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हिमा दास की जीवनी – Hima Das Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको हिमा दास की जीवनी -Hima Das Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

हिमा दास की जीवनी -Hima Das Biography Hindi

हिमा दास एक भारतीय एथलीट है और आईएए एफ वर्ल्ड अंडर- 20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी है। उन्होंने मात्र 18 साल की उम्र में आईएए एफ अंडर – 20 में एथलेटिक्स चैंपियन की महिलाओं की 400 मीटर दौड़ मे शीर्ष स्थान हासिल करके स्वर्ण पदक जीता। इस दौड़ स्पर्धा 51।

46 सेकंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता।

अप्रैल 2018 में गोल्ड कोस्ट में खेले गए कॉमनवेल्थ खेलों की 400 मीटर की स्पर्धा में हिमा दास ने 51। 32 सेकेंड में दौर पूरी करते हुए छठवाँ स्थान प्राप्त किया था तथा 4X400 मीटर स्पर्धा में उन्होंने सातवां स्थान प्राप्त किया था। हाल ही में गुवाहाटी में हुई अंतरराज्यीय चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल अपने जीता था। इसके अतिरिक्त 18वें एशियन गेम्स 2018 जकार्ता में हिमा दास ने दो दिन में दूसरी बार महिला 400 मीटर में राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़कर रजत पदक जीता है।

जन्म

हिमा दास का जन्म 9 जनवरी, 2000 को असम राज्य के नगाँव जिले के ढिंग गाँव में हुआ था।

हिमा दास को गोल्डन गर्ल, Dhing Express के नाम से भी जाना जाता है।

वो एक बहुत ही गरीब परिवार से है उनके पिता का नाम रोंजित दास है और वे चावल की खेती करते है।

उनकी माँ का नाम जोमोली दास है और वे एक गृहणी है । उनके माता पिता की 6 संताने है

शिक्षा – हिमा दास की जीवनी

हिमा ने अपनी पढाई अपने गाँव के ही एक छोटे से स्कूल से प्राप्त की।

दास ने अपने स्कूली दिनों में लड़कों के साथ फुटबॉल खेलकर क्रिडाओंं मेंं अपनी रुचि की शुरुआत की थी।

वो अपना कैरियर फुटबॉल में देख रही थीं और भारत के लिए खेलने की उम्मीद कर रही थीं।

इसके बाद जवाहर नवोदय विद्यालय के पीटी टीचर शमशुल हक की सलाह पर उन्होंने दौड़ना शुरू किया।

शमशुल हक़ ने उनकी पहचान नगाँव स्पोर्ट्स एसोसिएशन के गौरी शंकर रॉय से कराई।

इसके बाद हिमा दास जिला स्तरीय प्रतियोगिता में चयनित हुईं और दो स्वर्ण पदक भी जीतीं।

करियर – हिमा दास की जीवनी

हिमा बचपन से ही खेलने की शोकिन रही है , पहले वे लोकल क्लब के लिए फुटबॉल खेलती थी । 2016 में उनके एक फिजिकल एजुकेशन के टीचर ने उनसे कहा की फुटबॉल में लडकियों के लिए करियर बनना इतना आसान नही है उन्हें एकल स्पर्धा में ध्यान देना चाहिए ।

कुछ समय बाद इन्होंने गुवाहाटी स्टेट लेवल चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और बिना किसी प्रोफेशनल ट्रेनिंग के 100 मीटर की रेस में कस्य पदक जीता ।

इसके बाद नाबाजित मलारकर जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए हिमा को कोयंबटूर लेकर गए , यहाँ पर हिमा फाइनल राउंड तक पहुँच गई, इस राउंड तक पहुचने के लिए एक प्रोफेशनल ट्रेनिंग की जरुरत होती है , पर हिमा बिना किसी ट्रेनिंग के फायनल तक पहुच गई ।

इसके बाद हिमा दास के को, नाबजित मलारकर और निपुण दास ने हिमा के पिता से हिमा को ट्रेनिंग के लिए गुवाहाटी ले जाने की अनुमति मांगी। फिर हिमा की ट्रेनिंग की शुरुआत हुई।

हिमा ने कई टूर्नामेंट में हिस्सा लिया और इनके प्रदर्शन को देख कर इन्हें ‘पटियाला नेशनल कैंप’ में दाखिला मिला।

लंबाई और वजन

हिमा से जुड़े कुछ विवाद – हिमा दास की जीवनी

हिमा एक छोटे शहर की साधारण परिवार की लड़की है, हिमा की शिक्षा एक गाँव के छोटे के स्कूल से पूरी हुई है। एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने हिमा के स्वर्ण पदक जितने से पहले हिमा को अंग्रेजी भाषा अच्छे से नही आने के लिए मजाक उड़ाया था।

लेकिन जब बाद में उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया तब हिमा से ट्विटर पर ट्विट किया और उनसे माफी मांगी।

पुरस्कार – हिमा दास की जीवनी

 अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदको की सूची

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