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कल्पना चावला की जीवनी – Kalpana Chawla Biography Hindi

आज हम आपको इस आर्टिकल में कल्पना चावला की जीवनी – Kalpana Chawla Biography Hindi के बारे में बताएंगे.

कल्पना चावला की जीवनी – Kalpana Chawla Biography Hindi

कल्पना चावला एक भारतीय अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला थी
और वे अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ भी थी।

एक भारतीय अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री थी।

कोलंबिया अंतरिक्ष यान आपदा में मारे गए 7 यात्री दोनों में से एक थी।

 

जन्म

कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 में करनाल, हरियाणा में हुआ था।

वे भारत के एक हिंदू परिवार से थी।

उनके पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला और उनके माता का नाम संजयोति था।

वह अपने परिवार में 4 भाई बहनों में से सबसे छोटी थी।

घर में सब उन्हें प्यार से मोंटू कह कर बुलाते थे।

कल्पना के पिता उन्हें चिकित्साया या शिक्षक बनाना चाहते थे लेकिन कल्पना एक इंजीनियर बनना चाहती थी।

1983 में वे एक उड़ान ट्रेनर और विमानन लेखक, जीन पियरे हैरीसन से मिलीं और शादी की और 1990 में
एक देशीयकृत संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिक बनीं।

शिक्षा – कल्पना चावला की जीवनी

करियर

1988 के आखिर में उन्होंने नासा के एम्स अनुसंधान केंद्र के लिए ओवेर्सेट मेथड्स इंक के उपाध्यक्ष के रूप में काम करना शुरू किया, उन्होंने वहाँ वी,एसटीओएल में सीएफ़डी पर अनुसंधान किया।कल्पना चावला को मार्च 1995 में नासा के अंतरिक्ष यात्री कोर में शामिल किया गया और उन्हें 1998 में अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया था।

उनका पहला अंतरिक्ष मिशन 19 नवम्बर 1997 को छह अंतरिक्ष यात्री दल के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष शटल कोलंबिया की उड़ान एसटीएस-87 से शुरू किया गया ।कल्पना अंतरिक्ष में उड़ने वाली पहली भारतीय महिला थीं और अंतरिक्ष में उड़ाने वाली भारतीय मूल की दूसरी व्यक्ति थीं।

राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत अंतरिक्ष यान में एक उड़ान भरी थी।

कल्पना जी अपने पहले मिशन में 1.04 करोड़ मील का सफ़र तय कर के पृथ्वी की 252 परिक्रमाएँ लगाई और
अंतरिक्ष में 60 से ज्यादा घंटे बिताए।

एसटीएस-87 के दौरान स्पार्टन उपग्रह को तैनात करने के लिए भी ज़िम्मेदार थीं, इस खराब हुए उपग्रह को पकड़ने के लिए विंस्टन स्कॉट और तकाओ दोई को अंतरिक्ष में चलना पड़ा था।पाँच महीने की जांच करने के बाद नासा ने कल्पना चावला को इस मामले में पूरी तरह दोषमुक्त पाया, पारगमन इंटरफेस व यान कर्मचारियों तथा ज़मीनी नियंत्रकों के लिए परिभाषित तरीको में भी खामिया मिली ।

1984 के बाद

एसटीएस-87 की उड़ान के बाद की गतिविधियों के पूरा होने पर कल्पना जी ने अंतरिक्ष यात्री कार्यालय में, तकनीकी पदों पर काम किया, उनके यहाँ के कार्यकलाप को उनके साथियों ने विशेष पुरस्कार दे के सम्मानित किया।भारत के लिए चावला की आखिरी यात्रा 1992 के नए साल की छुट्टी के दौरान थी जब वे और उनके पति और परिवार के साथ समय बिताने गए थे।

तो 2000 में उन्हें एसटीएस-107 में अपनी दूसरी उड़ान के कर्मचारी के तौर पर चुना गया।

यह अभियान लगातार पीछे सरकता रहा, क्योंकि कई कार्यों के नियोजित समय में टकराव होता रहा और कुछ तकनीकी
समस्याएँ भी आईं, जैसे कि शटल इंजन बहाव अस्तरों में दरारें।

16 जनवरी 2003 को कल्पना जी ने आखिर में कोलंबिया पर चढ़ के विनाशरत एसटीएस- 107 मिशन का आरंभ किया।उनकी ज़िम्मेदारियों में शामिल थे स्पेसहैब, बल्ले-बल्ले,फ़्रीस्टार लघुगुरुत्व प्रयोग जिसके लिए कर्मचारी दल ने 80 प्रयोग किए, इसके जरिए पृथ्वी व अंतरिक्ष विज्ञान, उन्नत तकनीक विकास व अंतरिक्ष यात्री स्वास्थ्य व सुरक्षा का अध्ययन हुआ।

कोलंबिया अंतरिक्ष यान में उनके साथ जो अन्य यात्री थे उनके नाम –

पुरस्कार – कल्पना चावला की जीवनी

उनके मरने के बाद (मरणोपरांत)-

सम्मान

मृत्यु – कल्पना चावला की जीवनी

अंतरिक्ष पर पहुंचने वाली प्रथम भारतीय महिला कल्पना चावला की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा ही उनकी आखिरी यात्रा साबित हुई।सभी तरह के अनुसंधान तथा विचार – विमर्श के बाद वापिस  पृथ्वी के वायुमंडल में अंतरिक्ष यान के प्रवेश के समय जिस तरह की भयंकर घटना घटी वह अब इतिहास की बात हो गई।

नासा तथा विश्व के लिये यह एक दर्दनाक घटना थी।

1 फ़रवरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्षयान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया।

देखते ही देखते अंतरिक्ष यान और उसमें सवार सातों यात्रियों के अवशेष टेक्सास नामक शहर पर बरसने लगे और सफ़ल कहलया जाने वाला अभियान भीषण सत्य बन गया।

इस तरह कल्पना चावला के यह शब्द सत्य हो गए,” मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूँ।

प्रत्येक पल अंतरिक्ष के लिए ही बिताया है और इसी के लिए ही मरूँगी।

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