इस्मत चुगताई भारतीय साहित्य जगत का सशक्त हस्ताक्षर थी। उनकी कलम से उपजे चुभते हुए किस्से और विद्रोही तेवर दोनों ही काफी मशहूर रहे। इस्मत चुगताई। इज्जत से लोगों उन्हे ‘इस्मत आपा’ कह कर पुकारते थे। वे विभाजन के दौर के सबसे प्रतिष्ठित रचनाकारों में से एक है उर्दू कथा-साहित्य में उनका महत्वपूर्ण नाम है। उर्दू साहित्य से सआदत हसन मंटो, कृष्ण चंद्र, इस्मत चुगताई और राजेंद्र सिंह बेदी कहानी के चार स्तंभ माने जाते हैं।
इस्मत चुगताई ने करीब 70 साल पहले प्रधान समाज में स्त्रियों के मुद्दों को कहीं चुटीले तो कहीं संजीदा ढंग से पेश करने का जोखिम उठाया था। उनकी कहानियों में महिलाओं के अस्तित्व की लड़ाई से जुड़े मुद्दों की बेबाकी से उठाया गया है। वास्तव में साहित्य और समाज में चल रही स्त्री विमर्श को उन्होंने 7 दशक पहले ही प्रमुखता दे दी थी। इससे यह सप्ष्टहोता है कि उनकी सोच अपने समय से कितनी आगे थी।
इस्मत आपा ने विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों के लिए कलम चलाई। महिलाओं के अधिकार, झगड़े, उनके साथ हिंसा जैसे कई विषयों पर उनके कलम जैसे बंदूक बन गई थी। जिस उम्र में लड़कियां पढ़ाई – लिखाई, घरेलू काम – काज और खाना बनाने जैसा काम सीखती है। उस उम्र में इस्मत चुगताई को शब्दों से प्यार हो गया था। वह प्यार इतना गहरा था कि घरवालों के रोकने पर भी नहीं रुका। लोगों के तानों के बीच में वे डगमगाई नहीं। और जो उन्होने तो ठान लिया वह लिखा, तभी उन तो उनकी कहानियों में वास्तविकता का एहसास होता है एक बार उन्होंने एक लेख लिखा था जिसका शीर्षक था ‘पाम पाम डार्लिंग’। ऐन हैदर ने इसका जवाब शब्दों में ही दिया, उनकी निर्भीक लेखनी के कारण उन्हें ‘लेडी चंगेज खान’ कहां था।
इस्मत चुगताई के लेखन का कैनवास काफी व्यापक था, जिससे अनुभव के विभिन्न रंग देखे जा सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि ‘टेढ़ी लकीर’ उपन्यास में उन्होंने अपने जीवन को ही मुख्य प्लॉट बनाकर एक स्त्री के जीवन में आने वाली समस्याओं और उसके नजरिए को समाज के सामने अपनी कलम के माध्यम से पेश किया। वह अपनी ‘लिहाफ’ कहानी के कारण काफी मशहूर हुई। 1941 में लिखी गई इस कहानी में उन्होंने महिलाओं के बीच समलैंगिकता के मुद्दे को उठाया था। उस दौर में किसी महिला के लिए इस विषय पर कहानी लिखना जोखिम भरा था। उनको इसकी कीमत भी अश्लीलता के आरोप में लाहौर के कोर्ट में मुकदमा के रूप में चुकानी पड़ी। हालांकि बाद में यह मुकदमा खारीज हो गया था।
दरअसल, इस्मत चुगताई ने 20 वीं सदी की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के छोटे शहरों में छोटे घरों की लड़कियों के हालात, मनोदशा, वंशवाद के खिलाफ खुलकर लिखने की हिम्मत की। उन्होंने निम्न मध्यवर्गीय तबके की दबी -कुचली, उपेक्षित, सकुचाई- कुम्हलाई लेकिन जवान होती लड़कियों की मनोदशा को कहानियां और उपन्यासों में पूरी सच्चाई और ईमानदारी के साथ बयान किया है। तभी तो उन्हे सशक्तिकरण का प्रतीक माना जाता है। इस्मत चुगताई उन चंद कहानीकारों में से एक है जिन्होंने यौन संबंध या यौन समस्याओं को कहानी के रूप में निषिद्ध नहीं माना। वह नैतिक मूल्यों को श्रम और आवश्यकता के तराजू पर तौलती थी। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको इस्मत चुगताई की जीवनी – Ismat Chughta Biography hindi के बारे में बताएंगे।
इस्मत चुगताई की जीवनी – Ismat Chughta Biography Hindi
जन्म
इस्मत चुगताई का जन्म 21 अगस्त, 1915 को उत्तर प्रदेश के बदायूं में एक उच्च मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। वह 10 भाई बहनों में नौवीं संतान थी। उनके पिता एक सरकारी महकमे में थे। पिता का तबादला जोधपुर, आगरा, अलीगढ़ में होता रहा। इसलिए इस्मत का जीवन उन सब जगह पर बीता।
शिक्षा
सन 1938 में उन्होंने लखनऊ के इसाबेला थोबर्न कॉलेज से b.a. किया।
करियर
दूसरे नंबर के भाई अजीम बेग चुगताई थे। जिन्हे साहित्य से काफी मोहब्बत थी। अपने भाई से प्रभावित होकर इस्मत ने कम उम्र में ही लिखना शुरू कर दिया था। इस तरह भाई ही उनके शिक्षक थे, जिन्होंने इस्मत चुगताई को साहित्य का रास्ता दिखाया था। एक दिलचस्प वाक्य है- लेखन के शुरुआती समय में इस्मत चुगताई ने एक कहानी लिखी ‘फसादी’ जो ‘साकी’ पत्रिका में छपी। उस समय पाठक उनको जानते नहीं थे। तो वे समझे कि अजीम बेग चुगताई ने अपना नाम बदल लिया है और यह कहानी उनकी है।
इस्मत चुगताई ने मुख्य रूप से दो विधाओं कहानी और उपन्यास में लिखी। वैसे उन्होंने कविताएं भी लिखी है। इस्मत को विशेष रूप से कहानी ‘लिहाफ’ और उपन्यास ‘टेढ़ी लकीर’ के लिए जाना जाता है। उनके पहली कहानी पर ‘फसादी 1949 में उस दौर की उर्दू साहित्य की सर्वोच्च साहित्य पत्रिका साकी में प्रकाशित हुई । जबकि पहला उपन्यास जिद्दी 1941 में प्रकाशित हो चुका था। इस्मत चुगताई के ‘कुंवारी’ सरीखे कहानी संग्रह छपे तो वहीं अंग्रेजी में कहानियों के तीन संग्रह प्रकाशित हुए।
काहानीकार शबनम रिजवी ने इस्मत चुग़ताई के दर्जनों कहानियों और कई उपन्यासों का लिप्यन्तरण किया है। उर्दू में उनकी पुस्तक ‘इस्मत चुगताई की नावेलगीरी’ 1922 में प्रकाशित हुई थी। हिंदी में ‘इस्मत चुग़ताई ग्रंथावली’ आने वाली है।
कहानी संग्रह
इस्मत चुगताई द्वारा लिखे गए कहानी संग्रह इस प्रकार है –
- चोटें
- छुईमुई
- एक बात
- कलियाँ
- एक रात
- दो हाथ दोज़खी
- शैतान
उपन्यास
इस्मत चुगताई द्वारा रचे गए उपन्यास है –
- टेढी लकीर
- जिद्दी
- एक कतरा ए खून
- दिल की दुनिया
- मासूमा
- बहरूप नगर
- सैदाई
- जंगली कबूतर
- अजीब आदमी
- बांदी
आत्मकथा
इस्मत चुगताई की आत्मकथा का शीर्षक है –
- ‘कागजी हैं पैराहन’
फिल्मी जगत
इस्मत चुगताई का सिनेमा जगत में खासा योगदान रहा है। उन्होंने कई फिल्मों की पटकथा लिखी। उन्होने ‘जुगनू’ फिल्म में अभिनय भी किया। उनकी फिल्म छेड़छाड़ 1943 में और आखिरी फिल्म ‘गर्म हवा’ 1973 में पर्दे पर आई। जिसे पुरस्कार मिले। वे कुल 13 फिल्मों से जुड़ी रहीं। आरजू , फरेब और सोने की चिड़िया आदि उनकी काफी चर्चित फिल्में है।
पुरस्कार
इस्मत चुगताई पुरस्कार और सम्मानों से भी नवाजा गया।
- 1974 में ‘टेढ़ी लकीर’ के लिए गालिब अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
- साहित्य अकादमी पुरस्कार,
- इकबाल सम्मान,
- मखदूम अवॉर्ड
- नेहरू अवॉर्ड
- 1975 में फिल्म फेयर बेस्ट स्टोरी अवॉर्ड
- और 1976 में भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से नवाजा।
भाषा-शैली
इस्मत चुगताई जितनी बिंदास अपनी असल जिंदगी में थी, उतनी ही अपनी लेखनी में भी रहे। उन्होंने अपनी कहानियों में स्त्री चरित्रों को बेहद संजीदगी के साथ उभारा। इस कारण उनके पात्र जिंदगी के बेहद करीब आ जाते हैं। उन्होंने अपनी कहानियां और उपन्यासों में ठेठ मुहावरे गंगा – जमुनी भाषा का इस्तेमाल किया है जिसे हिंदी – उर्दू की सीमाओं में कैद नहीं किया जा सकता। उनका भाषा प्रवाह अद्भुत है जिसने रचनाओं को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने स्त्रियों को उनकी अपनी जुबान के साथ अदब से पेश किया पर खास आकर्षित करने वाली उनकी बात उनके निर्भीक शैली थी। उन्होंने अपनी रचनाओं में समाज के बारे में निर्भीकता से लिखा और उनके इसी दृष्टिकोण के कारण साहित्य में उनका खास मुकाम बना।
मृत्यु
इस्मत चुगताई की दुनिया से विदाई भी कम विवादस्पद नहीं रही। इस्मत आपा की मृत्यु 24 अक्टूबर, 1991 को हुई। 24 अक्तूबर 1951 उनकी वसीयत के अनुसार मुंबई के चंदन बाड़ी में उन्हे अग्नि को समर्पित कर दिया गया।