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गुलशन कुमार की जीवनी- Gulshan Kumar Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको गुलशन कुमार की जीवनी – Gulshan Kumar Biography Hindi बारे में बताएंगे।

गुलशन कुमार की जीवनी – Gulshan Kumar Biography Hindi

गुलशन कुमार की जीवनी
गुलशन कुमार की जीवनी

Gulshan Kumar हिंदी सिनेमा के संगीत सम्राट थे।

गुलशन कुमार ने बचपन में अपने जूस विक्रेता पिता के काम में हाथ बंटाया और फिर गानों के कैसेट बेंचे।

सुपर कैसेट के नाम से उन्होंने अपनी कंपनी खोली।

व्यापार चल निकला तो मुंबई पहुंच गए।

उनके टी- सीरीज कंपनी के बैनर तले “आशिकी”, “दिल है कि मानता नहीं” जैसी कई फिल्में बनी।

कुछ ही सनों में फिल्म इंडस्ट्री में टी- सीरीज का एकछत्र राज्य हो गया था।

जन्म

संगीत के क्षेत्र में क्रांति लाने वाले गुलशन कुमार का जन्म 5 मई, 1956 में दिल्ली में हुआ था।

उनका पूरा नाम गुलशन कुमार दुआ था गुलशन कुमार के पिता का नाम चंद्रभान दुआ था।

वे दिल्ली के दरियागंज बाजार में जूस विक्रेता थे।

गुलशन कुमार के पत्नी का नाम सुदेश कुमारी था।

उनके तीन बच्चे थे जिनमें से एक लड़का और दो लड़कियां है उनके बेटे का नाम भूषण कुमार तथा उनकी बेटियों का नाम तुलसी कुमार राणा और दूसरी बेटी खुशाली कुमारी ने फैशन डिजाइनर की पढ़ाई कर रखी है

गुलशन कुमार की मृत्यु के बाद उनके बेटे भूषण कुमार ने सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड का पदभार संभाला।

उनकी बेटी, तुलसी कुमार, एक जानी-मानी पार्श्व गायिका हैं।

करियर – गुलशन कुमार की जीवनी

  • गुलशन कुमार ने बचपन में अपने पिता के काम में हाथ बंटाया और यही से उन्होने व्यवसाय की बारीकियों  को समझने की कोशिश की।
  • महज 23 साल की उम्र में उन्होंने अपने परिवार की मदद से एक दुकान का खोली और रिकार्ड्स और सस्ते ऑडियो कैसेट बेचने प्रारम्भ कर दिए।
  • संगीत उद्योग में एक बड़ा मुक़ाम हासिल करने वाले व्यक्ति की यह एक सामान्य शुरुआत थी।
  • रिकार्ड्स और ऑडियो कैसेट के व्यवसाय से ठीक-ठाक मुनाफा होने लगा फिर उन्होंने खुद ही ऑडियो कैसेट बनाना शुरू कर दिया।
  • गुलशन ने अपने ऑडियो कैसेट के व्यवसाय को ‘सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज’ का नाम दिया जो आगे चलकर एक बड़ा नाम बना।
  • इसके बाद उन्होंने दिल्ली के पास नोएडा में एक ‘म्यूजिक प्रोडक्शन कंपनी’ खोल ली।
  • 1970 के दशक में उन्होंने सस्ते दरों पर अच्छी गुणवत्ता वाले संगीत कैसेट बेचना शुरू कर दिया।
  • यह प्रतिष्ठित संगीत कंपनियों द्वारा खराब गुणवत्ता और महंगे ऑडियो टेप के मुकाबले सस्ता और अच्छा था।
  • इससे उनका कारोबार दोगुनी -रात चोगुनी बढ़ता गया और आगे जाकर वह ऑडियो कैसेट का निर्यात भी करने लगे।
  • इस शानदार सफलता से गुलशन करोडपति बन गए और संगीत उद्योग के सबसे सफल व्यक्तियों में से एक हो गए।
  • संगीत के क्षेत्र में पैर पसारने के बाद उन्होंने अपना रुख हिंदी फिल्म उद्योग यानि ‘बॉलीवुड’ की ओर किया और मुंबई चले गए।

1989 के बाद

  • फिल्म संगीत के साथ-साथ उन्होंने भक्ति संगीत संसार में भी अपनी जोरदार पैठ बना ली – इसका भी मूल मंत्र वही था – सस्ते और गुणवत्ता वाले कैसेट।
  • उन्होंने हिंदू पौराणिक कथाओं से संबंधित फिल्मों और धारावाहिकों का भी प्रोडक्शन किया।
  • फिल्म निर्माण में उन्होंने पहला कदम सन 1989 में ‘लाल दुपट्टा मलमल का’ नामक फिल्म बनाकर किया।
  • प्रेम प्रसंग पर आधारित इस फिल्म का संगीत बहुत लोकप्रिय हुआ और फिल्म भी कामयाब हो गयी।
  • सन 1990 में प्रदर्शित फिल्म ‘आशिकी’ ने सफलता के सारे कीर्तिमान तोड़ दिए।
  • राहुल रॉय और अनु अग्रवाल द्वारा अभिनीत इस फिल्म ने अपने सुरीले संगीत से नयी बुलंदियों को छुआ।
  • उनकी अगली कुछ फिल्में जैसे ‘बहार आने तक’ और ‘जीना तेरी गली में’ कुछ ख़ास सफल नहीं रहीं पर इनका संगीत कामयाब रहा।
  • इसके बाद सन 1991 में आमिर खान और पूजा भट्ट अभिनीत ‘दिल है की मानता नहीं’ भी बहुत कमाल नहीं कर सकी लेकिन इस फिल्म के संगीत ने सफलता के नए आयाम स्थापित किये।
  • इस के साथ गुलशन कुमार ने फिल्म उद्योग में खुद को संगीत के बादशाह के रूप में स्थापित कर लिया।
  • उनकी कुछ अन्य फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर नहीं चल पाई  जिसमें “जीना मरना तेरे संग ” आयी मिलन की रात”, “मीरा का मोहन”, आदि शामिल है।

फिल्म – गुलशन कुमार की जीवनी

  • 1989 – लाल दुपट्टा मलमल का
  • 1990 – बहार आने तक
  • 1990 – आशिकी
  • 1991 – जीना तेरी गली में
  • 1991 – आई मिलन की रात
  • 1991 – दिल है के मानता नहीं
  • 1992 –  मीरा का मोहन
  • 1992 – जीना मरना तेरे संग
  • 1993 –  आजा मेरी जान
  • 1993 –  कसम तेरी कसम
  • 1995 –  बेवफा सनम
  • 1995 – जय मां वैष्णव देवी
  • 1998 – चार धाम
  • 2000 – पापा द ग्रेट

अन्य जानकारी

  • गुलशन कुमार ने सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड (एससीआईएल) स्थापित किया जो भारत में सर्वोच्च संगीत कंपनी बन गई। उन्होंने इसी संगीत कंपनी के तहत, ‘टी-सीरीज’ संगीत लेबल की स्थापना की। आज, टी-सीरीज देश में संगीत और वीडियोज का सबसे बड़ा उत्पादक है। ‘टी-सीरीज’ का मुख्य व्यवसाय फिल्मों, रीमिक्स, पुराने गाने, भक्ति संगीत, नए जमाने के एलबम, आदि के संगीत से सम्बंधित है।
  • t-series भारतीय संगीत बाजार के लगभग 60% से अधिक हिस्से में फैला हुआ है और छह महाद्वीपों के 24 से ज्यादा देशों में संगीत का निर्यात करता है। 2500 से अधिक डीलरों के साथ, टी-सीरीज देश का सबसे बड़ा वितरण नेटवर्क है।
  • गुलशन जी ने माता वैष्णो देवी में एक भंडारे की स्थापना की जो तीर्थयात्रियों के लिए नि – शुल्क भोजन उपलब्ध कराता है।
  • गुलशन वित्तीय सन 1992-93 में देश के शीर्ष करदाता थे।
  • 1979 – रिकॉर्ड और ऑडियो कैसेट की बिक्री के लिए संगीत की दुकान
  • 1989 – उनकी पहली बॉलीवुड फिल्म ‘लाल दुपट्टा मलमल का प्रदर्शित हुई
  • 1993 – “आजा मेरी जान” के साथ छोटे भाई कृष्ण कुमार को फिल्मों में पेश किया
  • 1995 – गायक सोनू निगम को ‘बेवफा सनम’ के साथ ब्रेक दिया
  • गुलशन कुमार के जीवन पर आधारित एक फिल्म बनाई गई है जिसका नाम ‘मोगल- द स्टोरी ऑफ गुलशन कुमार’ बताया जा रहा है इस फिल्म में अभिनेता अक्षय कुमार, गुलशन कुमार बनकर अपनी अभिनय की प्रतिभा दिखाएंगे। इस फिल्म मेंनिर्देशक के तौर पर सुभाष कपूर को मौका दिया गया है यह फिल्म उनके प्रोडक्शन हाउस t-series द्वारा बनाई जा रही है और यह भी उम्मीद है कि यह 2019 में फिल्म रिलीज हो जाएगी।

मृत्यु – गुलशन कुमार की जीवनी

12 अगस्त, 1997 को मुंबई के अंधेरी पश्चिम उपनगर जीत नगर में जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर 46 साल की उम्र मे गोली मारकर गुलशन कुमार की हत्या कर दी गयी। ( गुलशन कुमार की जीवनी )

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Sonu Siwach

नमस्कार दोस्तों, मैं Sonu Siwach, Jivani Hindi की Biography और History Writer हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. मुझे History content में बहुत दिलचस्पी है और सभी पुराने content जो Biography और History से जुड़े हो मैं आपके साथ शेयर करती रहूंगी.

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