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हिटलर की जीवनी – Hilter Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको हिटलर की जीवनी के बारे में बताने जा रहे है. हिटलर एक प्रसिद्ध जर्मन राजनेता और एक तानाशाह थे। वे ‘राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी’ के नेता भी थे इस पार्टी को प्राय नाज़ी पार्टी के नाम से भी जाना जाता था। 1933  से1945 तक वे जर्मनी के शासक रहे ।
हिटलर को द्वितीय विश्वयुद्ध का पिता भी माना जाता है और कहा जाता है कि वे इस के सबसे ज्यादा अधिक जिम्मेदार है। जब हिटलर के आदेश पर नात्सी सेना ने पोलैंड पर आक्रमण किया हुआ था। तब द्वितीय विश्व युद्ध आरंभ हुआ था। फ्रांस और ब्रिटेन ने पोलैंड को सुरक्षा देने के वादे के अनुसार उन दोनों ने नाज़ी जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। अब हम आपको हिटलर की जीवनी – Hilter Biography Hindi के बारे में बताने जा रहे है.

हिटलर की जीवनी – Hilter Biography Hindi

हिटलर की जीवनी
हिटलर की जीवनी

 

जन्म

हिटलर का जन्म 20 अप्रैल 1889 को ऑस्ट्रिया के हंगरी नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम एलोईस हिटलर और माता का नाम  क्लारा हिटलर था। इनका पूरा नाम एडोल्फ हिटलर था. एडोल्फ़ अपने माता पिता की चौथी संतान थी। हिटलर के माता-पिता के 6 बच्चे हुए थे जिनमें से इनके तीन भाई-बहनों-गस्ताव, ईदा और ऑटो की बचपन में ही मृत्यु हो गई थी। एडोल्फ जब केवल 3 साल के थे तब उनका परिवार ऑस्ट्रेलिया से जर्मनी में जाकर रहने लगा।

शिक्षा

एडोल्फ हिटलर बहुत ही होशियार थे और वे अपने स्कूल में बहुत ही प्रसिद्ध थे।  एडोल्फ हिटलर की रुचि फाइन कला में थी लेकिन उनके पिता को यह पसंद नहीं था वे चाहते थे कि एडोल्फ टेक्निकल स्कूल में प्रवेश करें।  एडोल्फ के पिता ने उन्हें सितंबर 1900 में लिंज में रेअल्स्चुयल में भेज दिया।
जिसके कारण उन्हें अपनी फाइन कला रुचि को खत्म कर अपने पिता के साथ झगड़ा करना पड़ा। एडोल्फ हिटलर अपने पिता के प्रभाव के साथ एक बैरागी, असंतुष्ट और एक क्रोधित बच्चे बन गए।

1903 में उनके पिता की अचानक मृत्यु हो गई। हिटलर की माता कैंसर से पीड़ित थे और वह अपने माता के बहुत ज्यादा करीब थे।  हिटलर की उस स्कूल में रुचि ना होने के कारण उनका स्कूल में प्रदर्शन खराब रहा, जिसके कारण उनकी माता ने उन्हें वह स्कूल छोड़ने के लिए अनुमति दे दी।

सितंबर 1904 में हिटलर ने रेअल्स्चुयल में प्रवेश किया और उनकी प्रगति होती चली गई उस समय वह केवल 16 वर्ष के थे। इसके बाद एडोल्फ हिटलर ने 4 साल में बिताए और फिर 1905 में उन्होंने अपना स्कूल पूरा किया और अपने पेंटर बनने के सपने को पूरा करने के लिए लिंज से विएना चले आए. यहां पर उन्हों ने फाइन कला की विनर्स अकैडमी में प्रवेश करने की कोशिश की और दो बार मना कर दिया गया। कला विश्वविद्यालय  में प्रवेश ना हो पाने के कारण व पोस्ट कार्डों पर चित्र बनाकर अपना जीवन यापन करने लगे.

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प्रथम विश्व युद्ध

हिटलर साम्यवादीयों और यहूदियों से घृणा करने लगे। जब प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हुआ तो वह सेना में भर्ती हो गए और फ्रांस में कई लड़ाई हो में उन्होंने भाग लिया। युद्ध में घायल होने के कारण 1918 में वे कई दिनों तक अस्पताल में रहे। जर्मनी की पराजय को उनको बहुत गहरा दुख हुआ।

1918 में एडोल्फ हिटलर ने नाजी दल की स्थापना की। इसका उद्देश्य सामने साम्यवादियों और यहूदियों से सब अधिकार छीनना था।  इस दल के सदस्यों में देशप्रेम की भावना को कूट-कूट कर भरा था। नाजी दल के लोगों ने विरोधियों को प्रथम विश्व युद्ध की हार के लिए दोषी ठहराया। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण जब नाजी दल के नेता हिटलर ने अपने ओजस्वी भाषणों में उसे ठीक करने का आश्वासन दिया तो अनेक जर्मनी लोग इस दल के सदस्य बन गए।

हिटलर ने भूमि सुधार करने बर्साई संधि को समाप्त करने और एक विशाल जर्मन साम्राज्य की स्थापना करने का लक्ष्य जनता के सामने रखा जिसके कारण जर्मन लोग सुख से रह सके। 1922 में हिटलर एक प्रभावशाली व्यक्ति बन गए। उन्हें स्वस्तिक को अपने दल का चिन्ह बनाया जो कि हिंदुओं का शुभ चिन्ह माना जाता है।

1923 में हिटलर ने जर्मन सरकार को उखाड़ फेंकने का प्रयत्न किया लेकिन वे इसमें असफल रहे और उन्हें जेल में रहना पड़ा।  जेल में एडोल्फ हिटलर ने मीन कैम्फ (” मेरा संघर्ष”) नामक अपनी आत्मकथा लिखी। इसमें उन्होंने नाजी दल के सिद्धांतों का विवेचन की,और उन्होंने लिखा ‘कि आर्य जाति सभी जातियों से श्रेष्ठ है जो जर्मन आर्य है उन्हें विश्व का नेतृत्व करना चाहिए यहूदी सदा से संस्कृति में रोड़ा अटकाते आए हैं’ जर्मन लोगों को सम्राज्य विस्तार का पूर्ण अधिकार है और रूस से लड़ कर उन्हें जीवित रहने के लिए भूमि प्राप्त करनी चाहिए।

  • 1930-32 में जर्मनी में बेरोजगारी बहुत ज्यादा बढ़ गई। संसद में नाजी दल के सदस्यों की संख्या 230 हो गई।
  • 1932 के चुनाव में हिटलर को राष्ट्रपति के चुनाव में असफलता मिली। जर्मनी की आर्थिक दशा और भी ज्यादा बिगड़ती गई और विदेशों में उससे सैनिक शक्ति बढ़ाने की अनुमति  दी ।
  • 1933 में चांसलर बनते हिटलर ने जर्मन संसद को भंग कर दिया और साम्राज्यवादी दल को गैरकानूनी घोषित कर दिया। राष्ट्र को स्वावलंबी बनने के लिए ललकारा।
  • हिटलर ने डॉक्टर जोजेफ गोएबल्स को अपना प्रचार मंत्री नियुक्त किया। नाजी दल के विरोधी व्यक्तियों को जेल खाने में डाला और कार्यकारिणी और कानून बनाने वाली सारी शक्तियां हिटलर ने अपने हाथों में ले ली।
  • 1920 में हेलो हिटलर ने अपने आप को सर्वोच्च न्यायाधीश घोषित कर दिया।  उसी वर्ष हिडनबर्ग की मृत्यु के पश्चात में राष्ट्रपति भी बन गए। इसके बाद नाजी दल का आंतक जन जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में छा गया।
  • 1933 से 1938 तक लाखों यहूदियों की हत्या कर दी गई। नौजवानों में राष्ट्रपति के आदेशों को पूर्ण रूप से मानने की भावना भर दी गई और जर्मन जाति का भाग्य सुधारने के लिए हिटलर ने सारी शक्ति अपने हाथ में ले ली।
  • एडोल्फ हिटलर ने 1933 में राष्ट्र संघ को छोड़ दिया और भाभी युद्ध को ध्यान में रखते हुए जर्मनी की सैन्य शक्ति को बढ़ाना शुरू कर दिया। उसी वर्ष ऑस्ट्रिया के नाजी दल ने वहां के चांसलर डॉलफस को मार दिया।

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द्वितीय विश्व युद्ध

हिटलर ने ब्रिटेन के साथ संधि करके अपने जल सेना ब्रिटेन के जल सेना का 35% रखने का वचन दिया उसका उद्देश्य भावी युद्ध में ब्रिटेन को तटस्थ रखना था। लेकिन 1935 में ब्रिटेन, फ्रांस और इटली ने हिटलर को शास्त्रीकरण नीति की निंदा की। अगले साल हिटलर ने बसाई की संधि को भंग करके अपनी सेना फ्रांस के पूर्व में राइन नदी के प्रदेश पर अधिकार करने के लिए भेज दी।

1937 में जर्मनी ने इटली से संधि की और उसी वर्ष ऑस्ट्रेलिया पर अधिकार कर लिया। हिटलर ने चेकोस्लोवाकिया के उन प्रदेशों को लेने की इच्छा की जिनके अधिकतर निवासी जर्मनी के थे। ब्रिटेन फ्रांस और इटली ने हिटलर को संतुष्ट करने के लिए म्युनिक के समझौते से  चेकोस्लोवाकिया के बाकी भाग पर अधिकार कर लिया। इसके बाद में हिटलर रूस से संधि करके पोलैंड का पूर्वी भाग उसे दे दिया और पोलैंड के पश्चिमी में भाग पर उनकी सेनाओं को अधिकार हो गया।

ब्रिटेन ने पोलैंड की रक्षा के लिए अपने सेना भेजी। इस पर द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ। फ्रांस की हार के बाद हिटलर ने मुसोलिनी से संधि करके रूम सागर पर अपना अधिकार जमाने का विचार किया।  इसके बाद में जर्मनी ने रूस पर आक्रमण किया। जब अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध में सम्मिलित हिटलर की सामरिक स्थिति बिगड़ने लगी और हिटलर के ही सैनिक अधिकारी उनके विरुद्ध षड्यंत्र रचने लगी

हिटलर हमेशा मौत के डर के साए में रहता था उस और उसे पल पल यह डर सताता था कि उसके खाने में कहीं उसे जहर ना दे दिया जाए।  उन्हें अपने हरनिवाले में अपनी मौत नजर आती थी क्योंकि इंग्लैंड हिटलर को जहर देना चाहता था और हिटलर को अपने जासूसों से इस बात का पता चल गया था कि उसे जहर देकर मारने का प्रयास किया जा रहा है।

एडोल्फ हिटलर ने अपनी किताब ‘ हिटलर लास्ट डे: मिनट बाई मिनट’मे लिखा था” कि मैं और मेरी पत्नी ने समर्पण और मारे जाने की जन्म की बधाई मौत चुनी है।  यह हमारी इच्छा है कि हमारे शवों को तुरंत जला दिया जाएगा।” इसके बाद कुछ देर बाद हिटलर ने अपने साथियों को लंबा भाषण दिया और देर रात अपनी  प्रेमिका इवा ब्राउन के साथ शादी की रस्में में पूरी की। इसके बाद उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को चाय पार्टी दी।

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मृत्यु

हिटलर का दिमाग की युद्ध की लगातार बिगड़ती स्थिति में उलझा हुआ था तो बाहर रूस में भयानक बमबारी जारी थी। रूसी सेना हिटलर के बंकर से कुछ कदमों की दूरी तक पहुंची, और उन्होंने नाजी दल को पूरी तरह से खत्म कर दिया था।

हिटलर और ब्राउन की 30 अप्रैल 1945 को बर्लिन में आत्महत्या कर ली। माना जाता है कि उन्होंने अपने संभावित हार से हताश होकर खुद को गोली मार ली थी जबकि ब्राउन ने जहर खा लिया था।

आज इस आर्टिकल में हमने आपको हिटलर की जीवनी – Hilter Biography Hindi के बारे में बताया इसको लेकर अगर आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो आप नीचे कमेंट कर सकते है.

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