आज इस आर्टिकल में हम आपको जीत सिंह नेगी की जीवनी – Jeet Singh Negi Biography Hindi के बारे में बताएगे।
जीत सिंह नेगी की जीवनी – Jeet Singh Negi Biography Hindi

(English – Jeet Singh Negi)जीत सिंह नेगी उत्तराखंड के ऐसे पहले लोकगायक
थे, जिनके गीतों का ग्रामोफोन रिकॉर्ड 1949 में जारी हुआ।
उन्होने दो हिंदी फिल्मों में भी बतौर सहायक निर्देशक कार्य किया।
जीत सिंह नेगी के निर्देशन में 1954 से 1955 में दिल्ली में आयोजित गढ़वाली नाटक ‘भारी भूल’ का मंचन हुआ।
कई अच्छे कलाकार नेगी जी की टोली से जुड़े रहे।
संक्षिप्त विवरण
नाम | जीत सिंह नेगी |
पूरा नाम, अन्य नाम |
जीत सिंह नेगी, गढ़वाली सहगल |
जन्म | 2 फरवरी 1916 |
जन्म स्थान | अयाल गाँव, पौड़ी गढ़वाल जिला, उत्तराखंड |
पिता का नाम | सुल्तान सिंह नेगी |
माता का नाम | रूपदेवी नेगी |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
मृत्यु |
21 जून, 2020 |
मृत्यु स्थान |
धर्मपुर |
जन्म – जीत सिंह नेगी की जीवनी
जीत सिंह नेगी का जन्म 2 फरवरी , 1925 को अयाल गाँव, पौड़ी गढ़वाल जिला, उत्तराखंड में हुआ था।
उनके पिता का नाम सुल्तान सिंह नेगी तथा उनकी माता का नाम रूपदेवी नेगी था।
प्रसिद्ध लोकगायक
जीत सिंह नेगी उत्तराखंड के ऐसे पहले लोकगायक थे, जिनके गीतों का ग्रामोफोन रिकॉर्ड 1949 में यंग इंडिया ग्रामोफोन कंपनी ने जारी किया था। तब पहली बार ऐसा हुआ था, जब किसी उत्तराखंडी लोकगायक के गीतों का रेकॉर्ड उस समय देश की मशहूर ग्रामोफोन कंपनी ने जारी किया।
जीत सिंह नेगी अपने दौर के न केवल जाने-माने लोकगायक रहे, बल्कि उत्कृष्ट संगीतकार, निर्देशक और रंगकर्मी भी रहे। दो हिंदी फिल्मों में भी उन्होंने बतौर सहायक निर्देशक कार्य किया। ‘शाबासी मेरो मोती ढांगा…’ ‘रामी बौराणी…’ ‘मलेथा की गूल…’ जैसे कई उनके नाटक भी लोकप्रिय हुए।
रेडियो पर प्रथम गढ़वाली लोकगायक
Jeet Singh Negi के ‘शाबासी मेरो मोती ढांगा’ को चीनी प्रतिनिधिमंडल ने कानपुर में न केवल रिकॉर्ड किया, बल्कि रेडियो पीकिंग से उसका प्रसारण भी किया।
वे पहले ऐसे गढ़वाली लोकगायक थे, जिनके किसी गीत का ऑल इंडिया रेडियो से प्रसारण हुआ।
लोकप्रिय गीत – जीत सिंह नेगी की जीवनी
1950 के दशक की शुरूआत में रेडियो से यह गीत प्रसारित हुआ तो उत्तराखंड से लेकर देश के महानगरों तक प्रवासी उत्तराखंडियों के बीच पलक झपकते ही बेहद लोकप्रिय भी हो गया।
इस सुमधुर खुदेड़ गीत के बोल थे, ‘तू होली उंचि डांड्यूं मा बीरा-घसियारी का भेष मां-खुद मा तेरी सड़क्यां-सड़क्यों रूणूं छौं परदेश मा…।’ (तू होगी बीरा उंचे पहाड़ों पर घसियारी के भेष में और मैं यहाँ परदेश की सड़कों पर तेरी याद में भटक रहा हूं-रो रहा हूं।)
निर्देशन कार्य
जीत सिंह नेगी के निर्देशन में 1954-1955 में दिल्ली में आयोजित गढ़वाली नाटक ‘भारी भूल’ का मंचन हुआ।
कई अच्छे कलाकार नेगी जी की टोली से जुड़े रहे।
मुंबई-दिल्ली-चंडीगढ़ समेत देश के कई प्रमुख नगरों में उस दौर में जीत सिंह नेगी के गीत और नाटक श्रोताओं-दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते थे।
मृत्यु
जीत सिंह नेगी की मृत्यु 21 जून 2020 को उनके आवास स्थान धर्मपुर में हुआ।
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