ऋषिकेश मुखर्जी की जीवनी – Hrishikesh Mukherjee Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको ऋषिकेश मुखर्जी की जीवनी – Hrishikesh Mukherjee Biography Hindi के बारे में बताएगे।

ऋषिकेश मुखर्जी की जीवनी – Hrishikesh Mukherjee Biography Hindi

ऋषिकेश मुखर्जी की जीवनी
ऋषिकेश मुखर्जी की जीवनी

(English – Hrishikesh Mukherjee)ऋषिकेश मुखर्जी भारतीय फिल्मों के प्रसिद्ध निर्माता एवं निर्देशक थे।

उन्होने ने 1951 में फ़िल्म “दो बीघा ज़मीन” फ़िल्म में बिमल राय के सहायक के रूप में अपना करियर शुरू किया था।

उनकी की आखिरी फ़िल्म 1998 की “झूठ बोले कौआ काटे” थी।

2001 में उन्हें “पद्म विभूषण” से नवाजा गया।

संक्षिप्त विवरण

नाम ऋषिकेश मुखर्जी
अन्य नाम ऋषिकेश दा
जन्म 30 सितंबर, 1922 को
जन्म स्थान कोलकाता, पश्चिम बंगाल में
पिता का नाम
माता का नाम
राष्ट्रीयता भारतीय
मृत्यु
 27 अगस्त, 2006
मृत्यु स्थान
मुम्बई, महाराष्ट्र

जन्म – ऋषिकेश मुखर्जी की जीवनी

ऋषिकेश मुखर्जी का जन्म 30 सितंबर, 1922 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ था।

ऋषिकेश मुखर्जी विवाहित थे और उनकी 3 बेटियाँ और 2 बेटे हैंं।

उनकी पत्नी की मृत्यु 30 साल पहले ही हो चुकी थी।

वह पशु प्रेमी थे और उनके बान्द्रा स्थित घर मेंं बहुत सारे कुत्ते और एक बिल्ली थी।

शिक्षा

ऋषिकेश मुखर्जी फ़िल्मों में आने से पूर्व गणित और विज्ञान का अध्यापन करते थे।

उन्हें शतरंज खेलने का शौक़ था। फ़िल्म निर्माण के संस्कार उन्हें कोलकाता के न्यू थिएटर से मिले।

उनकी प्रतिभा को सही आकार देने में प्रसिद्ध निर्देशक बिमल राय का भी बड़ा हाथ है।

करियर – ऋषिकेश मुखर्जी की जीवनी

Hrishikesh Mukherjee ने 1951 में फ़िल्म “दो बीघा ज़मीन” फ़िल्म में बिमल राय के सहायक के रूप में अपना करियर शुरू किया था। उनके साथ छह साल तक काम करने के बाद उन्होंने 1957 में “मुसाफिर” फ़िल्म से अपने निर्देशन के करियर की शुरुआत की।

इस फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन तो नहीं किया, लेकिन राज कपूर को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने अपनी अगली फ़िल्म “अनाड़ी” (1959) उनके साथ बनाई।

ऋषिकेश मुखर्जी की फ़िल्म निर्माण की प्रतिभा का लोहा समीक्षकों ने उनकी दूसरी फ़िल्म अनाड़ी से ही मान लिया था। यह फ़िल्म राजकपूर के सधे हुए अभिनय और मुखर्जी के कसे हुए निर्देशन के कारण अपने दौर में काफ़ी लोकप्रिय हुई। इसके बाद मुखर्जी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, उन्होंने “अनुराधा”, “अनुपमा”, “आशीर्वाद” और “सत्यकाम” जैसी ऑफ बीट फ़िल्मों का भी निर्देशन किया।

ऋषिकेश मुखर्जी ने चार दशक के अपने फ़िल्मी जीवन में हमेशा कुछ नया करने का प्रयास किया। ऋषिकेश मुखर्जी की अंतिम फ़िल्म 1998 की “झूठ बोले कौआ काटे” थी। उन्होंने टेलीविजन के लिए तलाश, हम हिंदुस्तानी, धूप छांव, रिश्ते और उजाले की ओर जैसे धारावाहिक भी बनाए।

अभिनय ही नहीं, गानों के फ़िल्मांकन के मामले में भी ऋषिकेश मुखर्जी बेजोड़ थे। अनाड़ी फ़िल्म का गीत सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी.. आनंद फ़िल्म का गीत ‘कहीं दूर जब दिन ढ़ल जाए.., अभिमान का गीत नदिया किनारे.., नमक हराम का गीत नदिया से दरिया, दरिया से सागर.., अनुराधा का गीत हाय वो दिन क्यों न आए.., गुड्डी का गीत हम को मन की शक्ति देना.. और गोलमाल का गीत आने वाला पल.. आज भी बेहद आकर्षित करते हैं। ऋषिकेश मुखर्जी ने एक बार कहा था कि परदे पर किसी जटिल दृश्य के बजाय साधारण भाव को चित्रित करना कहीं अधिक मुश्किल कार्य है।

प्रमुख फ़िल्में

अनुराधा (1960) आनंद (1972) गोलमाल (1979)
बावर्ची (1972) नमक हराम (1973) अभिमान (1973)
बुड्ढा मिल गया (1971) गुड्डी (1971) मिली (1975)
सत्यकाम (1969) चुपके चुपके (1975) अनाड़ी (1959)

सम्मान और पुरस्कार

  • 1961 में Hrishikesh Mukherjee की फ़िल्म “अनुराधा” को राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • 1972 में उनकी फ़िल्म “आनंद” को सर्वश्रेष्ठ कहानी के फ़िल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें और उनकी फ़िल्म को तीन बार फ़िल्मफेयर बेस्ट एडिटिंग अवार्ड से सम्मानित किया गया जिसमें 1956 की फ़िल्म “नौकरी”, 1959 की “मधुमती” और 1972 की आनंद शामिल है।
  • उन्हें 1999 में भारतीय फ़िल्म जगत् के शीर्ष सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया।
  • 2001 में उन्हें “पद्म विभूषण” से नवाजा गया।

मृत्यु – ऋषिकेश मुखर्जी की जीवनी

ऋषिकेश मुखर्जी  की मृत्यु 27 अगस्त 2006 को मुंबई में हुई।

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