आज इस आर्टिकल में हम आपको कादंबिनी गांगुली की जीवनी – Kadambini Ganguly Biography Hindi के बारे में बताएगे।
कादंबिनी गांगुली की जीवनी – Kadambini Ganguly Biography Hindi
Kadambini Ganguly भारत की पहली महिला स्नातक और पहली महिला फ़िजीशियन थीं।
जिस समय देश अंग्रेजों का गुलाम था और लोग अपनी मर्जी के मुताबिक खुच भी
करने से डरते थे, उस समय दो भारतीय महिलाओं ने शिक्षा के क्षेत्र में अपूर्व कामयाबी हासिल की।
वह दक्षिण एशिया में पश्चिमी चिकित्सा पद्धति में प्रशिक्षण लेने वाली वह पहली महिला थी।
उस समय उनकी पढ़ाई और नौकरी को उच्च कुलीन वर्ग में काफी बुरा -भला कहा गया।
लेकिन उन्होने परवाह नहीं की। जीवन भर वे महिलाओं की शिक्षा के लिए लड़ती रही।
जन्म
कादंबिनी गांगुली का जन्म 18 जुलाई 1861 को भागलपुर, बिहार में हुआ था।
उनके पिता का नाम बृज किशोर बासु था।
21 साल की उम्र में कादम्बिनी ने 39 साल के विधुर द्वारकानाथ गांगुली के साथ शादी कर ली थी।
उनके पति भी ब्रह्मो समाज से थे। दरअसल, उनके पति का पहले भी एक विवाह हो चुका था।
जिनसे उन्हें पांच बच्चे भी थे। कादम्बिनी उनकी दूसरी पत्नी थी। कादम्बिनी के तीन बच्चे थे।
जिससे उन्होने आठ बच्चों का पालन पोषण किया।
शिक्षा
कादम्बिनी ने 1882 में ‘कोलकाता विश्वविद्यालय’ से बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की थी।
वे भारत की दो में से पहली महिला स्नातक थीं।
‘कोलकाता विश्वविद्यालय’ से 1886 में चिकित्साशास्त्र की डिग्री लेने वाली भी वे पहली महिला थीं। इसके बाद वे विदेश गई और ग्लासगो और ऐडिनबर्ग विश्वविद्यालयों से चिकित्सा की उच्च डिग्रियाँ प्राप्त कीं।
देश में भले ही महिलाओं को उच्चतर शिक्षा पाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा हो, लेकिन कादम्बिनी गांगुली के रूप में भारत को पहली महिला डॉक्टर 19वीं सदी में ही मिल गई थी। कादम्बिनी गांगुली को न सिर्फ भारत की पहली महिला फ़िजीशियन बनने का गौरव हासिल हुआ, बल्कि वे पहली साउथ एशियन महिला थीं, जिन्होंने यूरोपियन मेडिसिन में प्रशिक्षण लिया था।
योगदान और सामाजिक गतिविधियों
द्वारकानाथ महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए पहले से ही प्रयत्नशील थे। कादम्बिनी इस क्षेत्र में भी उनकी सहायक सिद्ध हुईं। उन्होंने बालिकाओं के विद्यालय में गृह उद्योग स्थापित करने के कार्य को प्रश्रय दिया।
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय की रचनाओं से कादम्बिनी बहुत प्रभावित थीं। बंकिमचन्द्र की रचनाएं उनके भीतर देशभक्ति की भावनाएँ उत्पन्न करती थीं। वे सार्वजनिक कार्यों में भाग लेने लगी थीं। जीवन भर वे महिलाओं की शिक्षा के लिए लड़ती रही।
वह 1889 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पांचवें सत्र में छह महिला प्रतिनिधियों में से एक थीं, और यहां तक कि बंगाल के विभाजन के बाद 1906 में कलकत्ता में महिला सम्मेलन का आयोजन किया। महात्मा गांधी उन दिनों अफ़्रीका में रंगभेद के विरुद्ध ‘सत्याग्रह आन्दोलन’ चला रहे थे। कादम्बिनी ने उस आन्दोलन की सहायता के लिए कोलकाता में चन्दा जमा किया।
1908 में उन्होंने सत्याग्रह के साथ सहानुभूति व्यक्त करने के लिए कलकत्ता की एक बैठक का आयोजन और अध्यक्षता की थी जोकि दक्षिण अफ्रीका के ट्रांसवाल में भारतीय मजदूरों को प्रेरित करती थी। उसने श्रमिकों की सहायता के लिए धनराशि की सहायता से धन एकत्र करने के लिए एक संघ का गठन किया।
1914 ई. में जब गाँधीजी कोलकाता आये तो उनके सम्मान में आयोजित सभा की अध्यक्षता भी कादम्बिनी ने ही की।
मृत्यु – कादंबिनी गांगुली की जीवनी
कादम्बिनी गांगुली की मृत्यु 3 अक्टूबर 1923 में कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में हुआ।
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