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गोपाल गणेश आगरकर की जीवनी – Gopal Ganesh Agarkar Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको गोपाल गणेश आगरकर की जीवनी – Gopal Ganesh Agarkar Biography Hindi के बारे में बताएगे।

गोपाल गणेश आगरकर की जीवनी – Gopal Ganesh Agarkar Biography Hindi

गोपाल गणेश आगरकर की जीवनी
गोपाल गणेश आगरकर की जीवनी

(English – Gopal Ganesh Agarkar) गोपाल गणेश आगरकर भारत के एक महान समाज सुधारक, लेखक, पत्रकार, शिक्षाविद और विचारक थे।

उन्होने अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान भारतीय समाज में फैली जातिप्रथा और छूआछूत जैसी कुरोतियों को दूर करने के काफी प्रयास किए।

वे सप्ताहिक पत्रिका केसरी के संपादक और पत्रिका ‘सुधारक’ के संस्थापक भी थे।

संक्षिप्त विवरण

 

नाम  गोपाल गणेश आगरकर
पूरा नाम, वास्तविक नाम
  गोपाल गणेश आगरकर
जन्म14 जूलाई 1856
जन्म स्थानटेंभू,  जिला सातारा
पिता का नामगणेशराव आगरकर
माता का नामसरस्वती आगरकर
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म हिन्दू
जाति  ब्राह्मण

जन्म

Gopal Ganesh Agarkar का जन्म 14 जूलाई 1856 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के कराड़ तहसील के तेम्भू गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम गणेश राव आगरकर और उनकी माता का नाम सरस्वती आगरकर था। 1877 में उन्होने यशोदा के साथ विवाह किया।

शिक्षा – गोपाल गणेश आगरकर की जीवनी

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कराड से हासिल की।। इसके बाद साल 1878 में उन्होंने बी.ए. की डिग्री हासिल की

और फिर साल 1880 में अपनी ए.म. की पढ़ाई पूरी की । उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद आगरकर जी ने अपना पूरा जीवन देश की लोगों की सेवा करने में लगा दिया।

प्रकाशन कार्य

आगरकर जी, लोकमान्य तिलक और उनके सहयोगी यह मानते थे कि शिक्षा-प्रसार से ही राष्ट्र का पुनर्निर्माण संभव है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये जनवरी, 1880 में ‘न्यू इंग्लिश स्कूल’ की स्थापना की गई।

परंतु अपने विचारों के प्रचार के लिये गोपाल गणेश आगरकर जी के पास इतना पर्याप्त नहीं था। 2 जनवरी, 1881 से उन्होंने अंग्रेज़ी साप्ताहिक ‘मराठा’ का और 4 जनवरी से मराठी साप्ताहिक ‘केसरी’ का प्रकाशन आरंभ किया।

कॉलेज की स्थापना

वर्ष 1894 में ‘दक्कन एजुकेशनल सोसाईटी’ की स्थापना हुई और दूसरे वर्ष ‘फ़र्ग्युसन कॉलेज’ अस्तित्व में आया। गोपाल गणेश आगरकर तथा लोकमान्य बालगंगाधर तिलक आदि इस कॉलेज के प्रोफेसर थे।

लोकमान्य तिलक से मतभेद – गोपाल गणेश आगरकर की जीवनी

साप्ताहिक पत्र ‘केसरी’ के सम्पादन में भी गोपाल गणेश आगरकर, लोकमान्य तिलक के निकट सहयोगी थे, परंतु ‘बाल विवाह’ और विवाह की उम्र बढ़ाने के प्रश्न पर आगरकर जी का तिलक से मतभेद हो गया।

इस मतभेद के कारण 1887 में वे साप्ताहिक पत्र ‘केसरी’ से अलग हो गये। अब उन्होंने स्वयं का ‘सुधारक’ नामक नया साप्ताहिक निकालना आरंभ किया। 1890 में लोकमान्य तिलक ने ‘दक्कन एजुकेशनल सोसाइटी’ छोड़ दी।

समाज सुधार कार्य

Gopal Ganesh Agarkar 1892 में फ़र्ग्युसन कॉलेज के प्रधानाचार्य नियुक्त किये गए और वे जीवन पर्यंत इसी पद पर रहे। आगरकर जी बड़े उदार विचारों के व्यक्ति थे। उन्होंने छुआछूत और जाति प्रथा का खुलकर विरोध किया। वे ‘विधवा विवाह’ के पक्षपाती थे।

उनका कहना था कि लड़कों की विवाह की उम्र 20-22 वर्ष और लड़कियों की 15-16 वर्ष होनी चाहिए। 14 वर्ष तक की अनिवार्य शिक्षा और सह शिक्षा का भी उन्होंने समर्थन किया।

सांप्रदायिक एकता के समर्थक

राष्ट्र की उन्नति के लिये सांप्रदायिक एकता को आवश्यक मानने वाले गोपाल गणेश आगरकर जी ने विदेशी सरकार की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति का प्रबल विरोध किया। आर्थिक उन्नति के लिये वे देश का औद्योगीकरण आवश्यक मानते थे।

पुस्तकें

मृत्यु – गोपाल गणेश आगरकर की जीवनी

Gopal Ganesh Agarkar की मृत्यु 39 साल की उम्र में 17 जून 1895 में अस्थमा की अटैक की वजह से हुई।

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