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इंदीवर की जीवनी – Indeevar Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको इंदीवर की जीवनी – Indeevar Biography Hindi के बारे में बताएगे।

इंदीवर की जीवनी – Indeevar Biography Hindi

इंदीवर भारत के प्रसिद्ध गीतकारों मे से एक थे।

1949 में फिल्म मल्हार के लिए लिखे उनके गीत ‘बड़े अरमान से रखा है बलम तेरी कसम’ ने ख़ासी शोहरत हासिल की। चार दशक के फिल्मी करियर में 300 से ज्यादा फिल्मों में लगभग एक हजार गीत लिखे।

ये ऐसे गीत है जिन्हे हर कोई गुनगुनाने पर विवश हो जाता है।

1976 में दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा गीत के लिए उन्हे सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।

जन्म

इंदीवर का जन्म 15 अगस्त 1924 को उत्तर प्रदेश के झाँसी के बरूवा सागर नामक कस्बे में हुआ था।

उनका वास्तविक नाम श्यामलाल बाबू राय था।

उनके पिता का नाम हरलाल राय था। बचपन में ही उनके माता पिता का देहांत हो गया।

जिसके बाद उनकी बड़ी बहन और बहनोई उन्हे अपने साथ लेकर चले गए।

लेकिन कुछ समय बाद ही वे वहाँ से वापस आ गए।

बचपन से ही उनकी गीत लेखन में काफी रुचि थी।

जिसके चलते वे एक फक्‍कड़ बाबा के संपर्क में आए।वो बाबा बरूवा सागर में गुलाब बाग़ में एक विशाल पेड़ के नीचे अपना डेरा जमाकर रते थे ।

वे कहीं भिक्षा माँगने नहीं जाते थे। धूनी के पास बैठे रहते थे। बहुत अच्‍छे गायक थे।

फक्‍कड़ बाबा के सम्‍पर्क में इन्दीवर  को गीत लिखने व गाने की रुचि जागृत हुई।

इंदीवर बाबाजी का चिमटा लेकर राग बनाकर स्‍वलिखित गीत, भजन गाया करते थे।

युवावस्था में उनका विवाह उनकी मर्जी के बिना झाँसी की रहने वाली ‘पार्वती’ नाम की लड़की से करा दिया गया।

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करियर

उसी बीच बिना मर्जी के अपनी शादी से रूठकर एक दिन वह मुंबई भाग गए।

उस समय उनकी उम्र केवल बीस साल थी। वहां फिल्म निर्देशकों, कवि-साहित्यकारों की परिक्रमा करते रहे।

आखिरकार 1946 में फिल्‍म ‘डबल फेस’ में उनका पहला गीत दर्शकों तक पहुंचा। गीत चला नहीं। वह फिर बरुवा सागर लौट गए लेकिन मुम्‍बई आते-जाते रहे। इधर दांपत्य जीवन सहज होने लगा था।

1949 से 1965 तक

दोबारा जाकर मुंबई में संघर्ष करने लगे।दीवर ने 1949 में फिल्म मल्हार के लिए लिखे उनके गीत ‘बड़े अरमान से रखा है बलम तेरी कसम’ ने ख़ासी शोहरत हासिल की। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और पायदान-दर-पायदान बुलंदियां छूते गए।

बताते हैं कि वह लाख कोशिश के बावजूद जब अपनी धर्मपत्नी पार्वती, जिसे वह पारो कहते थे, मुंबई न ले जा सके तो उनके गीत विरह और जुदाई के स्वाद में रंगने लगे थे।

इंदीवर को मुंबई में अपनी पहचान बनाने में लगभग एक दशक तक कठिन संघर्ष करना पड़ा। 1963 मे बाबू भाई मिस्त्री की फिल्म ‘पारसमणि’ की सफलता के बाद इंदीवर की भी शोहरत बुंलदियों पर पहुंच गई।

निर्माता-निर्देशक मनोज कुमार के वह काफी निकट हो गए। मनोज कुमार के कहने पर उन्होंने फिल्म ‘उपकार’ के लिए गीत लिखा- कस्मे, वादे, प्यार, वफा..जो छा गया।

इसके बाद तो उनके एक से एक गीत – चंदन सा बदन, मैं तो भूल चली बाबुल का देश, होंठों से छू लो तुम, फूल तुम्हें भेजा है ख़त में, प्रभु जी मेरे अवगुन चित ना धरो, कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे, है प्रीत जहाँ की रीत सदा, जो तुमको हो पसंद वही बात करेंगे, दुश्मन न करे दोस्त ने जो काम किया है आदि तमाम सुपरहिट गीत दिए।

1965 से 1970 तक

निर्माता निर्देशक राकेश रौशन की फिल्मों के लिए इंदीवर ने सदाबहार गीत लिखकर उनकी फिल्मों को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके सदाबहार गीतों के कारण ही राकेश रौशन की ज्यादातार फिल्में आज भी याद की जाती हैं।

इन फिल्मों में खासकर कामचोर, खुदगर्ज, खून भरी मांग, काला बाजार, किशन कन्हैया, किंग अंकल, करण अर्जुन और कोयला जैसी फिल्में शामिल हैं। इंदीवर की जीवनी – Indeevar Biography Hindi 

सबसे पहले इस जोड़ी का गीत संगीत वर्ष 1965 में प्रदर्शित फिल्म हिमालय की गोद में पसंद किया गया। इसके बाद इंदीवर द्वारा रचित फिल्मी गीतो में कल्याणजी- आनंदजी का ही संगीत हुआ करता था।

ऐसी फिल्मो में उपकार, दिल ने पुकारा, सरस्वती चंद्र, यादगार, सफर, सच्चा झूठा, पूरब और पश्चिम, जॉनी मेरा नाम, पारस, उपासना, कसौटी, धर्मात्मा, हेराफेरी, डॉन, कुर्बानी, कलाकार आदि फिल्में हैं।

वर्ष 1970 में विजय आनंद निर्देशित फिल्‍म जॉनी मेरा नाम में ‘नफरत करने वालों के सीने में…..’ ‘पल भर के लिये कोई मुझे…’ जैसे रूमानी गीत लिखकर इंदीवर ने श्रोताओं का दिल जीत लिया। कल्याणजी-आनंदजी के अलावा इंदीवर के पसंदीदा संगीतकारों में बप्पी लाहिरी और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जैसे संगीतकार भी हैं।

उनके गीतों को किशोर कुमार, आशा भोंसले, मोहम्मद रफी, लता मंगेश्कर जैसे चोटी के गायक कलाकारों ने अपने स्वर दिए। इंदीवर के सिने कैरियर पर यदि नजर डाले तो अभिनेता जितेन्द्र पर फिल्माये उनके रचित गीत काफी लोकप्रिय हुआ करते थे। इन फिल्मों मे दीदारे यार, मवाली, हिम्मतवाला, जस्टिस चौधरी, तोहफा, कैदी, पाताल भैरवी, खुदगर्ज, आसमान से ऊंचा, थानेदार जैसी फिल्में शामिल हैं।

प्रसिद्ध गीत – इंदीवर की जीवनी

1945-1970

 

1975-2000

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पुरस्कार

अन्य जानकारी – इंदीवर की जीवनी

चार दशक के फिल्मी करियर में 300 से ज्यादा फिल्मों में लगभग एक हजार गीत लिखे। ये ऐसे गीत है जिन्हे हर कोई गुनगुनाने पर विवश हो जाता है।

मृत्यु

27 फ़रवरी, 1997 को इंदीवर जी का देहांत हो गया

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