एलिजाबेथ प्रथम इंग्लैण्ड की महारानी थीं। उन्होनें कभी शादी नहीं की और न ही इनकी कोई संतान हुई इसलिए इन्हें “कुंवारी रानी” (virgin queen, वर्जिन क्वीन) के नाम से भी जाना जाता था।
भारत पर काफ़ी लम्बे समय तक शासन करने वाली ईस्ट इण्डिया कम्पनी की शुरुआत महारानी एलिजाबेथ प्रथम द्वारा वर्ष 1600 ई. के अन्तिम दिन प्रदत्त चार्टर के फलस्वरूप हुआ था। इस चार्टर में कम्पनी को ईस्ट इंडीज में व्यापार करने का अधिकार दिया गया था। एलिजाबेथ प्रथम के कुशल शासन के दौरान इंग्लैण्ड ने कई अहम उपलब्धियों को हासिल किया था और यह एक वैश्विक सामाजिक शक्ति के रूप में उभरा। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको एलिजाबेथ प्रथम की जीवनी – Elizabeth I Biography Hindi के बारे में बताएगे।
एलिजाबेथ प्रथम की जीवनी – Elizabeth I Biography Hindi
जन्म
एलिजाबेथ प्रथम का जन्म 7 सितम्बर, 1533 को ग्रीनविच, इंग्लैंड में हुआ था। उनके पिता का नाम हेनरी अष्टम और उनकी माता का नाम ऐनी बोलिन था। ऐनी बोलिन, हेनरी अष्टम की दूसरी पत्नी थी। एलिजाबेथ प्रथम ब्रिटेन के ट्युडर राजवंश की पाँचवी और आख़री सम्राट थीं। उन्होनें कभी शादी नहीं की और न ही इनकी कोई संतान हुई इसलिए इन्हें “कुंवारी रानी” (Virgin Queen, वर्जिन क्वीन) के नाम से भी जाना जाता था।
शिक्षा
कैथरीन कैम्परनोवेन जिन्हें कैट ऐश्ले के नाम से भी जाना जाता है, 1537 में एलिज़ाबेथ की अध्यापिका थीं और वे इसके साथ ही उनकी एक अच्छी दोस्त की तरह भी थी। कैम्परनोवेन ने एलिज़ाबेथ को चार भाषाएँ फ्रेंच, फ्लेमिश, इटैलियन और स्पेनिश सिखायीं। इसके बाद एलिज़ाबेथ ने ग्रिंडेल और रोज़र ऐश्कम से शिक्षा ग्रहण की जो उस समय के प्रसिद्ध शाही शिक्षक थे। 1550 में अपनी शिक्षा पूरी करने के समय वह उस वक्त की पीढी की सबसे शिक्षित महिलाओ में से एक थीं। माना जाता है कि अपने जीवन के अंतिम समय तक उन्होने वेल्श, कॉर्निश, स्कॉटिश व आइरिश भाषा भी सीख ली थीं।
राजतिलक
14 जनवरी 1559 को एलिज़ाबेथ को 25 साल की उम्र में ही इंग्लैंड की महारानी बना दिया गया । अपनी सौतेली बहन और उस समय की रानी मैरी की मृत्यु के बाद एलिज़ाबेथ ही अंग्रेजी सिंहासन की इकलौती वंशज थीं।
राजतिलक के बाद शहर में भ्रमण के दौरान नागरिकों द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया, कठोर प्रोटेस्टेंट विचारों वाले नागरिकों के लिये ये बडी जीत थी। एलिज़ाबेथ ने भी अपनी प्रजा से बहुत स्नेह भरा व्यवहार किया। उनके अपने नागरिकों या प्रज़ा के प्रति इस खुलेआम स्नेह ने जनता को अभिभूत कर दिया था अगले दिन 15 जनवरी 1559 को वेस्टमिंस्टर ऐबी में एलिज़ाबेथ को कार्लिस्ले के कैथोलिक पादरी ओवेन ओग्लेथोर्प के द्वारा राजमुकुट पहनाया गया और रानी घोषित किया गया। जिसके बाद एक जश्न भरे मौहाल में उन्हें जनता के समक्ष पेश किया गया
लेखिका
एलिजाबेथ प्रथम के कुशल शासन के दौरान इंग्लैण्ड ने कई अहम उपलब्धियों को हासिल किया था और यह एक वैश्विक सामाजिक शक्ति के रूप में उभरा। कहा जाता है कि एलिजाबेथ प्रथम एक अच्छी लेखिका भी थीं। उन्होंने कई ओजपूर्ण भाषण भी लिखे थे। उन्होंने 1558 में स्पेनी अभियान के समय अपने सैनिकों को तैयार करने के लिए भाषण भी दिया था।
सर फ्राँसिस ड्रेक, वाइस एडमिरल (1540-27 जनवरी, 1596) महारानी एलिजाबेथ के समय का एक जहाज कप्तान, समुद्री लुटेरा, खोजी और राजनीतिज्ञ था। महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने 1581 में उसे ‘नाइटहुड’ प्रदान किया था।
मृत्यु
24 मार्च 1603 को 69 वर्ष की आयु में महारानी एलिजाबेथ प्रथम की सरे, इंग्लैंड में मृत्यु हो गई।