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गोरख प्रसाद की जीवनी – Gorakh Prasad Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको गोरख प्रसाद की जीवनी – Gorakh Prasad Biography Hindi के बारे में बताएगे।

गोरख प्रसाद की जीवनी – Gorakh Prasad Biography Hindi

गोरख प्रसाद की जीवनी
गोरख प्रसाद की जीवनी

(English – Gorakh Prasad) गोरख प्रसाद  गणितज्ञ, हिंदी विश्वकोश के संपादक तथा हिंदी में वैज्ञानिक साहित्य के बहुप्रतिभ लेखक थे।

उन्होने प्रयाग विश्वविद्यालय में 1925 से 1957 तक गणित का अध्यापन किया।

वे बनारस मैथमैटिकल सोसायटी के भी अध्यक्ष रहे।

संक्षिप्त विवरण

 

नामगोरख प्रसाद
पूरा नामगोरख प्रसाद
जन्म28 मार्च 1896
जन्म स्थान गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
पिता का नाम
माता का नाम
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म हिन्दू
जाति

जन्म

Gorakh Prasad का जन्म 28 मार्च 1896 को गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था।

शिक्षा – गोरख प्रसाद की जीवनी

Gorakh Prasad ने 1918 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से एम.एस-सी. परीक्षा उत्तीर्ण की।

वे डॉ॰ गणेशप्रसाद के प्रिय शिष्य थे। उनके साथ उन्होंने सन 1920 तक अनुसंधान कार्य किया।

पंडित मदन मोहन मालवीय जी की प्रेरणा से ऐडिनबरा गए और सन 1924 में गणित की गवेषणाओं पर वहाँ के विश्वविद्यालय से डी.एस-सी. की उपाधि प्राप्त की।

करियर

21 जुलाई, 1925 ई. से प्रयाग विश्वविद्यालय के गणित विभाग में रीडर के पद पर कार्य किया।

वहाँ से 20 दिसंबर, 1957 ई. को पदमुक्त होकर नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा संयोजित ‘हिंदी विश्वकोश’ का संपादन भार ग्रहण किया।

सन 1952 से 1959 तक विज्ञान परिषद (प्रयाग) के उपसभापति और सन 1960 से मृत्युपर्यंत उसके सभापति रहे।

हिंदी साहित्य सम्मेलन के परीक्षामंत्री भी कई वर्ष तक रहे। काशी में हिंदी सहित्य सम्मेलन के 28वें अधिवेशन में विज्ञान परिषद के अध्यक्ष थे। वे बनारस मैथमैटिकल सोसायटी के भी अध्यक्ष रहे।

पुस्तकें

गोरख प्रसाद ज्योतिष और खगोल के प्रकांड विद्वान् थे। इन पर उनकी पुस्तकें है –

अंग्रेज़ी में गणित पर बी. एस-सी. स्तर के कई पाठ्य ग्रंथ हैं, जिनमें

अवकलन गणित  (Differential Calculus)

समाकलन गणित’ (Integral Calculus) हैं। इनका संबंध अनेक साहित्यिक एवं वैज्ञानिक संस्थाओं से था।

पुरस्कार – गोरख प्रसाद की जीवनी

हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा 1931 ई. में ‘फोटोग्राफी’ ग्रंथ पर गोरख प्रसाद को ‘मंगला प्रसाद पारितोषिक’ मिला।

संवत्‌ 1989 (सन 1932-33 ई.) में काशी नागरी प्रचारिणी सभा से उनकी पुस्तक ‘सौर परिवार’ पर डॉ. छन्नूलाल पुरस्कार, ग्रीब्ज़ पदक तथा रेडिचे पदक मिले।

मृत्यु

गोरख प्रसाद जी की 5 मई  1961 को वाराणसी में अपने नौकर की प्राणरक्षा के प्रयत्न में जलसमाधि हो गई।

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