इला रमेश भट्ट (English -Ela Ramesh Bhatt) अंतरराष्ट्रीय श्रम, सहकारिता, महिलाओं और लघु-वित्त आंदोलनों की सम्मानित नेता है।
वे भारत में ‘सेल्फ इम्प्लाएड वुमन एसोसिएशन’ (एस.ई.डब्ल्यू.ए.) की संस्थापक हैं। यह संस्था लघु ऋण देने, स्वास्थ्य और जीवन बीमा और बच्चों की देखभाल के कामों में संलग्न है।
उन्हे भारत सरकार द्वारा 1985 में ‘पद्मश्री’ और 1986 में ‘पद्मभूषण’ सम्मानित किया गया।वर्तमान में वे भारतीय रिज़र्व बैंक के केन्द्रीय बोर्ड की एक निदेशक भी हैं।
इला रमेश भट्ट की जीवनी – Ela Ramesh Bhatt Biography Hindi

संक्षिप्त विवरण
नाम | इला |
पूरा नाम | इला रमेश भट्ट |
जन्म | 7 सितंबर 1933 |
जन्म स्थान | अहमदाबाद, गुजरात |
पिता का नाम | सुमंतराय भट्ट |
माता का नाम | वानालीला व्यास |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | – |
जाति | – |
जन्म
Ela Ramesh Bhatt का जन्म 7 सितंबर 1933 को अहमदाबाद, गुजरात में हुआ था। उनके पिता का नाम सुमंतराय भट्ट तथा उनकी माता का नाम वानालीला व्यास था। उनके पिता क़ानून के जानकार थे और माता महिलाओं के आन्दोलन में सक्रिय थीं।
शिक्षा
इला रमेश भट्ट ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ‘सार्वजनिक गर्ल्स हाई स्कूल, सूरत से प्राप्त की थी। उन्होंने 1952 में अपनी स्नातक की डिग्री एम.टी.बी. कॉलेज, सूरत से प्राप्त की।
इसके बाद इला ने अहमदाबाद के ‘सर एल.ए. शाह लॉ कॉलेज प्रवेश लिया और वहाँ से 1954 में अपनी क़ानून की डिग्री प्राप्त की। हिन्दू क़ानून पर किये गए उनके सराहनीय कार्य के लिए उन्हें स्वर्ण पदक प्रदान किया गया था।
पढ़ाई के दौरान इला की मुलाकात एक निडर छात्र नेता रमेश भट्ट से हुई। 1951 में भारत की पहली जनगणना के दौरान मैली-कुचैली बस्तियों में रहने वाले परिवारों का विवरण दर्ज करने के लिए रमेश भट्ट ने इला को अपने साथ काम करने के लिए आमंत्रित किया तो इला ने बहुत संकोच से इसके लिए सहमत हुईं। उन्हें पता था कि उनके माता-पिता अपनी बेटी को एक अनजान युवक के साथ गंदी बस्तियों में भटकते देखना हरगिज़ पसंद नहीं करेंगे। बाद में जब इला ने रमेश भट्ट से शादी करने का निश्चय किया तो माता-पिता ने विरोध किया। उन्हें डर था कि उनकी बेटी आजीवन ग़रीबी में ही रहेगी। इतने विरोध के बावजूद भी इला ने 1955 में रमेश भट्ट विवाह कर लिया। उनके दो बच्चे है जिनका नाम Amimayi (जन्म 1958) और Mihir (जन्म 1959) है।
करियर और समाज सेवा
इला रमेश भट्ट ने बतौर वकील अपना काम शुरू किया। वह गाँधी जी के विचारों से प्रभावित महिला थीं, इसीलिए गाँधीवादी महिला के रूप में प्रसिद्ध हुईं तथा स्त्रियों की आत्मनिर्भरता के हित में उन्होंने अपना ध्यान केन्द्रित किया।
कुछ समय के लिए वे श्रीमती नाथी बाई दामोदर ठाकरे वुमन यूनीवर्सिटी में अंग्रेज़ी पढ़ाने के बाद 1955 में वह अहमदाबाद की एक इकाई की ‘टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन’ के लॉ विभाग में आ गईं और वहीं से उनमें यह चेतना उभरी कि उन्हें कामकाजी महिलाओं के हित में, उन्हें आत्मनिर्भरता देने के लिए काम करना चाहिए।
उन्होंने ‘सेल्फ इम्प्लाएड वुमन एसोसिएशन’ (एस.ई.डब्ल्यू.ए.) का गठन किया, जिसके ज़रिये स्वरोज़गार में लगी महिलाओं को परामर्श तथा जानकारी दी जाने लगी। 1979 में उन्होंने ‘वुमन वर्ल्ड बैंकिंग’ की स्थापना की तथा 1980-1988 तक इसकी अध्यक्ष रहीं।
पुरस्कार
- 1977 में इला रमेश भट्ट को सामुदायिक नेतृत्व श्रेणी में ‘मेग्सेसे पुरस्कार’ दिया गया।
- 1984 में उन्हें स्वीडिश पार्लियामेंट द्वारा ‘राइट लिवलीहुड’ अवार्ड मिला।
- इला रमेश भट्ट को भारत सरकार द्वारा 1985 में ‘पद्मश्री’ और 1986 में उन्हें ‘पद्मभूषण’ सम्मानित किया गया।
- जून, 2001 में हावर्ड यूनीवर्सिटी ने उन्हें ‘आनरेरी डॉक्टरेट’ की डिग्री प्रदान की।
- उन्हे 2010 में जापान के प्रतिष्ठित ‘निवानो शांति पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया है। इला को यह पुरस्कार भारत में 30 वर्षों से अधिक समय से ग़रीब महिलाओं के विकास और उत्थान के कार्यों व महात्मा गाँधी की शिक्षाओं का पालन करने के लिए दिया गया है।
पुस्तक
- We Are Poor But So Many: The Story of Self-Employed Women in India – 2005
- Anubandh: Building Hundred-mile Communities – 2016
- LARENGE BHI-RACHENGE BHI (The Story of Self-Employed Women in India) -2008