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के. आर. नारायणन की जीवनी – K. R. Narayanan Biography Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको के. आर. नारायणन की जीवनी – K. R. Narayanan Biography Hindi के बारे में बताएगे।

के. आर. नारायणन की जीवनी – K. R. Narayanan Biography Hindi

के. आर. नारायणन भारत के दसवें राष्ट्रपति और पहले दलित राष्ट्रपति तथा पहले मलयाली व्यक्ति थे,
जिन्हें देश का सर्वोच्च पद प्राप्त हुआ।

1944 – 45 के बीच द हिन्दू और टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे अखबारों में काम किया।

इसी दौरान उन्होने महात्मा गांधी का इंटरव्यू लिया।

म्यांमार, जापान, ब्रिटेन और वियतनाम जैसे देशों में भारत के राजदूत रहे। तीन बार लोकसभा सदस्य रहे।

राजीव गांधी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे। 1997 से 2002 तक राष्ट्रपति रहे।

नारायणन कार्यकाल के दौरान चुनावों में मतदान करने वाले पहले भारतीय राष्ट्रपति थे।

जन्म

के. आर. नारायणन  का जन्म 27 अक्टूबर 1920 को त्रावणकोर, भारत में हुआ था।

उनका पूरा नाम कोच्चेरील रामन नारायणन था। उनके पिता का नाम कोच्चेरिल रामन वेद्यार था।

श्री नारायणन के चार भाई-बहन  के. आर. गौरी, के. आर. भार्गवी, के. आर. भारती और के. आर. भास्करन थे। जब वह अपने आईएफएस के दिनों में दौरान बर्मा में नियुक्त हुए तब उनकी मा टिंट टिंट नामक एक कार्यकर्ता से मुलाकात हुई और 8 जून 1951 को उनका विवाह हुआ।।

वह एक भारतीय नागरिक बन गई और अपना नाम उषा नारायणन रखा।

उनकी पत्नी विदेशी मूल की एकमात्र महिला थी जो भारत की पहली महिला बनीं।

उनकी दो बेटियाँ है जिनका नाम चित्रा और अमृता है।

शिक्षा

के. आर. नारायणन की प्रारंभिक शिक्षा उझावूर के अवर प्राथमिक विद्यालय में हुई।

यहाँ 5 मई, 1927 को यह स्कूल के छात्र के रूप में नामांकित हुए, जबकि उच्च प्राथमिक विद्यालय उझावूर में इन्होंने 1931 से 1935 तक अध्ययन किया। उन्हें 15 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ता था और चावल के खेतों से होकर गुज़रना पड़ता था। उस समय शिक्षा शुल्क बेहद साधारण था, लेकिन उसे देने में भी उन्हें कठिनाई होती थी।

श्री नारायणन को प्राय: कक्षा के बाहर खड़े होकर कक्षा में पढ़ाये जा रहे पाठ को सुनना पड़ता था, क्योंकि शिक्षा शुल्क न देने के कारण उन्हें कक्षा से बाहर निकाल दिया जाता था। उनके पास पुस्तकें ख़रीदने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। तब अपने छोटे भाई की सहायता के लिए के. आर. नारायणन नीलकांतन छात्रों से पुस्तकें मांगकर उनकी नक़ल उतारकर नारायणन को देते थे।

अस्थमा के कारण रुग्ण नीलकांतन घर पर ही रहते थे।

नारायणन ने सेंट मेरी हाई स्कूल से 1936-37 में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की।

इसके पूर्व 1935-36 में इन्होंने सेंट मेरी जोंस हाई स्कूल कूथाट्टुकुलम में भी अध्ययन किया था।

छात्रवृत्ति का सहारा पाकर श्री नारायणन ने इंटरमीडिएट परीक्षा 1938-40 में कोट्टायम के सी. एम. एस. स्कूल से उत्तीर्ण की। इसके बाद इन्होंने कला (ऑनर्स) में स्नातक स्तर की परीक्षा पास की। फिर अंग्रेज़ी साहित्य में त्रावणकोर विश्वविद्यालय से 1943 में स्नातकोत्तर परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की (वर्तमान में यह केरल विश्वविद्यालय है)।

करियर – के. आर. नारायणन की जीवनी

के. आर. नारायणन ने 1944 – 45 के बीच द हिन्दू और टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे अखबारों में काम किया।

इसी दौरान उन्होने महात्मा गांधी का इंटरव्यू लिया।

नारायणन उच्च शिक्षा का प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड जाना चाहते थे।

लेकिन उनके पास एक बड़ी वित्तीय बाधा थी जिसके लिए उन्होंने जेआरडी टाटा से संपर्क किया।

जे.आर.डी. ने उन्हें एक छात्रवृत्ति दी, जिसके परिणामस्वरूप नारायणन 1945 में इंग्लैंड गए और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स  में अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान का अध्ययन किया।

1948 में उन्होंने बी एस सी की डिग्री राजनीति विज्ञान में विशेषज्ञता के साथ पूरी की और भारत लौट आए।

हेरोल्ड लास्की जो कि प्रसिद्ध राजनीतिक सिद्धांतवादी और अर्थशास्त्री थे, नारायणन के एलएसई में प्रोफेसर थे।लास्की ने नारायणन को जवाहरलाल नेहरू का परिचय दिया।

भारत लौटने पर नारायणन ने नेहरू से मुलाकात की और भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) में नौकरी की पेशकश की।

1949 में नारायणन आईएफएस में शामिल हो गए।

IFS में अपनी सेवा के दौरान उन्होने  रंगून, टोक्यो, लंदन, कैनबरा, और हनोई में एक राजनयिक के रूप में काम किया। उन्होंने थाईलैंड, तुर्की, और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना में भारत के राजदूत के रूप में भी काम किया।

1978 में वह आईएफएस से सेवानिवृत्त हुए।

अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, उनका जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति (जेएनयू) के रूप में एक संक्षिप्त कार्यकाल था। 1980 में, इंदिरा गांधी ने के. आर. नारायणन को संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत का राजदूत नियुक्त किया। म्यांमार, जापान, ब्रिटेन और वियतनाम जैसे देशों में भारत के राजदूत रहे। राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के राष्ट्रपति पद के दौरान 1982 में नारायणन ने इंदिरा गांधी की संयुक्त राज्य की ऐतिहासिक यात्रा को सुविधाजनक बनाने में उन्होने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

1984 से 2002 तक

मृत्यु – के. आर. नारायणन की जीवनी

के. आर. नारायणन  का 85 वर्ष की आयु में 9 नवंबर 2005 में निमोनिया और गुर्दे के सुजन होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई।

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