आज इस आर्टिकल में हम आपको जगजीत सिंह की जीवनी – Jagjit Singh Biography Hindi के बारे में बताएगे।
जगजीत सिंह की जीवनी – Jagjit Singh Biography Hindi
(English -Jagjit Singh) जगजीत सिंह संगीतकार, गज़ल गायक, संगीत निर्देशक था।
उनका नाम बेहद लोकप्रिय ग़ज़ल गायकों में शुमार हैं।
उन्होने 1961 में जब ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) जालंधर स्टेशन पर कार्य करने के लिए गीतों का गायन और रचना करना शुरू किया था।
पंडित छगन लाल शर्मा और उस्ताद जमाल खान से संगीत सीखा।
वे 1965 में मुंबई गए।
1976 में अनफॉरगेटेबल एल्बम ने पहचान दिलाई।
उन्हे पद्मभूषण, साहित्य अकादमी, संगीत नाटक अकादमी जैसे कई सम्मानों से नवाजा गया।
संक्षिप्त विवरण
नाम | जगजीत सिंह |
पूरा नाम | जगमोहन सिंह धीमान |
जन्म | 8 फरवरी 1941 |
जन्म स्थान | श्री गंगानगर, बीकानेर राज्य, राजपूताना एजेंसी, भारत (अब राजस्थान, भारत) |
पिता का नाम | सरदार अमर सिंह धीमान |
माता का नाम | सरदारनी बच्चन कौर |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिन्दू |
जाति | – |
जन्म
Jagjit Singh का जन्म 8 फरवरी 1941 में श्री गंगानगर, बीकानेर राज्य, राजपूताना एजेंसी, भारत (अब राजस्थान, भारत) में हुआ था। उनका वास्तविक नाम जगमोहन सिंह धीमान था।
जन्म के समय उनका नाम जगमोहन था, वह एक सिख परिवार से संबंध रखते थे। जिसके चलते उनके पिता ने अपने गुरु के परामर्श पर उनका नाम “जगमोहन” से “जगजीत” रख दिया।
उनके पिता का नाम सरदार अमर सिंह धीमान जोकि लोक निर्माण विभाग के एक सर्वेक्षक थे तथा उनकी माता का नाम सरदारनी बच्चन कौर जोकि एक गृहिणी थी।
उन्होंने ग़ज़ल गायक चित्रा सिंह से शादी की। उनका एक बेटा था जिसका नाम विवेक था, जिसकी 1990 में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई और एक बेटी जिसका नाम मोनिका (सौतेली बेटी) है, जिसने 2009 में आत्महत्या कर ली थी।
शिक्षा – जगजीत सिंह की जीवनी
Jagjit Singh ने अपनी स्कूली शिक्षा खालसा हाई स्कूल और फिर श्री गंगानगर, राजस्थान के गवर्नमेंट कॉलेज से की।
उन्होंने डीएवी कॉलेज, जालंधर से अपनी कला की डिग्री और हरियाणा में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।
उन्होने बचपन में अपने पिता से संगीत विरासत में मिला। गंगानगर मे ही पंड़ित छगन लाल शर्मा के सान्निध्य में दो साल तक शास्त्रीय संगीत सीखने की शुरुआत की। आगे जाकर सैनिया घराने के उस्ताद जमाल ख़ान साहब से ख्याल, ठुमरी और ध्रुपद की बारीकियां सीखीं।
उनके पिता की ख़्वाहिश थी कि उनका बेटा भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में जाए लेकिन जगजीत पर गायक बनने की धुन सवार थी। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान संगीत मे उनकी दिलचस्पी देखकर कुलपति प्रोफ़ेसर सूरजभान ने जगजीत सिंह जी को काफ़ी उत्साहित किया। उनके ही कहने पर वे 1965 में मुंबई आ गए।
करियर
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत ऑल इंडिया रेडियो (AIR) जालंधर स्टेशन से गायन और रचना का कार्य करके की।
AIR ने उन्हें B ग्रेड कलाकारों की श्रेणी में रखा और उन्हें छोटे भुगतान के लिए एक वर्ष में छह संगीत खंड गाने की अनुमति दी। इसके बाद वे बॉम्बे (अब मुंबई) चले गए और शुरू में विज्ञापन के लिए जिंगल गाकर एक गायक के रूप में शुरुआत की।
1976 में, उन्होंने अपनी पत्नी चित्रा सिंह के साथ अपना पहला एल्बम “द अनफॉरमेंटल” जारी किया।
1965 और 1973 के बीच, जगजीत सिंह ने तीन विस्तारित एकल नाटक (EP), चित्रा सिंह के साथ दो युगल EPs और एक and SuperSeven (एक प्रारूप जो गायब हो गया है)। ‘
उन्होंने 1966 में गुजराती फिल्म। बहुरूपी ’के गीत“ लागी राम भजन नी लगानी ”के साथ पार्श्व गायक के रूप में अपनी शुरुआत की।
उन्होंने अपना बॉलीवुड डेब्यू एक गायक के रूप में “बाबुल मोरा नैहर” फिल्म “अविष्कार” (1974) में किया था।
1988 में, जगजीत सिंह ने डीडी नेशनल पर प्रसारित गुलज़ार के महाकाव्य टीवी धारावाहिक “मिर्ज़ा ग़ालिब” के लिए संगीत तैयार किया।
एल्बम
ग़ज़ल एल्बम
- इन्तेहा (2009)
- कोई बात चले (2006)
- तुम तो नहीं हो (2003)
- शहर (2000)
- मरासिम (1999)
- टूगेदर (Together) (1999)
- सिलसिले (1998)
- द प्लेबैक इअर्स (Playback Years, The) (1998)
- लव इस ब्लाइड (Love is Blind) (1997)
- एटर्निटी (Eternity) (1997)
- उनीक (Unique) (1996)
- जाम उठा (1996)
- इन हारमोनी (In Harmony)
- क्राई फॉर क्राई (Cry for Cry) (1995)
- मिराज (Mirage)(1995)
- इनसाइट (Insight) (1994)
- डिसाइर्स (Desires) (1994)
- एक्स्टसीज (Ecstasies) (1994)
- अदा (1993)
- एन्कॉर (Encore) (1993)
- जगजीत सिंह के साथ लाइव (Live with Jagjit Singh) (1993)
- फ़ेस टू फ़ेस (Face to Face) (1993)
- इन सर्च (In Search) (1992)
- विज़न्स (Visions) (1992)
- रेयर जेम्स (Rare Gems) (1992)
- सज्दा (1991)
- होप (Hope) (1991)
- कहकशां (1991)
- समवन समवेहर (Someone Somewhere) (1990)
- योर च्होस (Your Choice)
- मिर्जा गालिब (1988)
- बिआंड टाइम (Beyond Time) (1987)
- पैशन – “ब्लैक मैजिक” के रूप में भी जाना जाता है (1987)
- लाइव इन कॉन्सर्ट (1987)
- द अनफोरगेटबलस (The Unforgettable) (1987)
- ए सांउड अफेअर (Sound Affair, A) (1985)
- इकॉस (Echoes) (1985)
- लाइव एट रॉयल अल्बर्ट हॉल लाइव (Live at Royal Albert Hall) (1983)
- द लेटेस्ट (The Latest) (1982)
- लाइव इन कॉन्सर्ट एट वेम्बली (Live in Concert at Wembley) (1981)
- मैं और मेरी तंहाई (1981)
- अ माइलस्टोन (Milestone, A) (1980)
- अनफोरगेटबलस (Unforgettables) (1976)
पंजाबी एल्बम
- बिरहा दा सुलतान – शिव कुमार बटालवीकी गज़लें (1995)
- Ichhabal (Modern Punjabi Poetry)
- इश्क दी माला (आशा भोसले के साथ)
- जगजीत सिंह – पंजाबी हिट्स (1991)
- मन जीते जग जीत (गुरबाणी)
- सतनाम वाहेगुरु एही नाम है अधारा
- द ग्रेटेस्ट पंजाबी हिट्स ऑफ जगजीत एंड चित्रा सिंह
भक्ति ऍलबम
- हरे कृष्ण
- हे गोविंद हे गोपाल Hey Gobind Hey Gopal
- हे राम… हे राम .. राम धुन
- कृष्ण भजन
- सांवरा
विवाद – जगजीत सिंह की जीवनी
बहुत ही कम लोग ये जानते होंगे कि अपने संघर्ष के दिनों में जगजीत सिंह इस कदर टूट चुके थे कि उन्होंने स्थापित प्लेबैक सिंगरों पर तीखी टिप्पणी तक कर दी थी।
हालांकि आज वे इसे अपनी भूल स्वीकारते हैं। स्टेट्टमैन लिखता है कि, किशोर दा ने जगजीत सिंह के उस बयान पर कमेंट किया था – ”how dare these so-called ghazal singers criticize an icon that Manna Dey, Mukesh and I dare not criticize. Rafi was unique.”
ज़ाहिर है जगजीत जी ने महान पार्श्व गायक मोहम्मद रफ़ी साहब पर जो कहा वो उचित नहीं होगा। ये भी देखने वाली बात है कि जगजीत जी ने अपनी पसंद के जिन फ़िल्मी गानों का कवर वर्सन एलबम क्लोज़ टू माइ हार्ट में किया था। उसमें रफ़ी साहब का कोई गाना नहीं था।
ख़ैर, इसके बाद उनकी दिलचस्पी राजनीति में भी बढ़ी और भारत-पाक करगिल लड़ाई के दौरान उन्होंने पाकिस्तान से आ रही गायकों की भीड़ पर एतराज किया। तब जगजीत सिंह जी का कहना था कि उनके आने पर बैन लगा देना चाहिए। दरअसल, जगजीत जी को पाकिस्तान ने वीज़ा देने से इंकार कर दिया था।। लेकिन जब पाकिस्तान से बुलावा आया तब जगजीत सिंह जी की नाराज़गी दूर हो गई। ये इस शख़्स की भलमनसाहत थी कि जगजीत ने ग़ज़लों के शहंशाह मेहदी हसन के इलाज के लिए तीन लाख रुपए की मदद की।। उन दिनों मेहदी हसन साहब को पाकिस्तान की सरकार तक ने नज़रअंदाज़ कर रखा था।
घुड़दौड़ का शौक- ग़ज़ल गायकी जैसे सौम्य शिष्ट पेशे में मशहूर जगजीत जी का दूसरा शगल रेसकोर्स में घुड़दौड़ है। कन्सर्ट के बाद कहीं सुकून मिलता है तो वो है मुंबई महालक्ष्मी इलाक़े का रेसकोर्स। 1965 में मुंबई में जहां डेरा डाला था उस शेर ए पंजाब हॉटल में कुछ ऐसे लोग थे जिन्हें घोड़ा दौड़ाने का शौक था।
पुरस्कार एवं सम्मान
- 1998 में, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा “लता मंगेशकर” पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- 1998 में, राजस्थान सरकार द्वारा साहित्य कला अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- मिर्जा गालिब के कार्य को लोकप्रिय बनाने के लिए, भारत सरकार द्वारा उन्हें वर्ष 1998 में, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- 2003 में, भारत सरकार द्वारा “पद्म भूषण” के साथ सम्मानित किया गया।
जगजीत सिंह पद्म भूषण प्राप्त करते हुए - 2012 में, उन्हें “राजस्थान रत्न” (राजस्थान के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) के साथ मरणोपरांत सम्मानित किया गया।
- गूगल इंडिया ने 8 फरवरी 2013 को जगजीत सिंह के 72 वे जन्मदिन पर उन्हें सम्मान देते हुए गूगल डूडल रखा था।
मृत्यु – जगजीत सिंह की जीवनी
Jagjit Singh की मृत्यु 10 अक्टूबर 2011 को ब्रेन हैमरेज होने के कारण मुंबई में हुआ था।
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