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गोकुल सिंह की जीवनी – Gokul Singh Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको गोकुल सिंह की जीवनी – Gokul Singh Biography Hindi के बारे में बताएगे।

गोकुल सिंह की जीवनी – Gokul Singh Biography Hindi

गोकुल सिंह की जीवनी

Gokul Singh 1660-70 के दशक में वे तिलपत नामक इलाके का सबसे शक्तिशाली ज़मींदार था।

तिलपत के ज़मींदार ने मुग़ल सत्ता को उस समय चुनौती दी।

गोकुल सिंह में संगठन की बहुत क्षमता थी और वह बहुत साहसी और दृढ़प्रतिज्ञ था।

गोकुल सिंह को ‘गोकुलराम’ और ‘गोकुला जाट’ के नाम से भी जाना जाता है, ,भारतीय इतिहास के प्रसिद्ध व्यक्तियों में से एक है।

 

 

जन्म – गोकुल सिंह की जीवनी

उनका जन्म सिनसिनी में हुआ था और वे सूरजमल के पूर्वज थे।

उनके चाचा का नाम उदयसिंह था।

जाटों एवं मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब की सेना के बीच तिलपत की लड़ाई

मुग़ल सेना का मुक़ाबला

मृत्यु – गोकुल सिंह की जीवनी

गोकुल सिंह सिनसिनी गाँव का सरदार था।

10 मई, 1666 ई. को जाटों एवं मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब की सेना के बीच तिलपत में लड़ाई हुई।

लड़ाई में जाटों की विजय हुई।

पराजय के बाद मुग़ल शासक ने इस्लाम धर्म को बढ़ावा दिया और किसानों पर कर बढ़ा दिया।

जाट गोकुल सिंह ने किसानों को इकठ्ठा किया और कर जमा करने से इंकार कर दिया।

इस बार औरंगज़ेब ने पहले से अधिक शक्तिशाली सेना भेजी और गोकुल सिंह को बंदी बना लिया गया।

1 जनवरी, 1670 ई. को आगरा के क़िले पर गोकुल सिंह को मौत के घाट उतार दिया गया।

गोकुल सिंह के बलिदान ने मुग़ल साम्राज्य के खात्मे शुरुआत कर दी।

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