्य से द्वारका प्रसाद जी को बहुत लगाव था।

करियर

मृत्यु – द्वारका प्रसाद मिश्र की जीवनी

द्वारका प्रसाद जी की मृत्यु 5 मई, 1988 को दिल्ली हुई।

उनका पार्थिव शरीर जबलपुर में नर्मदा नदी के तट पर ‘पंचतत्व‘ में लीन हुआ।

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